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खेलों की शक्ति और क्षमता

Lokesh Pal October 06, 2025 03:03 17 0

संदर्भ

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि खेलों को समाज के सभी वर्गों के लिए सुलभ होना चाहिए और उन्हें राष्ट्रीय जीवन की एक संस्था के रूप में कार्य करना चाहिए, जिसमें भाईचारे के संवैधानिक मूल्य समाहित हों।

न्यायालय का मुख्य अवलोकन

  • खेल एक कर्मभूमि (कर्तव्य का क्षेत्र) के रूप में कार्य करते हैं, जहाँ सामूहिक उद्देश्य और भाईचारे की भावना होती है।
  • भाईचारे की भावना को कानून द्वारा स्थापित नहीं किया जा सकता, बल्कि खेलों में टीम वर्क और सहयोग जैसे अनुभवों के माध्यम से विकसित किया जा सकता है।
  • खेल प्रशासन को भी उतना ही महत्त्वपूर्ण बताया गया और महासंघों को व्यावसायिकता, दक्षता और ईमानदारी के साथ कार्य करना चाहिए।
  • लोकप्रिय खेलों से उत्पन्न राजस्व और बौद्धिक संपदा (IP) को सुलभ और किफायती आधारभूत स्तर के खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए पुनर्वितरित किया जाना चाहिए।
  • यह निर्णय भारत के खेल पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार पर एक व्यापक बहस का हिस्सा है, विशेष रूप से फीफा द्वारा वर्ष 2022 में AIFF के निलंबन जैसी प्रशासनिक विफलताओं के बाद, जिसने खेल प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को और अधिक मजबूती से प्रदर्शित किया है।

भारत में खेल

  • खेल सातवीं अनुसूची के अंतर्गत एक राज्य’ विषय है।
  • मंत्रालय: युवा मामले और खेल मंत्रालय (MYAS)।
  • प्रमुख निकाय: खेल विभाग के अंतर्गत सोसायटी अधिनियम, 1860 के तहत वर्ष 1984 में स्थापित भारतीय खेल प्राधिकरण।

खेलों की भूमिका 

  • सामाजिक सामंजस्य और एकता: खेल जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा से परे होते हैं और विविधता में भाईचारे और एकता की भावना उत्पन्न करते हैं।
    • उदाहरण: वर्ष 1983 और वर्ष 2011 के क्रिकेट विश्वकप की जीत या नीरज चोपड़ा के वर्ष 2021 के ओलंपिक स्वर्ण पदक ने देश को एकजुट किया।
      • कबड्डी और हॉकी जैसे बुनियादी खेल समुदायों को, विशेषतः ग्रामीण इलाकों में, एकजुट करते रहे हैं।
  • महिलाएँ एवं हाशिये पर स्थित लोगों का सशक्तीकरण: मीराबाई चानू, निखत जरीन और साक्षी मलिक जैसी महिला एथलीटों ने रूढ़िवादिता को तोड़ा है।
  • भाईचारा और करुणा: पैरा-गेम्स सहानुभूति और समावेशिता को बढ़ावा देते हैं।
    • पैरा-एथलीटों ने टोक्यो पैरालिंपिक (2021) में 19 पदक जीते।
    • सुगमता के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का आग्रह महिलाओं और हाशिये पर स्थित समूहों को समान सुविधाएँ प्रदान करने के महत्त्व को रेखांकित करता है।
  • आर्थिक विकास: भारतीय खेल सामग्री क्षेत्र का मूल्य वर्ष 2024 में 4.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर (₹42,877 करोड़) है और वर्ष 2027 तक इसके 6.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर (₹57,800 करोड़) और वर्ष 2034 तक ₹87,300 करोड़ तक बढ़ने का अनुमान है।
    • हालाँकि, आधारभूत स्तर पर असमानता अभी भी स्पष्ट है। भारत में, 62 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में खेल के मैदान जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच नहीं है।
  • स्वास्थ्य और मानव पूँजी: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 2020 से वर्ष 2030 के बीच सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर शारीरिक निष्क्रियता की वैश्विक लागत का अनुमान लगभग 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
    • फिट इंडिया मूवमेंट और राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य खेल संस्कृति को बढ़ावा देकर इन लागतों को कम करना है।
  • मतभेदों को कम करना (विश्वास-निर्माण और नस्लवाद-विरोधी): खेल सामंजस्य, एकीकरण और भेदभाव से लड़ने का एक मंच प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण: रंगभेद के बाद दक्षिण अफ्रीका में, नेल्सन मंडेला ने वर्ष 1995 के रग्बी विश्व कप का प्रयोग अश्वेत और श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों को एकजुट करने के लिए किया था।
      • भारत में, पूर्वोत्तर में फुटबॉल और हॉकी टूर्नामेंट जातीय विभाजन को पाटने में महत्त्वपूर्ण रहे हैं।
  • खेल कूटनीति: खेल कूटनीति को प्रायः सॉफ्ट पॉवर का सबसे कोमल रूप” कहा जाता है।
    • भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2004 की क्रिकेट शृंखला ने राजनीतिक तनाव को कम करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मदद की।

समकालीन खेल कूटनीति

  • भारत की क्रिकेट कूटनीति: IPL प्रसारण अधिकार 6.02 अरब अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2023-2027) में बिके।
    • BCCI ने अफगानिस्तान और मालदीव क्रिकेट का समर्थन किया है, जिससे क्षेत्रीय संबंध मजबूत हुए हैं।
  • शतरंज कूटनीति: भारतीय कोच विदेशों में खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करते हैं (जैसे- रोमानिया, नॉर्वे)।
    • भारत द्वारा शतरंज ओलंपियाड 2022 की मेजबानी ने सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा दिया।
  • पिंग पोंग’ कूटनीति: वर्ष 1971 में, अमेरिका और चीन के बीच संबंध कम तनावपूर्ण हो गए और टेबल टेनिस के आदान-प्रदान के माध्यम से उनमें सुधार होने लगा, जिससे निक्सन की 1972 की यात्रा’ का मार्ग प्रशस्त हुआ।
    • खेलों द्वारा भू-राजनीति को नया रूप देने का एक उत्कृष्ट उदाहरण।
  • ऑस्ट्रेलिया की खेल कूटनीति 2030: भारत-प्रशांत संबंध बनाने, व्यापार को बढ़ावा देने और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए खेलों का उपयोग।
    • दर्शाता है कि कैसे एक सुनियोजित रणनीति खेलों को राष्ट्रीय विदेश नीति में एकीकृत कर सकती है।

खेलों की वास्तविक क्षमता को साकार करने में चुनौतियाँ

  • शासन और संस्थागत कमजोरियाँ: खेल संघ प्रायः पक्षपात, पारदर्शिता की कमी और राजनीतिक हस्तक्षेप (जैसे- वर्ष 2022 में फीफा द्वारा AIFF का निलंबन) से ग्रस्त होते हैं। यह सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी, जवाबदेही और सत्यनिष्ठा का उल्लंघन करता है।
    • उदाहरण: वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के भ्रष्टाचार घोटाले ने भारत की वैश्विक छवि को धूमिल किया।
  • व्यावसायीकरण और अभिजात वर्ग का अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि खेलों को शहरी आर्थिक अभिजात वर्ग के अनन्य अधिकार” में नहीं रहना चाहिए। यह न्याय, निष्पक्षता और अवसर की समानता के मुद्दे उठाता है।
    • IPL और इसी तरह की लीग अरबों कमाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर के एथलीट प्रायः किट या यात्रा भत्ते जैसी बुनियादी चीजों के लिए संघर्ष करते हैं।
  • डोपिंग और मैच फिक्सिंग: विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पूरे विश्व में सर्वाधिक डोपिंग उल्लंघन होते हैं (रूस के बाद भारत दूसरे स्थान पर है)।
    • ईमानदारी, निष्ठा और नैतिक साहस का उल्लंघन; खेल भावना को कमजोर करता है।
    • क्रिकेट में मैच फिक्सिंग कांड (आईपीएल 2013 स्पॉट फिक्सिंग) जनता का विश्वास कम करते हैं।
  • लैंगिक और सामाजिक बाधाएँ: महिला एथलीटों को उत्पीड़न, असमान वेतन और सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है।
    • यह गरिमा, करुणा और मानवाधिकारों के सम्मान का उल्लंघन करता है।
    • उदाहरण: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के आरोपों पर पहलवानों के विरोध प्रदर्शन (2023) ने व्यवस्थागत उपेक्षा को उजागर किया।
  • शोषण और एथलीट कल्याण: ग्रामीण या गरीब पृष्ठभूमि के कई एथलीट नौकरी की सुरक्षा या पेंशन की कमी के कारण खेल छोड़ देते हैं।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी सेवानिवृत्ति के बाद दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं (परमजीत कुमार ने कई जूनियर हॉकी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पंजाब का प्रतिनिधित्व किया और वर्ष 2007 में भारतीय जूनियर हॉकी टीम में भी चुने गए थे)।
  • राष्ट्रीय हित बनाम सार्वभौमिक मूल्यों की दुविधाएँ: खेल संबंध प्रायः राजनीति से जुड़ जाते हैं (उदाहरण के लिए, वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान क्रिकेट निलंबित)।
    • भारतीय खिलाड़ियों ने वर्ष 2025 एशिया कप में आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका के प्रतीकात्मक विरोध के रूप में, विशेषतः पहलगाम हमले के बाद, हाथ मिलाने से इनकार कर दिया।
    • खेल कूटनीति मानवाधिकार संबंधी चिंताओं को भी छिपा सकती है (उदाहरण के लिए, कतर फीफा विश्व कप 2022 की आलोचना)।
  • पदकों और राष्ट्रवाद पर अत्यधिक बल: पदकों पर अत्यधिक ध्यान मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है (उदाहरण के लिए, सिमोन बाइल्स ने दबाव का हवाला देते हुए वर्ष 2021 टोक्यो ओलंपिक से नाम वापस ले लिया)।
    • भारत में, पदक न जीतने वाले एथलीटों को प्रायः उपेक्षा का सामना करना पड़ता है।
    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सहानुभूति और मानवीय गरिमा को कमजोर करता है; एथलीटों को इंसान की बजाय पदक जीतने वाली मशीन बना देता है।
  • विकास, पर्यावरणीय नैतिकता और वितरणात्मक न्याय के बीच टकराव: ओलंपिक या एशियाई खेलों जैसे बड़े आयोजनों की मेजबानी में भारी लागत, विस्थापन और पारिस्थितिकी क्षति शामिल होती है।
    • उदाहरण: वर्ष 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में हजारों झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग विस्थापित हुए।

आगे की राह

  • समावेशी अवसंरचना विकास: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खेल के मैदानों और खेल सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • राष्ट्रीय खेल नीति (NSP) 2025 के स्तंभोंखेल एक जन आंदोलन के रूप में” और “NEP 2020 के साथ एकीकरण” से जोड़ना।

राष्ट्रीय खेल नीति (NSP) 2025 – खेलो भारत नीति

  • पृष्ठभूमि: भारत की पहली राष्ट्रीय खेल नीति वर्ष 1984 में शुरू की गई थी, जिसे वर्ष 2001 में संशोधित किया गया और अब राष्ट्रीय खेल नीति (NSP) 2025 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
  • उद्देश्य: राष्ट्र के समग्र विकास के लिए खेलों की शक्ति का उपयोग करना।
  • महत्त्व: यह नीति शासन की कमियों, अभिजात्यवाद, समावेशिता की कमी और जमीनी स्तर पर अपर्याप्त वित्तपोषण जैसी कई चुनौतियों का प्रत्यक्ष समाधान करती है और इसका उद्देश्य खेलों को आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय और शिक्षा सुधारों के साथ जोड़ना है।

NSP 2025 के प्रमुख स्तंभ

  • वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता: जमीनी स्तर से अभिजात्य वर्ग तक के मार्ग को मजबूत करना, राष्ट्रीय खेल महासंघों के शासन को उन्नत करना।
  • आर्थिक विकास: खेल पर्यटन, स्टार्ट-अप और खेलों में उद्यमिता को बढ़ावा देना।
  • सामाजिक विकास: महिलाओं, कमजोर वर्गों और दिव्यांग एथलीटों की भागीदारी के माध्यम से समावेशिता।
  • जन आंदोलन के रूप में खेल: सार्वभौमिक पहुँच, फिटनेस संस्कृति, जन भागीदारी।
  • NEP 2020 के साथ एकीकरण: पाठ्यक्रम में खेल, शिक्षक प्रशिक्षण, स्कूलों में प्रतिभा पहचान।

रणनीतिक ढाँचा

  • शासन: संघों के लिए मजबूत कानूनी और नियामक ढाँचा।
  • निजी क्षेत्र का समर्थन: सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP), कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) निधिकरण और नवोन्मेषी वित्तपोषण।
  • प्रौद्योगिकी: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डेटा विश्लेषण और राष्ट्रीय स्तर की निगरानी ढाँचे का उपयोग।

  • पारदर्शी एवं जवाबदेह शासन: सच्चाई, निष्ठा और व्यावसायिकता सुनिश्चित करने के लिए खेल संघों में सुधार लागू करना।
    • भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद पर अंकुश लगाने के लिए एक कानूनी और नियामक ढाँचा अपनाना।
  • समान संसाधन वितरण: IPL जैसी हाई-प्रोफाइल लीगों से प्राप्त राजस्व को जमीनी स्तर के खेलों और हाशिए पर स्थित समूहों में पुनर्वितरित करना।
    • स्थानीय अकादमियों के वित्तपोषण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) मॉडल को प्रोत्साहित करना।
  • नैतिकता और खेल भावना को बढ़ावा देना: डोपिंग विरोधी, निष्पक्ष खेल और लैंगिक संवेदनशीलता के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करना।
    • खिलाड़ियों के प्रशिक्षण में नैतिक नेतृत्व और मूल्यों (न्याय, सहानुभूति, सहिष्णुता) को शामिल करना।
  • खेल कूटनीति का लाभ उठाना: खेलों को सांस्कृतिक कूटनीति और शांति-निर्माण के एक साधन के रूप में उपयोग करना, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि यह राजनीति से बँधे न रहें।
    • क्षेत्रीय खेल सहयोगों (सार्क, बिम्सटेक) में भारत की भूमिका का विस्तार करके संबंधों को मजबूत करना।
  • प्रौद्योगिकी एवं नवाचार: प्रतिभा पहचान, चोट में कमी और प्रदर्शन अनुकूलन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विश्लेषण और खेल विज्ञान का उपयोग करना।
    • उत्तरदायित्व के लिए राष्ट्रीय स्तर के ढाँचे के माध्यम से निगरानी करना (जैसा कि राष्ट्रीय खेल नीति-2025 में परिकल्पित है)।

निष्कर्ष

भारत में खेलों को अभिजात वर्ग के विशेषाधिकार से विकसित होकर प्रत्येक नागरिक का अधिकार बनना होगा। समावेशीपन, पारदर्शिता और नैतिक मूल्यों को अपनाकर, भारत खेलों को भाईचारे, उत्कृष्ट शासन और सॉफ्ट पॉवर कूटनीति की एक शक्ति में बदल सकता है। ऐसा करके, यह सर्वोच्च न्यायालय के उस दृष्टिकोण को साकार करता है कि खेल राष्ट्रीय जीवन की एक संस्था और समग्र राष्ट्र-निर्माण के उत्प्रेरक हैं।

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