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प्रीफायर (पोलर रेडियंट एनर्जी इन द फार-इन्फ्रारेड एक्सपेरिमेंट)

Lokesh Pal May 20, 2024 05:25 180 0

संदर्भ 

आर्कटिक और अंटार्कटिक का अध्ययन करने के लिए नासा अपना नया ध्रुवीय मिशन प्रीफायर (पोलर रेडियंट एनर्जी इन द फार-इन्फ्रारेड एक्सपेरिमेंट-Polar Radiant Energy in the Far-InfraRed Experiment) लॉन्च करने जा रहा है, जिसमें इस बात पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा कि ये क्षेत्र अंतरिक्ष में किस प्रकार ऊष्मा उत्सर्जित करते हैं।

संबंधित तथ्य

  • मिशन को प्रीफायर (पोलर रेडियंट एनर्जी इन द फार-इन्फ्रारेड एक्सपेरिमेंट-Polar Radiant Energy in the Far-InfraRed Experiment) कहा गया है।
    • पहला उपग्रह: दो छोटे उपग्रहों में से पहला 22 मई को न्यूजीलैंड से लॉन्च होगा।
    • दूसरा उपग्रह: दूसरे उपग्रह (क्यूबसैट) को पहले उपग्रह के दो सप्ताह बाद लॉन्च किया जाएगा।

प्रीफायर (PREFIRE) मिशन:

  • उद्देश्य: पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों का अध्ययन करना।
  • PREFIRE जलवायु के प्रति समझ को बेहतर बनाने के लिए पृथ्वी के ध्रुवों से ऊष्मा विकिरण को लक्षित करता है।
  • यह जलवायु विज्ञान के एक महत्त्वपूर्ण पहलू- ऊर्जा संतुलन और जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभाव को समझने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।

मिशन का उद्देश्य

  • PREFIRE मिशन का लक्ष्य पहले से अस्पष्ट पहलुओं पर प्रकाश डालना है कि आर्कटिक और अंटार्कटिक में पृथ्वी का वायुमंडल और बर्फ का आवरण अंतरिक्ष में मुक्त होने वाली ऊष्मा की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करता है।
  • ऊष्मा उत्सर्जन अध्ययन: समझें कि 1970 के दशक के बाद से आर्कटिक विश्व के बाकी हिस्सों की तुलना में 2.5 गुना अधिक तीव्रता से क्यों गर्म हुआ है।

उपग्रह (क्यूबसैट)

दो छोटे उपग्रह (घन उपग्रह) एक शू-बॉक्स (जूते के डिब्बे) के आकार के हैं।

विशेषताएँ

  • क्यूबसैट सेंसर से युक्त है।
    • यह ध्रुवों का अध्ययन करते समय क्यूबसैट को अवरक्त तरंगदैर्ध्य के व्यापक क्षेत्र  (पहले की तुलना में 10 गुना अधिक) पर डेटा एकत्र करने में सहायक होगा।
  • थर्मल इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर: उपग्रह एक थर्मल इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर से युक्त होते हैं।
    • यह पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित एक अल्प-अध्ययन प्रकार की दीप्तिमान ऊर्जा (Radiant Energy) को मापता है।

    • सुदूर-अवरक्त ऊष्मा का उत्सर्जन: समझें कि बर्फ, समुद्री बर्फ और अन्य सामग्रियाँ कितने उचित  प्रकार से सुदूर-अवरक्त ऊष्मा को उत्सर्जित करती हैं तथा बादल अंतरिक्ष में जाने वाली इस ऊष्मा को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।
  • पूर्वानुमानित अंतर्दृष्टि: पृथ्वी और अंतरिक्ष के मध्य ताप विनिमय में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों और बर्फ के पिघलने, वायुमंडलीय तापमान और वैश्विक मौसम पर उनके प्रभावों पर भविष्यवाणियों की सटीकता में सुधार देखा जा सकता है।
  • लागत दक्षता: पूर्ण आकार के उपग्रहों की तुलना में कम लागत वाले प्लेटफॉर्म का उपयोग करके महत्त्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन डेटा उपलब्ध कराना।

पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्र

  • ध्रुवीय क्षेत्रों को शीत क्षेत्र या ध्रुवीय क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है।
    • इनकी अवस्थिति पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के चारों ओर है।
    • ये क्षेत्र ध्रुवीय वृत्तों के भीतर स्थित हैं।
  • उत्तर में उच्च अक्षांशों में आर्कटिक महासागर के अधिकांश हिस्से को कवर करने वाली तैरती हुई समुद्री बर्फ (Floating Sea Ice) दिखाई देती है।
  • दक्षिण में, अंटार्कटिक बर्फ की चादर का अंटार्कटिका महाद्वीप और दक्षिणी महासागर तक  विस्तार देखा जाता है।
  • ध्रुवों पर जलवायु की स्थिति
    • कम तीव्र सौर विकिरण
      • ध्रुवीय क्षेत्रों को पृथ्वी के अन्य भागों की तुलना में कम तीव्र सौर विकिरण प्राप्त होता है।
    • सूर्य की ऊर्जा का अलंबवत कोण
      • सूर्य की ऊर्जा अलंबवत कोण पर आती है।
      • यह विशाल क्षेत्र में प्रसारित होता है और कम संकेंद्रित हो जाता है।
    • वायुमंडल के माध्यम से लंबी दूरी
      • सौर ऊर्जा पृथ्वी के वायुमंडल से होकर एक लंबी दूरी तय करती है।
      • इस यात्रा में इसे अवशोषित, प्रकीर्णित या प्रतिबिंबित किया जा सकता है।
    • मौसमी तापमान भिन्नता
      • यह घटना ठीक उसी प्रकार है, जैसे-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सर्दियाँ अन्य मौसमों की तुलना में अधिक तीव्र होती हैं।

पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों का अध्ययन करने के प्रमुख कारण

  • ग्रहों का संतुलन बनाए रखना
    • पृथ्वी और जलवायु के मध्य संबंध: पृथ्वी का तापमान और जलवायु सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा तथा अंतरिक्ष में पुन: उत्सर्जित होने वाली ऊष्मा के बीच एक नाजुक संतुलन पर निर्भर करते हैं।
      • ध्रुवीय क्षेत्र पृथ्वी से मुक्त होने वाली  ऊष्मा की मात्रा को प्रभावित करके इस संतुलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • वैश्विक मौसम प्रणाली पर प्रभाव
    • मौसम प्रणाली: ध्रुवीय क्षेत्रों में परिवर्तन, जैसे बर्फ का पिघलना और बादलों का परिवर्तित होना, वैश्विक मौसम प्रणालियों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
      • इन क्षेत्रों का अध्ययन करने से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि वे दुनिया भर में तूफान, बाढ़ और तटीय कटाव जैसी चरम मौसमी घटनाओं को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।

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