हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने ब्रुनेई दारुस्सलाम (Brunei Darussalam) का दौरा किया।
ब्रुनेई यात्रा का महत्त्व
प्रथम यात्रा: यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्रुनेई की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी।
अक्टूबर 2013 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 11वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्रुनेई गए थे।
आर्थिक क्षमता: ब्रुनेई कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस पर निर्भर है। यह दक्षिण-पूर्व एशिया में चौथा सबसे बड़ा तेल उत्पादक और दुनिया में तरलीकृत प्राकृतिक गैस का नौवाँ सबसे बड़ा निर्यातक है।
दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN)
यह एक क्षेत्रीय समूह है, जिसका उद्देश्य अपने दस सदस्यों के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है।
ASEAN के साथ संबंध: प्रधानमंत्री की यात्रा का उद्देश्य इन संबंधों को मजबूत करना और व्यापक आसियान क्षेत्र के साथ भारत के जुड़ाव का विस्तार करना है।
‘चीन+1’ रणनीति: भारत ब्रुनेई की ‘चीन+1’ रणनीति का लाभ उठाने के लिए उसकी क्षमता का प्रयोग करने पर विचार कर रहा है।
‘चीन +1’ रणनीति उन कंपनियों और देशों द्वारा अपनाई गई रणनीति है, जो विनिर्माण और आपूर्ति शृंखला संचालन के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
इस रणनीति के पीछे का विचार विनिर्माण सुविधाएँ स्थापित करके या चीन के अलावा अन्य देशों से स्रोत प्राप्त करके परिचालन में विविधता लाना है।
सामरिक महत्त्व: ब्रुनेई और सिंगापुर दोनों भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण में प्रमुख साझेदार हैं।
एक्ट ईस्ट नीति: ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को 1990 के दशक में शुरू की गई ‘लुक ईस्ट’ नीति के अगले चरण के रूप में तैयार किया गया था।
वर्ष 2014 में इस नीति को ‘एक्ट ईस्ट’ के रूप में पुनःस्थापित किया गया, जिसमें इन संबंधों को मजबूत करने की दिशा में और अधिक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया।
यह विभिन्न स्तरों पर विशाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की एक कूटनीतिक पहल है।
दक्षिण चीन सागर: दक्षिण चीन सागर में भारत की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है, क्योंकि इसका लगभग 55 प्रतिशत व्यापार विवादित जलक्षेत्र से होकर गुजरता है।
चीन का मुकाबला: हालाँकि चीन की आर्थिक स्थिति उसे इस क्षेत्र में बढ़त प्रदान करती है, जिससे वह कई परियोजनाओं को वित्तपोषित कर सकता है और अन्य देशों को ऋण दे सकता है, लेकिन दक्षिण चीन सागर में उसके आचरण जैसे मुद्दों पर उसने संबंधित देशों को असमंजस में डाला है।
इस प्रकार भारत इन साझेदारों के साथ क्षेत्र में चीनी प्रभाव का प्रतिकार कर सकता है।
यात्रा के मुख्य निष्कर्ष
चांसरी (Chancery) का उद्घाटन: प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रुनेई की राजधानी बंदर सेरी बेगवान में भारतीय उच्चायोग के नए चांसरी का उद्घाटन किया।
चांसरी परिसर में भारतीयता की गहन भावना समाहित है: पारंपरिक रूपांकनों और हरे-भरे वृक्षारोपण को इसमें एकीकृत किया गया है।
उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद (Omar Ali Saifuddien Mosque): प्रधानमंत्री ने बंदर सेरी बेगवान में उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का दौरा किया।
इस मस्जिद में मुगल काल और इतालवी पुनर्जागरण काल की वास्तुकला का मिश्रण है।
मस्जिद का नाम ब्रुनेई के 28वें सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन तृतीय के नाम पर रखा गया है।
रक्षा सहयोग: भारत और ब्रुनेई के बीच रक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की जाएगी।
अन्य मुद्दे: कनेक्टिविटी, व्यापार और निवेश, नवीकरणीय ऊर्जा सहित ऊर्जा, अंतरिक्ष, ICT, स्वास्थ्य और फार्मास्यूटिकल्स, संस्कृति, पर्यटन, युवा आदि सहित विभिन्न मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के लिए चर्चा की गई।
इसरो TTC स्टेशन: भारत ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के टेलिमेट्री ट्रैकिंग और टेलिकमांड (Telemetry Tracking and Telecommand- TTC) स्टेशन की मेजबानी जारी रखने के लिए ब्रुनेई दारुस्सलाम की सराहना की।
इसरो का टेलिमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड (TTC) स्टेशन वर्ष 2000 में ब्रुनेई में स्थापित किया गया था।
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