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पुलिस सुधार (police reforms)

Samsul Ansari January 16, 2024 05:43 455 0

संदर्भ

हाल ही में, देश भर के पुलिस महानिदेशक स्तर के पुलिस अधिकारियों का एक तीन दिवसीय सम्मेलन जयपुर में आयोजित किया गया था।

संबंधित तथ्य

  • स्थिति मूल्यांकन: इसका उद्देश्य भारत में मौजूदा पुलिस परिस्थितियों का आकलन करना था, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी के समकालीन प्रासंगिकता के कई विषय एजेंडे के मुख्य केंद्र में थे।
  • चर्चा के विषय: मानव तस्करी पर गहन विचार-विमर्श के साथ कानूनों में बदलाव लाने की आवश्यकता, दंड और जुर्माने बढ़ाने पर विस्तृत चर्चा हुई।
    • अन्य क्षेत्रों में साइबर अपराध, पुलिसिंग में प्रौद्योगिकी, आतंकवाद विरोधी चुनौतियाँ, वामपंथी उग्रवाद, जेल सुधार, नए आपराधिक कानून, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डीपफेक और अन्य आंतरिक सुरक्षा मुद्दे शामिल हैं।
  • सम्मेलन का उद्देश्य: नई प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करना और ठोस कार्रवाई बिंदुओं की पहचान करना।

भारत में पुलिस

  • पुलिस: यह भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण अंग है और अपने स्थानीय अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत शांति बनाए रखने तथा कानून व्यवस्था लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • पुलिस का प्राथमिक कर्तव्य: लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करना और उन्हें हिंसा, धमकी, उत्पीड़न और अव्यवस्था से बचाना।
  • कड़ी के रूप में : पुलिस सरकार और लोगों के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी है। पुलिस अभियोजन और न्यायपालिका में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • 7वीं अनुसूची में स्थिति: भारत के संविधान का अनुच्छेद-246 पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था को राज्य सूची के अंतर्गत रखता है।

सम्मेलन के दौरान प्रमुख मुद्दे

  • सीमाओं की सुरक्षा: सीमा पार से घुसपैठ, तस्करी और अवैध गतिविधियाँ भारत के लिए प्रमुख खतरे हैं।
    • उदाहरण के लिए, कार्नेगी इंडिया (Carnegie India) के अनुसार, वर्ष 2020 से वर्ष 2022 के बीच भारत-पाकिस्तान सीमा पर  ड्रोन तस्करी या निगरानी से जुड़े 492 मामले दर्ज किये गए।
  • साइबर खतरे: सेवाओं के बढ़ते डिजिटलीकरण ने भारत को साइबर हमलों, डेटा उल्लंघनों, ऑनलाइन धोखाधड़ी और अन्य मुद्दों के प्रति संवेदनशील बना दिया है।
    • उदाहरण के लिए, केंद्र सरकार की भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (Indian Computer Emergency Response Team-CERT-In) ने वर्ष 2023 की पहली छमाही में 1.12 लाख साइबर सुरक्षा घटनाओं की सूचना दी है।
  • कट्टरवाद (Radicalization): यह वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कोई व्यक्ति या समूह राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक यथास्थिति के विरोध में तेजी से कट्टरपंथी विचार अपनाता है। कट्टरपंथ के बढ़ने से आतंकवाद के संभावित खतरे पैदा होते हैं।
  • पहचान दस्तावेजों की धोखाधड़ी: अवैध तरीके से पहचान-पत्र प्राप्त करना नकली दस्तावेजों, पहचान चोरी और धोखाधड़ी में वृद्धि का एक प्रमुख कारक है।
  • AI से उभर रहे खतरे: विभिन्न क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के तेजी से एकीकरण से नए खतरे सामने आ रहे हैं, जिनमें दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए इसके दुरुपयोग की संभावना भी शामिल है।
    • उदाहरण के लिए, हाल ही में, अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का एक डीपफेक वीडियो वायरल हो गया था, जिसमें उनका चेहरा बदल दिया गया था।

पुलिस सुधार की आवश्यकता

  • पुलिस बलों पर दबाव: पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (Bureau of Police Research & Development-BPR&D) के आँकड़ों के अनुसार, भारत में पुलिस-जनसंख्या अनुपात 152.80 पुलिसकर्मी प्रति लाख व्यक्ति है।जबकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुशंसित मानक 222 पुलिसकर्मी प्रति लाख व्यक्तियों का है।
    • सबसे अधिक पुलिसकर्मियों वाला राज्य नागालैंड था, जहाँ प्रति लाख जनसंख्या पर लगभग 1189.33 पुलिसकर्मी थे, जबकि स्वीकृत संख्या 1212.39 थी।
    • बिहार में सबसे कम पुलिस-जनसंख्या अनुपात दर्ज किया गया, जहाँ प्रति लाख आबादी पर केवल 75.16 पुलिसकर्मी हैं।
  • जनता के बीच विश्वास की कमी: पुलिस को अभी भी आबादी के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के बीच विश्वास मज़बूत करना बाकी है, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (Administrative Reforms Commission-ARC) ने रेखांकित किया था, कि पुलिस-जनता संबंध असंतोषजनक हैं क्योंकि लोग पुलिस को भ्रष्ट, अकुशल, राजनीतिक रूप से पक्षपाती और गैर-जिम्मेदार मानते हैं।
  • राजनीतिक कार्यपालिका के प्रति जवाबदेही बनाम कार्यकारी स्वतंत्रता: केंद्रीय और राज्य दोनों ही पुलिस बल राजनीतिक कार्यपालिका (अर्थात् केंद्र या राज्य सरकार) के नियंत्रण में आते हैं।
    • द्वितीय ARC में इस बात को रेखांकित किया है कि अतीत में राजनीतिक कार्यपालिका ने इस नियंत्रण का दुरुपयोग पुलिसकर्मियों पर अनुचित प्रभाव डालने के लिए किया है और उन्हें अपने व्यक्तिगत या राजनीतिक हितों की सेवा करने के लिए प्रेरित किया है।
  • केंद्र-राज्य मुद्दे: केंद्र और कुछ राज्यों के बीच केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित भारतीय पुलिस सेवा को लेकर असहमति बढ़ रही है, जिसे कुछ राज्यों के लिए एक स्थायी समस्या माना जाता है।
  • आधुनिकीकरण के लिए धन का कम उपयोग: केंद्र और राज्य दोनों राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन आवंटित करते हैं, लेकिन इन निधियों का उपयोग आम तौर पर पुलिस बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने के लिए किया जाता है जैसे पुलिस स्टेशनों के निर्माण, हथियार, संचार उपकरण और वाहनों की खरीद शामिल हैं।
    • हालाँकि, आधुनिकीकरण निधि के कम उपयोग की समस्या लगातार बनी हुई है।
  • अन्य कारण
    • पुलिस बल में सीमित विविधता: गृह मंत्रालय के अनुसार, अखिल भारतीय स्तर पर पुलिस बल में महिलाओं का प्रतिशत पिछले 10 वर्षों में लगातार बढ़ा है, यह वर्ष 2013 के 5.87% से बढ़कर वर्ष 2022 में 11.75% तक पहुँच गया है, लेकिन यह अभी भी समानता से काफी कम है।
    • खराब बुनियादी ढाँचा: भारत भर में पुलिस बलों के पास हथियारों और बुनियादी संचार और परिवहन बुनियादी ढाँचे की कमी है। 
    • अपराध का नया स्वरूप: आधुनिक जाँच तकनीकों के अभाव में आर्थिक धोखाधड़ी और डीपफेक जैसे जटिल अपराध पुलिस के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं।

आगे की राह

  • स्वतंत्र शिकायत प्राधिकरण: द्वितीय ARC और उच्चतम न्यायालय ने पाया है कि पुलिस कदाचार के मामलों की जाँच के लिए एक स्वतंत्र शिकायत प्राधिकरण (Independent Complaints Authority) की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिए, यूनाइटेड किंगडम में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र पुलिस आचरण कार्यालय है। इसके अलावा, न्यूयॉर्क सिटी पुलिस के पास पुलिस कदाचार मामलों की जाँच के लिए एक नागरिक शिकायत समीक्षा बोर्ड (Civilian Complaint Review Board) है।
  • नागरिकों में पुलिस की सकारात्मक छवि को सुदृढ़ बनाना: पुलिस स्टेशन स्तर पर सोशल मीडिया का उपयोग सकारात्मक जानकारी और प्राकृतिक आपदाओं तथा आपदा राहत पर अग्रिम सूचना के प्रसार के लिए किया जा सकता है।
    • इसके अलावा, विभिन्न खेल कार्यक्रमों का आयोजन, सीमावर्ती गाँवों में रहना आदि स्थानीय आबादी के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने में मदद कर सकते हैं।
  • सामुदायिक पुलिसिंग मॉडल: सामुदायिक पुलिसिंग में पुलिस को अपराध रोकने और उसका पता लगाने, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और स्थानीय संघर्षों को सुलझाने के लिए समुदाय के साथ मिलकर काम करना होता है, जिससे बेहतर जीवन स्तर और सुरक्षा की अनुभूति होती है।
  • मॉडल पुलिस अधिनियम का निर्माण: यह मुख्य रूप से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए मॉडल पुलिस अधिनियम के मसौदे की तर्ज पर एक नया पुलिस अधिनियम बनाएँ या अपने मौजूदा अधिनियम में संशोधन करें। 
    • स्मार्ट फोर्स (SMART Force): पुलिस को ‘स्मार्ट’ बनाना —स्ट्रिक्ट एंड सेंसेटिव, मॉडर्न एंड मोबाइल, अलर्ट एंड अकाउंटेबल, रिलायबल एंड रेस्पॉन्सिव,टेक्नो सेवी एंड ट्रेंड (Strict and Sensitive, Modern and Mobile, Alert and Accountable, Reliable and Responsive, Techno savvy and Trained)।
  • अन्य तरीके
    • पर्याप्त शिक्षा और प्रशिक्षण: वरिष्ठ अधिकारियों को निचले रैंक के अधिकारियों के प्रशिक्षण और शिक्षा के लिए समय निकालना चाहिए।
    • अधिक विकेंद्रीकरण: राष्ट्रीय मानकों और समन्वय को बनाए रखते हुए राज्यों को अपने पुलिस बलों पर अधिक नियंत्रण देने पर विचार करें।
    • मजबूत नैतिकता: निष्पक्ष कानून प्रवर्तन सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र निर्णय लेने और राजनीतिक दबाव का विरोध करने को बढ़ावा देना।

प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ वाद में न्यायिक हस्तक्षेप

  • उच्चतम न्यायालय के समक्ष वर्ष 1996 में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें पुलिस द्वारा सत्ता के दुरुपयोग के विभिन्न उदाहरण उठाए गए थे और आरोप लगाया गया था कि पुलिसकर्मी राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।
  • उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2006 में अपना निर्णय दिया और पुलिस कार्यप्रणाली के लिए दिशा-निर्देश दिए, पुलिस प्रदर्शन का मूल्यांकन किया, पोस्टिंग तथा स्थानांतरण तय किए एवं पुलिस कदाचार की शिकायतों को प्राप्त किया।

सात मुख्य निर्देश थे

  • DGP के कार्यकाल और चयन को ठीक करना ताकि कुछ ही महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को यह पद न दिया जाए।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करने के लिए पुलिस महानिरीक्षक के लिए एक न्यूनतम कार्यकाल की माँग की गई थी।
  • उच्चतम न्यायालय ने आगे निर्देश दिया कि पुलिस स्थापना बोर्डों (Police Establishment Boards-PEB) द्वारा अधिकारियों की पद-स्थापना, पुलिस अधिकारियों और वरिष्ठ नौकरशाहों को शामिल करके की जाएगी।
  • उच्चतम न्यायालय ने आम लोगों को पुलिस कार्रवाई से जुड़ी शिकायतों के लिए मंच प्रदान करने के लिए राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण (State Police Complaints Authority-SPCA) के गठन की सिफारिश की है।
  • पुलिसिंग में बेहतर सुधार के लिए जाँच और कानून व्यवस्था कार्यों को अलग करना। 
  • राज्य सुरक्षा आयोग (State Security Commission-SSC) की स्थापना जिसमें नागरिक समाज के सदस्य होंगे। 
  • राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग (National Security Commission) का गठन।

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