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विश्व बैंक द्वारा गरीबी रेखा में संशोधन

Lokesh Pal June 09, 2025 02:50 9 0

संदर्भ

विश्व बैंक ने वर्ष 2021 की कीमतों में वैश्विक मुद्रास्फीति को समायोजित करने के लिए अपनी चरम गरीबी रेखा को संशोधित किया।

नई अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा

  • नई अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (International Poverty Line) वर्ष 2021 में अंतरराष्ट्रीय डॉलर का उपयोग करके $3.00 निर्धारित की गई है।
    • प्रतिदिन $3.00 से कम पर जीवन यापन करने वाले किसी भी व्यक्ति को अत्यधिक गरीबी में रहने वाला माना जाता है।

गरीबी रेखा के बारे में

  • गरीबी रेखा गरीबी की पहचान करने और उसे मापने के लिए प्रयोग की जाने वाली एक सीमा है।
  • यह भोजन, कपड़े आदि जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक आय या उपभोग के न्यूनतम स्तर को परिभाषित करती है।
  • गरीबी रेखा के प्रकार
    • निरपेक्ष गरीबी रेखा: आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की एक निश्चित बास्केट की लागत के आधार पर।
    • सापेक्ष गरीबी रेखा: समाज की औसत आय या खपत के संबंध में गरीबी को परिभाषित करती है।
  • गरीबी रेखा का निर्धारण
    • अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा: विश्व बैंक द्वारा क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर निर्धारित और अद्यतित की जाती है।
    • राष्ट्रीय गरीबी रेखाएँ: अलग-अलग देशों द्वारा स्वयं की विधियों (जैसे- भारत में कैलोरी-आधारित मानदंड) का उपयोग करके परिभाषित की जाती हैं।

आवधिक अद्यतनीकरण के कारण

  • परिवर्तित वैश्विक कीमतों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा को नियमित रूप से संशोधित किया जाता है।
    • ये अद्यतन यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि यह रेखा कम आय वाले देशों में भोजन, कपड़े और आश्रय जैसी बुनियादी जरूरतों की मौजूदा लागतों को दर्शाती है।

विश्व बैंक के गरीबी रेखा संशोधन के मुख्य बिंदु

  • गरीबी रेखा का नवीनतम संशोधन: विश्व बैंक ने वैश्विक गरीबी रेखा को बढ़ाकर $3 प्रतिदिन कर दिया है (पहले यह $2.15 प्रतिदिन थी)।
  • भारत और गरीबी रेखा संशोधन: गरीबी रेखा के उच्च होने के बावजूद, भारत में पहले की तुलना में अब कम लोग गरीब हैं।
  • भारत में अत्यधिक गरीबी में तीव्र गिरावट
    • $3/दिन बेंचमार्क का उपयोग करते हुए अत्यधिक गरीबी दर वर्ष 2011-12 में 27.1% से घटकर वर्ष 2022-23 में 5.3% हो गई।
    • अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 344.47 मिलियन से घटकर 75.24 मिलियन हो गई।
  • भारत में गरीबी में सुधार
    • वर्ष 2011-12 में भारत में 100 में से 27 लोग अत्यधिक गरीब थे।
    • वर्ष 2022-23 में 100 में से केवल 5 लोग बहुत गरीब हैं ($3 की सीमा का प्रयोग करते हुए भी)।
    • इसका अर्थ है कि पिछले 10 वर्षों में गरीबी में अत्यधिक कमी आई है।
  • निम्न-मध्यम आय गरीबी
    • संशोधित निम्न-मध्यम-आय (Low-Middle Income Country – LMIC) श्रेणी की गरीबी रेखा—जो 2017 की कीमतों पर $3.65 प्रतिदिन से बढ़ाकर $4.20 प्रतिदिन निर्धारित की गई है—के अनुसार भारत में गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई है। 
      • इस सीमा के तहत जीवन यापन करने वाले भारतीयों की हिस्सेदारी वर्ष 2011-12 में 57.7% थी, जो वर्ष 2022-23 में घटकर मात्र 23.9% रह गई है।
    • पूर्ण संख्या में, संशोधित LMIC गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 11 वर्षों की अवधि में 732.48 मिलियन से घटकर 342.32 मिलियन हो गई।
  • ग्रामीण बनाम शहरी
    • शहरों की तुलना में गाँवों में गरीबी अधिक है। लेकिन दोनों में सुधार हुआ है:
    • ग्रामीण गरीबी: 69% से 32.5% तक।
    • शहरी गरीबी: 43.5% से 17.2% तक।
  • गरीबी में सुधार के अन्य संकेत
    • लोग प्रति माह अधिक पैसा खर्च कर रहे हैं:
    • गांवों में: प्रति व्यक्ति ₹2,079/माह (₹1,430 से ऊपर)।
    • शहरों में: प्रति व्यक्ति ₹3,632/माह (₹2,630 से ऊपर)।
  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI): विश्व बैंक के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार, भारत में गैर-मौद्रिक गरीबी वर्ष 2005-06 में 53.8 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2022-23 में 15.5 प्रतिशत हो गई है।
  • इस सूचकांक में छह संकेतक शामिल हैं, अर्थात् उपभोग या आय, शैक्षिक प्राप्ति, शैक्षिक नामांकन, पेयजल, स्वच्छता और विद्युत।

क्रय शक्ति समता (PPP) के बारे में

  • क्रय शक्ति समता (PPP) मुद्रा रूपांतरण की दरें हैं, जिनका उद्देश्य देशों के बीच मूल्य स्तरों में अंतर को समायोजित करके विभिन्न मुद्राओं की क्रय शक्ति को समान करना है।
    • इसका उपयोग सकल घरेलू उत्पाद जैसे वृहद आर्थिक समुच्चयों को अंतरराष्ट्रीय तुलनाओं के लिए एक समान मुद्रा में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है
    • आधार अर्थव्यवस्था के सापेक्ष, PPP यह संकेत देते हैं कि प्रत्येक भाग लेने वाली अर्थव्यवस्था में समान बास्केट की लागत कितनी है।
  • PPP की गणना: PPP की गणना अंतरराष्ट्रीय तुलना कार्यक्रम (ICP) द्वारा की जाती है।
    • ICP एक स्वतंत्र सांख्यिकीय कार्यक्रम है।
    • इसका वैश्विक कार्यालय विश्व बैंक के विकास डेटा समूह के अंतर्गत स्थित है।
    • यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग (UNSC) के तत्वावधान में संचालित होता है।

निष्कर्ष

वर्ष 2023-24 के लिए संपूर्ण डेटा अक्टूबर 2025 में विश्व बैंक के गरीबी और असमानता मंच (PIP) के माध्यम से प्रकाशित किया जाएगा, जिससे महामारी के बाद की अवधि में भारत की गरीबी संबंधी प्रवृत्तियों के बारे में गहन जानकारी मिलने की संभावना है।

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