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जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन हटाया गया

Lokesh Pal October 15, 2024 04:11 100 0

संदर्भ

13 अक्टूबर, 2024 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक राजपत्रित अधिसूचना जारी कर जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन हटाने की घोषणा की, जो कि 31 अक्टूबर, 2019 से लागू था।

संबंधित तथ्य 

  • केंद्रीय शासन की समाप्ति: छह वर्ष बाद राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया, जो पहली बार जून 2017 में लगाया गया था, जब PDP-BJP गठबंधन टूट गया था।
    • जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत राज्य को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेशों (जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख) में पुनर्गठित करने के बाद जम्मू और कश्मीर में केंद्रीय शासन लागू किया गया था।

राज्यों में राष्ट्रपति शासन: संवैधानिक प्रावधान एवं कार्यान्वयन

पक्ष

विवरण 

आपातकाल की घोषणा के आधार
  • इसे राज्य आपातकाल के नाम से भी जाना जाता है।
  • अनुच्छेद-355: प्रत्येक राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाना तथा यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार चले, केंद्र का कर्तव्य है।
  • अनुच्छेद-356: राज्यपाल की रिपोर्ट से/उसके बिना संतुष्ट होने पर राष्ट्रपति यह घोषणा करेंगे कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती।
  • अनुच्छेद-365: यदि कोई राज्य केंद्र के किसी निर्देश का पालन करने में विफल रहता है।
संसदीय अनुमोदन
  • दोनों सदनों में साधारण बहुमत।
  • ऐसे मुद्दों के दो महीने के भीतर दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए।
  • यदि आपातकाल की घोषणा उस समय की जाती है, जब लोकसभा भंग हो चुकी हो या लोकसभा का विघटन, घोषणा को मंजूरी दिए बिना दो महीने की अवधि के दौरान होता है तो घोषणा, लोकसभा के पुनर्गठन के बाद उसकी पहली बैठक से 30 दिन तक प्रभावी रहती है, बशर्ते कि इस बीच राज्यसभा ने उसे मंजूरी दे दी हो।
अवधि
  • हालाँकि, इसे प्रत्येक 6 माह मे साधारण बहुमत से संसदीय अनुमोदन से अधिकतम 3 वर्ष की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है।
  • 44वाँ संशोधन: राष्ट्रपति शासन को एक वर्ष से अधिक की अवधि के अतिरिक्त 6 महीने के लिए तभी बढ़ाया जा सकता है, जब निम्नलिखित शर्तें पूरी हो:-
    • यदि पूरे भारत या राज्य के किसी भाग में राष्ट्रीय आपातकाल लागू हो।
    • यदि चुनाव आयोग यह प्रमाणित कर दे कि कठिनाइयों के कारण चुनाव नहीं कराए जा सकते है।
न्यायिक समीक्षा
  • 38वाँ संशोधन: अनुच्छेद-356 के तहत राष्ट्रपति की संतुष्टि को न्यायिक समीक्षा से मुक्त कर दिया गया।
  • 44वाँ संशोधन: उपरोक्त प्रावधान हटा दिया गया। अब इसके क्रियान्वयन के पीछे के कारण की समीक्षा की जा सकती है।
निरसन
  • राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय बाद में उद्घोषणा द्वारा इसे रद्द किया जा सकता है। 
  • ऐसी उद्घोषणा के लिए संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।

राज्य प्रशासन पर राष्ट्रपति शासन का प्रभाव: शक्तियाँ एवं कार्य

  • राष्ट्रपति, राज्य सरकार के कार्यों एवं राज्यपाल या किसी अन्य कार्यकारी प्राधिकरण में निहित शक्तियों को अपने अधिकार में ले सकता है।
  • वह घोषणा कर सकता है कि राज्य विधानमंडल की शक्तियों का प्रयोग संसद द्वारा किया जाएगा।
  • वह राज्य में किसी भी व्यक्ति या प्राधिकरण से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों को निलंबित करने सहित सभी आवश्यक कदम उठा सकता है।

राष्ट्रपति शासन का प्रभाव

राज्य की कार्यपालिका 
  • मंत्रिपरिषद की बर्खास्तगी: वह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद को बर्खास्त कर सकता है।
    • राज्य प्रशासन का संचालन राष्ट्रपति की ओर से मुख्य सचिव की सहायता से राज्यपाल द्वारा किया जाता है।
    • इसलिए, इस घोषणा को आमतौर पर राज्य में ‘राष्ट्रपति शासन’ लागू करने के रूप में संदर्भित किया जाता है।
राज्य की विधायी शक्ति 
  • राज्य विधानसभा का निलंबन या विघटन: राष्ट्रपति राज्य विधानसभा को निलंबित या भंग कर सकता है।
  • संसद की शक्तियाँ और कार्य
    • जब राज्य विधानमंडल को इस प्रकार निलंबित या विघटित कर दिया जाता है, तो संसद राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति राष्ट्रपति या इस प्रयोजन के लिए राष्ट्रपति द्वारा चुने गए किसी अन्य नामित प्राधिकारी को सौंप सकती है।
    • संसद या प्रतिनिधि, राष्ट्रपति अथवा एक अन्य निर्दिष्ट प्राधिकारी, केंद्र सरकार एवं उसके अधिकारियों को जिम्मेदारियाँ प्रदान करने वाले कानून बना सकते है।
    • संसद राज्य विधेयक और बजट पारित करती है।
    • संसद या राष्ट्रपति अथवा किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा निर्मित कानून, राष्ट्रपति शासन के बाद भी प्रभावी रहते हैं।
    • राष्ट्रपति राज्य समेकित निधि से व्यय को मंजूरी दे सकते हैं, जबकि लोकसभा सत्र में नहीं है और संसद की मंजूरी का इंतजार कर रही है।
    • जब संसद का सत्र नहीं चल रहा है, तो राष्ट्रपति राज्य के शासन के लिए अध्यादेश जारी कर सकते हैं।
राज्य की न्यायपालिका 
  • उच्च न्यायालय की शक्तियाँ: राज्य उच्च न्यायालय की संवैधानिक स्थिति, दर्जा, शक्तियाँ और कार्य राष्ट्रपति शासन के दौरान भी समान रहते हैं।

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