कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने खुलासा किया कि वह हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य रहे हैं।
राजनीतिक संबद्धता (Political Affiliation) क्या है?
राजनीतिक संबद्धता से तात्पर्य किसी व्यक्ति की किसी विशेष राजनीतिक दल या विचारधारा से पहचान अथवा जुड़ाव से है।
सदस्यता: इसमें अक्सर किसी राजनीतिक दल का सदस्य होना शामिल होता है।
सहायता: इसमें किसी पार्टी के उम्मीदवारों, नीतियों एवं विचारों का समर्थन करना शामिल है।
राजनीति में शामिल होने के बारे में न्यायाधीशों, नौकरशाही के लिए ‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि
यह वह समय है जब न्यायाधीशों, नौकरशाही को राजनीति में शामिल होने की अनुमति नहीं होती है।
राजनीति में शामिल होने से पहले न्यायाधीशों एवं नौकरशाही के लिए कम-से-कम दो वर्ष की अनिवार्यता का प्रावधान है।
यह प्रावधान जनता का विश्वास कायम करने एवं क्विड प्रो क्वो (Quid Pro Quo) के आरोपों को रोकने में सहायक है।
क्विड प्रो क्वो ‘कुछ के लिए कुछ‘ का अर्थ वाला लैटिन शब्द है, जो ऐसी स्थिति की व्याख्या करता है, जब दो या अधिक पक्ष वस्तुओं या सेवाओं के परस्पर आदान-प्रदान के लिए एक समझौता करते हैं।
न्यायालय किसी व्यवसाय अनुबंध को रद्द कर सकता है अगर यह अनुचित या एकतरफा प्रतीत होता है।
राजनीति में, क्विड प्रो क्वो समझौते स्वीकार्य होते हैं, जब तक कि उनका प्रयोजन रिश्वत या कोई अन्य गलत कार्य नहीं होता।
गतिविधियाँ: प्राथमिक रूप से मतदान, पार्टी बैठकों में भाग लेना एवं चुनाव प्रचार जैसी गतिविधियों में भाग लेना।
मान्यताएँ: उन मान्यताओं एवं मूल्यों को धारण करना, जो एक विशिष्ट राजनीतिक दल के अनुरूप हों।
दान: किसी राजनीतिक दल या उसके उम्मीदवारों को वित्तीय योगदान देना।
अनुच्छेद
भारत में संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद-124
प्रक्रिया के अनुसार, राष्ट्रपति उच्च न्यायालयों एवं सर्वोच्च न्यायालय के चयनित न्यायाधीशों से परामर्श करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं।
स्वयं CJI की नियुक्ति को छोड़कर, सभी नियुक्तियों में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से परामर्श किया जाना चाहिए।
अनुच्छेद-217
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एवं संबंधित राज्य के राज्यपाल के परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
इसके अतिरिक्त, नियुक्ति प्रक्रिया में संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श लिया जाना चाहिए।
भारत में न्यायिक नियुक्तियों में राजनीतिक विचारधारा में बदलाव की समयरेखा
ऐतिहासिक संदर्भ
1970 के दशक से पहले: न्यायिक नियुक्तियों में राजनीतिक विचारधारा कोई प्रमुख कारक नहीं थी।
1970 के बाद नियुक्ति प्रथाओं में बदलाव: यह प्रथा तब बदल गई, जब इंदिरा गांधी की सरकार को प्रमुख मामलों (गोलक नाथ, बैंक राष्ट्रीयकरण, प्रिवी पर्स) में उच्चतम न्यायालय में असफलताओं का सामना करना पड़ा।
इस स्थिति ने केंद्रीय मंत्रियों को उच्चतम न्यायालय की नियुक्तियों में विचारधारा के मुद्दे पर बहस शुरू करने के लिए मजबूर कर दिया।
न्यायमूर्ति एम. एन. चंदुरकर पर प्रभाव: योग्यता के बावजूद, उच्चतम न्यायालय में उनकी पदोन्नति रोक दी गई।
अस्वीकृति के कारण: RSS नेता के अंतिम संस्कार में शामिल होना एवं RSS नेता के बारे में सकारात्मक टिप्पणियाँ देना।
कोलेजियम प्रणाली
1990 के दशक से, न्यायिक नियुक्तियाँ कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से की जाती रही हैं, जहाँ न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं।
यह प्रणाली न्यायिक तटस्थता मानती है और न्यायाधीशों से अपेक्षा करती है कि वे खुलकर अपने विचार व्यक्त करने से बचें।
कॉलेजियम प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण का कार्य सँभालती है।
यह संविधान पर आधारित नहीं है बल्कि उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुआ है।
संरचना एवं कार्य
सर्वोच्च न्यायालय: भारत के मुख्य न्यायाधीश CJI + उच्चतम न्यायालय के 4 वरिष्ठतम न्यायाधीश।
वे न्यायिक नियुक्तियों एवं तबादलों की सिफारिश करते हैं।
उच्च न्यायालय कॉलेजियम: इस कॉलेजियम में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश + 2 वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
सरकार की भूमिका: आपत्तियाँ उठा सकते हैं या स्पष्टीकरण माँग सकते हैं, लेकिन पुनः पुष्टि होने पर अंततः कॉलेजियम की सिफारिशों से बाध्य होंगे।
विभिन्न देशों में न्यायिक नियुक्ति प्रणाली और राजनीतिक तटस्थता के बीच अंतर
देश
चयन का आधार
राजनीतिक गतिविधियों में प्रतिबंध
यूनाइटेड किंगडम
योग्यता और अनुभव
राजनीतिक संबंधों, सार्वजनिक राजनीतिक गतिविधियों से बचना और संसद में भाग नही ले सकते।
संयुक्त राज्य अमेरिका
राष्ट्रपति एवं सीनेट द्वारा नियुक्ति
कुछ शर्तों के तहत सीमित राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति है।
सिंगापुर
स्वतंत्रता एवं योग्यता आधारित
राजनीतिक संगति से बचना, व्यक्तिगत राजनीतिक संबंधों वाले मामलों में निष्पक्षता बरतना।
ऑस्ट्रेलिया
राजनीतिक संबंध तोड़ना
राजनीतिक सभाओं, धन उगाहने, योगदान एवं सार्वजनिक पूर्वाग्रहों से बचना।
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