हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने वियना, ऑस्ट्रिया का दौरा किया।
यात्रा का महत्त्व
वर्ष 1983 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की वियना की यह पहली यात्रा है। इससे पहले इंदिरा गांधी ने ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी।
यह यात्रा रूस एवं पश्चिमी सहयोगियों के साथ तनाव के बीच ऑस्ट्रिया की गैर-नाटो स्थिति पर प्रकाश डालती है।
यात्रा के प्रमुख निष्कर्ष
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना: ऑस्ट्रिया एवं भारत के बीच द्विपक्षीय संबंध वर्ष 1949 में स्थापित हुए थे।
भारतीय प्रधानमंत्री की हालिया यात्रा ने दोनों देशों के बीच संबंधों को पुनः मजबूत करने पर जोर दिया है।
आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग: भारत एवं ऑस्ट्रिया के बीच ‘भविष्योन्मुख द्विपक्षीय सतत् आर्थिक तथा प्रौद्योगिकी साझेदारी’ पर जोर दिया गया है। यह दोनों देशों में प्रौद्योगिकी की प्रगति के नए द्वार खोल सकता है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर रुख स्पष्ट करना: रूस-यूक्रेन युद्ध पर दोनों देशों ने संतुलित रुख बना रखा है।
ऑस्ट्रिया एवं भारत दोनों रूस के खिलाफ यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का समर्थन करते हैं। साथ ही, गैस आयात सहित रूस के साथ वाणिज्यिक संबंधों में संलग्न रहना जारी रखे हुए हैं।
ऑस्ट्रिया की तटस्थता एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आस्ट्रिया नाजी नियंत्रण में था।
बाद में इसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस एवं सोवियत संघ द्वारा चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया।
युद्ध समाप्त होने के बाद मित्र राष्ट्रों ने एक दशक तक ऑस्ट्रिया पर नियंत्रण कर लिया।
ऑस्ट्रिया के बारे में
ऑस्ट्रिया रणनीतिक रूप से पश्चिमी यूरोप एवं पूर्वी ब्लॉक के बीच अवस्थित है।
राजधानी: वियना
इसे वर्ष 1955 में ऑस्ट्रियाई राज्य संधि (Austrian State Treaty) के माध्यम से स्वतंत्रता मिली।
नियंत्रण करने वाली चार शक्तियों द्वारा अनुसमर्थित संधि ने स्विट्जरलैंड के रुख के समान, ऑस्ट्रिया की तटस्थता को अनिवार्य कर दिया।
देश का संविधान सैन्य गठबंधनों में शामिल होने या विदेशी सैन्य अड्डों की मेजबानी करने पर रोक लगाता है।
ऑस्ट्रिया की स्वतंत्रता में भारत की भूमिका
संप्रभुता के लिए ऑस्ट्रियाई अपील: वर्ष 1952-53 में, ऑस्ट्रिया ने मित्र देशों के कब्जे से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से सहायता माँगी।
संयुक्त राष्ट्र में समर्थन: भारत वर्ष 1952 में संयुक्त राष्ट्र में ऑस्ट्रिया की याचिका का समर्थन करने वाले कुछ देशों में से एक था, जिसमें मित्र देशों के कब्जे को समाप्त करने एवं संप्रभुता की बहाली की सिफारिश की गई थी।
नेहरू का कूटनीतिक प्रभाव: पश्चिमी देशों एवं सोवियत संघ के बीच नेहरू के सम्मानित नेतृत्व ने उन्हें ऑस्ट्रिया की स्वतंत्रता के लिए वार्ता में एक महत्त्वपूर्ण स्थान दिया।
मध्यस्थता की भूमिका: ऑस्ट्रिया की संधि चर्चा के दौरान नेहरू ने एक राजनयिक मध्यस्थ के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे वार्ता में एक नई गतिशीलता आई।
ऐतिहासिक यात्रा: जून 1955 में, ऑस्ट्रिया को स्वतंत्रता मिलने के तुरंत बाद, नेहरू ने किसी विदेशी नेता द्वारा ऑस्ट्रिया की पहली राजकीय यात्रा की।
भारत-ऑस्ट्रिया संबंध: ऐतिहासिक परिदृश्य
दीर्घकालिक संबंध: भारत एवं ऑस्ट्रिया के मध्य वर्ष 1949 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए तथा इस वर्ष राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ है।
उच्च स्तरीय यात्राएँ: दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों एवं सरकारी अधिकारियों की नियमित यात्राओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में मदद की है।
उदाहरण के लिए, राष्ट्रपति के. आर. नारायणन ने वर्ष 1999 में ऑस्ट्रिया का दौरा किया एवं ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति हेंज फिशर ने वर्ष 2005 में भारत का दौरा किया।
ऑस्ट्रिया के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंध
इंडो-ऑस्ट्रियाई संस्कृति 16वीं शताब्दी की है, जब बल्थासर स्प्रिंगर ने 1505 ईसवी में तीसरे पुर्तगाली बेड़े के साथ टायरो से भारत की यात्रा की थी।
ऑस्ट्रिया में इंडोलॉजी: यह परंपरा वर्ष 1825-1920 के बीच शुरू हुई।
यह वह काल है, जो अपने विशिष्ट भाषाशास्त्रियों एवं पुरातत्त्वविदों के लिए जाना जाता है।
वियना को इंडोलॉजी के केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था।
वर्ष 1955 के बाद इंडोलॉजी केंद्र नए परिसर के साथ एक स्वतंत्र विभाग बन गया।
आज, इसे वियना विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई, तिब्बती एवं बौद्ध अध्ययन संस्थान के रूप में जाना जाता है।
संस्कृत शिक्षण: वर्ष 1845 में वियना विश्वविद्यालय में संस्कृत शिक्षण शुरू हुआ।
सांस्कृतिक प्रदर्शन: भारतीय कलाकारों और ऑस्ट्रियाई कलाकारों ने एक-दूसरे के देशों में प्रदर्शन किया है।
उदाहरण के लिए: हाल ही में, भारतीय कलाकार हैं:-
कुचिपुड़ी नर्तक ‘राजा एवं राधा रेड्डी’
मार्शल आर्ट कलाकार- मोनिश नायक कथक नृत्य समूह, पं. भोलानाथ मिश्रा भारतीय स्वर संगीत, राजस्थानी लोक नृत्य समूह।
अंतरिक्ष क्षेत्र में ऑस्ट्रिया के साथ भारत का संबंध
ऑस्ट्रिया के पहले दो उपग्रहों को भारत के PSLV-C20 द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
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दोनों उपग्रहों के विकास में सहयोगी निकाय:
ग्राज के तकनीकी विश्वविद्यालय (Technical University of Graz- TUG) में संचार नेटवर्क एवं सैटेलाइट संचार संस्थान (Institute of Communication Networks and Satellite Communications- IKS)।
वियना विश्वविद्यालय का खगोल विज्ञान संस्थान।
टोरंटो यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस स्टडीज (University of Toronto Institute Of Aerospace Studies- UTIAS) में स्पेस फ्लाइट लैब (Space Flight Lab- SFL)।
ऑस्ट्रिया-भारत एसोसिएशन
इस एसोसिएशन की स्थापना प्रोफेसर अर्नोल्ड कीसरलिंग ने की थी।
यह पहला पंजीकृत ऑस्ट्रिया-भारत एसोसिएशन था।
उद्देश्य: इसका उद्देश्य ऑस्ट्रिया में भारतीय नृत्य एवं संगीत को लोकप्रिय बनाना है।
उल्लेखनीय प्रदर्शन: रविशंकर, अली अकबर खान एवं बिस्मिल्लाह खान।
हाल की गतिविधियाँ
यह भारतीय लोक कला एवं चित्रकला पर व्याख्यान तथा प्रदर्शनियों का आयोजन करता है।
ऑस्ट्रिया में ओडिसी एवं भरतनाट्यम् नृत्य कार्यशालाओं तथा फिल्म समारोहों की मेजबानी करता है।
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए ऑस्ट्रिया का महत्त्व
आर्थिक साझेदारी की प्रबल संभावना: भारतीय प्रधानमंत्री एवं ऑस्ट्रियाई चांसलर नेहमर ने “भविष्योन्मुख द्विपक्षीय टिकाऊ आर्थिक तथा प्रौद्योगिकी साझेदारी” पर चर्चा की।
ऑस्ट्रिया, भारत को बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा, ई-कॉमर्स एवं फिनटेक जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक मूल्यवान भागीदार के रूप में देखता है।
भारतीय व्यवसायों के लिए अवसर: ऑस्ट्रिया के साथ संभावित आर्थिक साझेदारी ई-कॉमर्स, फिनटेक एवं उद्यम प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भारतीय व्यवसायों के लिए दरवाजे खोल सकती है।
ये भारत में बढ़ते क्षेत्र हैं, एवं ऑस्ट्रिया की विशेषज्ञता उन भारतीय कंपनियों के लिए मूल्यवान हो सकती है, जो अपनी पेशकशों का विस्तार या सुधार करना चाहती हैं।
ऑस्ट्रियाई राज्य संधि (Austrian State Treaty)
स्वतंत्रता: ऑस्ट्रियाई राज्य संधि ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ऑस्ट्रिया की स्वतंत्रता बहाल की। इस संधि पर हस्ताक्षर 15 मई, 1955 को वियना में किए गए थे।
शामिल पक्ष: द्वितीय विश्वयुद्ध की मित्र शक्तियों एवं ऑस्ट्रियाई सरकार के बीच हस्ताक्षरित।
निषेध: संधि ने ऑस्ट्रिया को जर्मनी के साथ संघ बनाने से रोक दिया। इसने ऑस्ट्रिया में किसी भी नाजी या फासीवादी सरकार पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
तटस्थता प्रतिबद्धता: ऑस्ट्रिया ने किसी भी युद्ध या सैन्य गठबंधन में भाग न लेने की प्रतिबद्धता जताते हुए सतत् तटस्थता की प्रतिज्ञा की।
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