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Lokesh Pal
October 04, 2025 03:04
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‘एक्सेटर यूनिवर्सिटी’ के एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि ध्रुवीय भू-इंजीनियरिंग परियोजनाएँ वैश्विक परिणामों के साथ गंभीर पर्यावरणीय क्षति का कारण बन सकती हैं, जिससे उनकी व्यवहार्यता पर प्रश्न चिह्न लग जाता है।
कार्बन उत्सर्जन में कमी वर्तमान में भी सबसे प्रभावी समाधान बनी हुई है। कार्बन उत्सर्जन को कम करना केवल वर्तमान में ही नहीं, बल्कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और वायु को स्वच्छ बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ऐसी स्थिरता प्राप्त होती है, जिसकी गारंटी केवल भू-इंजीनियरिंग द्वारा संभव नहीं है।
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