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विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करने की शक्ति

Lokesh Pal May 15, 2024 07:15 209 0

संदर्भ

हाल ही में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने निर्णय दिया है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष निर्धारित समय सीमा के भीतर विधायकों का त्याग-पत्र स्वीकार कर सकते हैं अथवा नहीं।

संबंधित तथ्य 

  • मामला: गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के तीन निर्दलीय विधायकों ने अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपकर भाजपा में शामिल हो गए थे।
    • हालाँकि उनके इस्तीफे को तुरंत स्वीकार नहीं किया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर स्पष्टीकरण माँगा है तथा तीनों विधायकों को उपस्थित होने का निर्देश दिया है ताकि उनके ‘स्वैच्छिक इस्तीफे’ की जाँच हो सके।
    • इन विधायकों ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें ‘कारण बताओ नोटिस’ को रद्द करने और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) द्वारा बिना किसी देरी के उनका इस्तीफा स्वीकार करने की माँग की गई है।
  • खंडित निर्णय (Split Judgment)
    • मुख्य न्यायाधीश एम. एस. रामचंद्र राव ने विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर अंकुश लगाने या उनमें हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष एक संवैधानिक अधिकारी होता है।
      • उदाहरण के लिए, प्रताप गौड़ा पाटिल बनाम कर्नाटक राज्य (2019) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक विधानसभा के 15 सदस्यों के इस्तीफे से संबंधित मामले में कार्रवाई हेतु अध्यक्ष के लिए समय सीमा निर्धारित करने से इनकार कर दिया है।
    • दूसरी ओर, न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ ने इस्तीफे पर कार्रवाई करने के लिए स्पीकर को दो सप्ताह का समय दिया है।
      • यदि अध्यक्ष अपनी शक्तियों और कर्तव्यों का उपयोग करने में अनुचित समय लेता/ लेती है तो न्यायालय ‘त्वरित निर्णय’ (Prompt decision) लेने का निर्देश दे सकता है।
      • राजेंद्र सिंह राणा बनाम स्वामी प्रसाद मौर्य (2007) मामले में उच्चतम न्यायालय की पाँच सदस्यीय पीठ के निर्णय के आधार पर, न्यायालय ने बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) के 13 विधायकों को यह मानते हुए अयोग्य घोषित कर दिया था कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय सीमा (तीन वर्ष से अधिक) के अंदर निर्णय लेने में विफल रहे थे।

संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधान

  • संविधान का अनुच्छेद-190(3)(b): इस अनुच्छेद में कहा गया है कि यदि कोई विधायक अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंपता है तथा उसका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो संबंधित विधानसभा सीट को खाली माना जाएगा।
    • हालाँकि, यह अनुच्छेद विधानसभा अध्यक्ष को ‘स्वैच्छिक इस्तीफे’ की जाँच करने तथा इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार करने की भी अनुमति देता है।
  • ‘हिमाचल प्रदेश विधानसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन’ का नियम 287
    • यह अध्यक्ष की शक्तियों की रक्षा करता है।
    • यदि त्याग-पत्र व्यक्तिगत रूप से अध्यक्ष को सौंपा गया हो और सदस्य द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को ‘स्वैच्छिक और वास्तविक इस्तीफे’ के बारे में सूचित किया गया हो,
      • नियम 287 में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में ‘अध्यक्ष इस्तीफे को तुरंत स्वीकार कर सकता है’।
      • किंतु अगर अध्यक्ष असंतुष्ट है कि इस्तीफा स्वैच्छिक या वास्तविक नहीं है, तो उसे इस्तीफा अस्वीकार करने की शक्ति प्राप्त है।

विधानसभा अध्यक्ष (Speaker of Legislative Assembly)

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-178 के तहत, किसी राज्य की विधानसभा अपने सदस्यों में से किसी सदस्य को अध्यक्ष के रूप में चुनती है।
  • विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका और अधिकार
    • विधानसभा का पारंपरिक और औपचारिक प्रमुख विधानसभा अध्यक्ष होता है।
    • पूर्ण एवं निष्पक्ष अधिकारों के कारण अध्यक्ष सदन में सर्वोच्च होता है।
    • अध्यक्ष सदन के संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
  • संचार और प्रतिनिधित्व
    • विभिन्न कार्यों में सदन का प्रतिनिधित्व करता है।
    • सदन और राज्यपाल के बीच संचार को सुगम बनाता है।
    • सदन के आदेशों को क्रियान्वित करने के लिए वारंट जारी करता है।
  • वाद-विवाद और कार्यवाही का नियंत्रण 
    • सदन की बहस और कार्यवाही को नियंत्रित करता है।
    • प्रश्नों, संकल्पों, प्रस्तावों और याचिकाओं की स्वीकार्यता पर निर्णय लेता है।
    • व्यवस्था बनाए रखना और नियमों का पालन करवाना उसका कर्तव्य है।
    • विधानसभा सदस्यों के बोलने का क्रम एवं समय सीमा का निर्धारण करता है।
    • सदन में पार्टियों और समूहों को मान्यता देता है।
  • धन संबंधी मामलों और मतदान में भूमिका
    • विधानसभा के अंदर विशेष रूप से ‘धन’ से संबंधित मामलों का निर्धारण करता है।
    • किसी विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करने का अंतिम अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को प्राप्त है।
    • संविधान के प्रावधानों के अनुसार, मत की बराबरी होने की स्थिति में निर्णायक मत का प्रयोग करता है।
  • विशेषाधिकारों और अनुशासनात्मक शक्तियों का संरक्षण
    • विशेषाधिकार के उल्लंघन या अवमानना के लिए प्रथम दृष्टया मामलों का निर्धारण विधानसभा अध्यक्ष करता है।
    • सदन से संबंधित संविधान और प्रावधानों की व्याख्या करता है।
    • कई प्रावधानों के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष को अनुशासनात्मक शक्तियाँ प्राप्त हैं।
  • कार्यकाल और कार्यालय
    • विधानसभा अध्यक्ष अपने चुनाव से लेकर अगली विधानसभा की पहली बैठक तक अपने पद पर बना रहता है।
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-179 के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष अपनी सदस्यता रहने तक अध्यक्ष रह सकता है।

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