केंद्र सरकार परिशुद्ध कृषि (Precision Farming) को बढ़ावा देने के लिए 6,000 करोड़ रुपये आवंटित करने की योजना बना रही है।
संबंधित तथ्य
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) योजना के अंतर्गत ‘स्मार्ट प्रिसिजन हॉर्टिकल्चर प्रोग्राम’ शुरू करने का प्रावधान है।
परिशुद्ध कृषि (Precision Farming)
परिशुद्ध कृषि (PA) एक आधुनिक कृषि दृष्टिकोण है जो ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ड्रोन और डेटा एनालिटिक्स जैसी स्मार्ट तकनीकों का उपयोग करने पर केंद्रित है।
मुख्य लक्ष्य: इसका उद्देश्य संपूर्ण कृषि प्रबंधन के लिए एक निर्णयन प्रणाली का निर्माण करना है, जो प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करते हुए संसाधन उपयोग को अनुकूलित करने और पैदावार में सुधार करने में मदद करता है।
स्मार्ट प्रिसिजन हॉर्टिकल्चर प्रोग्राम
यह केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक पहल है।
यह कार्यक्रम वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक 15,000 एकड़ भूमि को कवर करेगा।
इसका लक्ष्य लगभग 60,000 किसानों को लाभ पहुँचाना है।
परिशुद्ध कृषि विकास केंद्र (PFDCs)
केंद्र ने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार, कृषि प्रौद्योगिकियों का परीक्षण और संशोधन करने के लिए 22 PFDCs स्थापित किए हैं।
ये PFDCs तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि सहित कई राज्यों के राज्य/केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों, ICAR संस्थानों और IITs में स्थित हैं।
परिशुद्ध कृषि संबंधी चुनौतियाँ
उच्च लागत: GPS और ड्रोन जैसे उपकरण महंगे हैं, जिससे कई किसान उन्हें खरीद नहीं पाते।
मानकीकरण का अभाव: डेटा संग्रह के लिए कोई सामान्य नियम नहीं हैं, जो परिशुद्ध कृषि के प्रभावी उपयोग को जटिल बनाता है।
कनेक्टिविटी संबंधी समस्याएँ: वास्तविक समय में डेटा साझा करने के लिए विश्वसनीय इंटरनेट की आवश्यकता होती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर मजबूत कनेक्शन की कमी होती है।
पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे मृदा की क्षति और जल की कमी जैसी समस्याएँ पैदा होती हैं।
कृषि के लिए अन्य प्रमुख पहल
कृषि अवसंरचना निधि (AIF)
कोविड-19 के दौरान शुरू किया गया AIF स्मार्ट और सटीक कृषि में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए ऋण प्रदान करता है।
किसान, किसान उत्पादक संगठन (FPO), प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ और स्वयं सहायता समूह (SHG) 3% ब्याज अनुदान के साथ ऋण के लिए पात्र हैं।
तकनीकी समाधानों के लिए वित्तपोषण उपलब्ध है, जैसे:-
खेत/फसल स्वचालन
ड्रोन
विशेष सेंसर
ब्लॉकचेन और AI
कृषि में रिमोट सेंसिंग और IoT
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
सरकार नीदरलैंड और इजरायल जैसे देशों के साथ साझेदारी करना चाहती है, जो उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए जाने जाते हैं।
अगले पाँच वर्षों में आधुनिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए 100 उत्कृष्टता केंद्र (CoEs) स्थापित करने की योजना है।
भारत-इजरायल कृषि परियोजना के अंतर्गत अब तक 14 राज्यों में 32 उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण किया जा चुका है।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सहायता
कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना जैसी योजनाओं के तहत AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करने वाली परियोजनाओं के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को धन उपलब्ध कराया जाता है।
केंद्रीय बजट 2024-25 में कृषि संबंधी पहल
नमो ड्रोन दीदी योजना
यह योजना मार्च 2024 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य 15,000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि उद्देश्यों के लिए किसानों को किराये पर देने हेतु ड्रोन प्रदान करना है।
कार्यान्वयन अवधि वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक है।
केंद्रीय बजट वर्ष 2024-25 के तहत इस पहल के लिए 500 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को कृषि में तकनीकी प्रगति से एकीकृत करके उन्हें सशक्त बनाएगी, जिससे उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
ड्रोन परिशुद्ध कृषि (Precision Agriculture) के माध्यम से कृषि दक्षता को बढ़ाएँगे, जिससे बेहतर फसल प्रबंधन और उपज अनुकूलन हो सकेगी।
प्राकृतिक कृषि हेतु समर्थन
एक करोड़ किसानों को प्रामाणीकरण और ब्रांडिंग के माध्यम से प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
प्राकृतिक कृषि एक कृषि पद्धति है, जिसमें फसलों की कृषि के लिए न्यूनतम हस्तक्षेप और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर जोर दिया जाता है।
यह कार्य वैज्ञानिक संस्थाओं और इच्छुक ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाएगा।
राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन के तहत वर्ष 2024-25 के लिए 365.64 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
10,000 आवश्यकता आधारित जैव-आगत संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएँगे।
जन समर्थ आधारित किसान क्रेडिट
राज्यों में जन समर्थन आधारित किसान क्रेडिट जारी करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे एकल खिड़की ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से 13 सरकारी योजनाओं तक पहुँच सुगम हो जाएगी।
दलहन, तिलहन और सब्जी उत्पादन
दलहनों और तिलहनों में आत्मनिर्भरता हासिल करने हेतु एक रणनीति तैयार की जा रही है, जो महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत वर्तमान में खाद्य तेल के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
प्रमुख उपभोग केंद्रों के निकट सब्जी उत्पादन हेतु बड़े पैमाने पर क्लस्टर विकसित किए जाएँगे।
इसमें कुशल आपूर्ति शृंखलाओं के लिए किसान-उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना शामिल है।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था
सरकार ने सहकारी क्षेत्र के व्यवस्थित और सुव्यवस्थित सर्वांगीण विकास के लिए राष्ट्रीय सहयोग नीति की घोषणा की।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को गति देना और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन करना नीति का लक्ष्य होगा।
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