हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में ध्रुवीय भँवर (पोलर वोर्टेक्स) के मद्देनजरएक शीतकालीन तूफान के कारण बड़े पैमाने पर जन-धन की क्षति हुई है।
ध्रुवीय भँवर
यह एक अत्यधिक दाबयुक्त तथा ठंडी वायु प्रणाली है, जो पृथ्वी के ध्रुवों के चारों ओर विस्तृत है।
यह कोई तूफान नहीं है बल्कि समताप मंडल में ठंडी वायु का प्रवाह है, जिसमें पृथ्वी की सबसे ठंडी पवनें शामिल हैं।
यह हमेशा ध्रुवों के पास रहता है लेकिन सर्दियों में यह अधिक शक्तिशाली तथा गर्मियों में कमजोर हो जाता है।
शब्द ‘भँवर’ का अर्थ वायु के वामावर्त प्रवाह से है, जो ठंडी वायु को ध्रुवों के पास सीमित रखता है।
ध्रुवीय भँवर के प्रकार
क्षोभमंडलीय ध्रुवीय भँवर: सबसे निचली वायुमंडलीय परत (10-15 किमी. तक) में पाया जाता है, जहाँ अधिकांश मौसमी घटनाएँ होती हैं।
समतापमंडलीय ध्रुवीय भँवर: अधिक ऊँचाई (15-50 किमी) पर पाया जाता है, शरद ऋतु के दौरान सर्वाधिक प्रबल होता है और गर्मियों में विलुप्त हो जाता है।
ध्रुवीय भँवर की प्रमुख विशेषताएँ
उत्तरी गोलार्द्ध भँवर
इसके दो मुख्य केंद्र हैं
कनाडा के बाफिन द्वीप (Baffin Island) के पास।
उत्तर-पूर्वी साइबेरिया में।
दक्षिणी गोलार्द्ध भँवर
आमतौर पर दक्षिणी ध्रुव के आसपास स्थित है।
उत्तरी भँवर की तुलना में अधिक मजबूत तथा अधिक स्थिर है, जिससे इसके विचलन की संभावना कम होती है।
ध्रुवीय भँवर की कार्यप्रणाली
सतत् घूर्णन
भँवर वर्ष भर उत्तरी ध्रुव के चारों ओर वामावर्त घूमता रहता है।
मौसमी बदलाव
गर्मियों के महीनों में, भँवर उच्च अक्षांशों की तरफ विस्तृत हो जाता है।
सर्दियों के महीनों में, यह दक्षिण की ओर खिसक जाता है।
ध्रुवीय भँवर अत्यधिक ठंड का कारण कैसे बनता है?
जब ध्रुवीय भँवर कमजोर होता है, तो ठंडी आर्कटिक वायु दक्षिण की ओर बढ़ती है, जिससे अमेरिका, यूरोप और एशिया जैसे क्षेत्रों में तापमान में कमी आती है तथा बर्फ जमने लगती है।
जेट स्ट्रीम की भूमिका
एक मजबूत ध्रुवीय भँवर जेट स्ट्रीम को स्थिर रखता है, उत्तर में ठंडी वायु को स्थिर रखने में सहायक होता है और दक्षिण में गर्म हवा को बनाए रखता है।
एक कमजोर ध्रुवीय भँवर जेट स्ट्रीम में अधिक विचलन उत्पन्न करता है, जिससे ठंडी आर्कटिक वायु दक्षिण की ओर, कभी-कभी फ्लोरिडा तक प्रवाहित होने लगती है।
उच्च दाब प्रणालियों का प्रभाव
उच्च दाब प्रणालियाँ जेट स्ट्रीम को बाधित कर सकती हैं, जिससे ठंडी वायु और भी अधिक दक्षिण की ओर धकेल दी जाती है, जिससे असामान्य क्षेत्रों में अत्यधिक ठंड की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
ध्रुवीय भँवर पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग ध्रुवीय भँवर को प्रभावित करती है, जिससे मौसम के पैटर्न में बदलाव होता है और अत्यधिक ठंड हो जाती हैं।
अधिक चरम ठंड की अवधि
यद्यपि वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, आर्कटिक में तापमान बढ़ने से कुछ क्षेत्रों में अधिक ठंड पड़ सकती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आर्कटिक में गर्म तापमान ध्रुवीय भँवर को अधिक अस्थिर बना देता है, जिससे ठंडी वायु दक्षिण की ओर बढ़ जाती है।
आर्कटिक में तेजी से गर्मी
आर्कटिक बाकी विश्व की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है, जिसे आर्कटिक प्रवर्द्धन (Arctic amplification) कहा जाता है।
इससे ध्रुवीय भँवर के कारण निचले अक्षांशों में ठंडी वायु फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
प्रसिद्ध ध्रुवीय भंवर की घटनाएँ
वर्ष 2013- 2014 की घटना: इस घटना के कारण कनाडा और पूर्वी अमेरिका में कम तापमान और भारी बर्फबारी हुई।
वर्ष 2021 की टेक्सास की घटना: इस ध्रुवीय भँवर के कारण फरवरी 2021 में टेक्सास में तापमान में कमी आ गई और बर्फ जमने लगी। इस क्षेत्र में 9 दिनों तक कम तापमान बना रहा।
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