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प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना

Lokesh Pal November 20, 2025 03:47 12 0

संदर्भ

संशोधित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वर्ष 2026 के खरीफ सीजन से शुरू की जाएगी।

संशोधित PMFBY के तहत किए गए मुख्य परिवर्तन

  • जोड़े गए प्रावधान: जंगली जानवरों के हमलों से होने वाले फसल नुकसान को स्थानीयकृत जोखिमों के अंतर्गत पाँचवें अतिरिक्त कवर के रूप में शामिल किया गया है।
    • राज्य ऐतिहासिक आँकड़ों के आधार पर जंगली जानवरों (जैसे- हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण, बंदर) और संवेदनशील जिलों की सूची जारी करेंगे।
  • पुनर्संरक्षण: धान की खेती के दौरान आने वाली बाढ़ को, जिसे वर्ष 2018 में हटा दिया गया था, अब फिर से स्थानीयकृत आपदा कवरेज के रूप में बहाल कर दिया गया है।
    • यह बाढ़-प्रवण और तटीय राज्यों को शामिल करता है, जहाँ अत्यधिक वर्षा और नदी के उफान के कारण धान का जलमग्न होना सामान्य बात है।
  • अनिवार्य रिपोर्टिंग: किसानों को फसल बीमा ऐप का उपयोग करके 72 घंटों के भीतर फसल नुकसान की सूचना देनी होगी।
    • रिपोर्टिंग के लिए क्षतिग्रस्त खेतों की जियो-टैग की गई तस्वीरें अपलोड करना आवश्यक है ताकि त्वरित, पारदर्शी और तकनीक-संचालित दावा प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।

जंगली जानवरों के हमलों से फसल के नुकसान को शामिल करने के लाभ

  • वन-आसन्न और वन्यजीव-संघर्ष-प्रवण क्षेत्रों में किसानों के लिए वित्तीय तनाव कम करता है।
  • फसल बीमा ऐप पर अनिवार्य जियोटैग्ड फोटो, रिपोर्टिंग के माध्यम से समय पर मुआवजा सुनिश्चित करता है।
  • वन्यजीवों के विरुद्ध जवाबी कार्रवाई को कम करके मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करता है।
    • विष, आतिशबाजी, जाल आदि जैसे प्रतिकारक उपायों के उपयोग के कारण हाथी और अन्य जानवर मारे जाते हैं या घायल हो जाते हैं।
  • यह उन क्षेत्रों के लिए जोखिम कवरेज को सुदृढ़ करता है, जहाँ हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण या बंदरों के लगातार आक्रमण की समस्या रहती है।
    • बंदर हिमाचल प्रदेश के मूल्यवान सेब के बागों सहित, लाखों डॉलर मूल्य की वार्षिक फसल क्षति का कारण बन रहे हैं।
  • जलवायु और पारिस्थितिकी के प्रति संवेदनशील कृषि का समर्थन करता है, जहाँ वन्यजीवों का दबाव जलवायु-जनित जोखिमों को और बढ़ा देता है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के बारे में

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को वर्ष 2016 में एक राष्ट्र-एक योजना मॉडल के तहत राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) के स्थान पर शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य: PMFBY का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं (ओलावृष्टि, सूखा, अकाल), कीटों और बीमारियों से होने वाली फसल हानि के विरुद्ध किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।
    • अप्रत्याशित घटनाओं से होने वाली फसल क्षति या नुकसान से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता और सहयोग प्रदान करना।
    • किसानों की आय को स्थिर करना और खेती में निरंतरता सुनिश्चित करना।
    • किसानों को आधुनिक और नवीन कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
    • फसल विविधीकरण और किसानों की ऋण-योग्यता सुनिश्चित करना, कृषि क्षेत्र के विकास और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाना और किसानों को उत्पादन जोखिमों से बचाना।
  • पात्रता: बटाईदार और काश्तकार सहित किसान, अधिसूचित क्षेत्रों में फसलें उगाने वाले किसान।

PMFBY के तहत आने वाली फसलें

  • अधिसूचित क्षेत्रों में अनाज, बाजरा और दालों जैसी खाद्य फसलों का बीमा किया जाता है।
  • तिलहन फसलें, जिनके पास पर्याप्त ऐतिहासिक उपज आँकड़े हों, कवरेज के लिए योग्य हैं।
  • जहाँ मानक फसल-कटाई अनुमान उपलब्ध हों, वहाँ वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों का बीमा किया जाता है।
  • बारहमासी बागवानी फसलों का बीमा स्वीकृत उपज-अनुमान विधियों वाली पायलट परियोजनाओं के तहत किया जा सकता है।

बीमा प्रीमियम के लिए लागत साझाकरण

  • किसान निश्चित सब्सिडी वाले प्रीमियम का भुगतान करते हैं: खरीफ के लिए 2%, रबी के लिए 1.5% और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए 5%।
  • सरकार शेष राशि सब्सिडी के रूप में वहन करती है, जो इस प्रकार विभाजित है:
    • सामान्य राज्य: 50% केंद्र + 50% राज्य
    • पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्य: 90% केंद्र + 10% राज्य
  • सिंचित जिलों में केंद्रीय सब्सिडी सकल प्रीमियम के 25% और असिंचित जिलों में 30% तक सीमित है; अतिरिक्त राशि राज्यों द्वारा वहन की जाती है।

PMFBY के तहत कवर किए गए जोखिम

  • उपज हानि: सूखा, बाढ़, चक्रवात, तूफान, ओलावृष्टि, कीटों के हमले और पौधों की बीमारियों जैसी गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक घटनाओं को कवर करता है।
  • बुवाई में देरी: शुरुआती मौसम के प्रतिकूल होने के कारण किसानों द्वारा बुवाई न कर पाने की स्थिति में बीमित राशि का 25% तक प्रदान करता है।
  • कटाई के बाद की हानि: कटाई के 14 दिन बाद तक तक की फसलों को भी शामिल करता है।
  • स्थानीय आपदाएँ: इसमें ओलावृष्टि, भूस्खलन, जलप्लावन और धान के जलप्लावन भी शामिल हैं।
  • जंगली जानवरों के हमले: राज्य सरकारों द्वारा पहचानी गई अधिसूचित प्रजातियों से होने वाली फसल क्षति के लिए मुआवजा शामिल है।

निष्कर्ष

वन्यजीव क्षति और धान की जल प्लावनता के साथ संशोधित PMFBY कृषि अनुकूलन और किसान सुरक्षा को बढाती है, संघर्षों को कम करती है, तथा भारत में एक न्यायसंगत, उत्तरदायी और भविष्य-सक्षम फसल बीमा प्रणाली को प्रोत्साहित करती है।

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