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धन शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002

Lokesh Pal June 24, 2024 03:38 129 0

संदर्भ

ट्रायल कोर्ट द्वारा धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री को जमानत दे डी गई, जिस आदेश पर एक दिन बाद ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी।

  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें तर्क दिया गया कि न्यायालय PMLA के तहत जमानत देने के लिए ‘ट्विन टेस्ट’ (Twin Test) लागू करने में विफल रही है।

धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002

  • धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 को जनवरी 2003 में कानूनी रूप दिया गया था।
  • यह अधिनियम भारत में धन शोधन संबंधी मामलों का निपटान करता है और इसके तीन मुख्य उद्देश्य हैं –
    • धन शोधन को रोकना और नियंत्रित करना।
    • धन शोधन के माध्यम से खरीद फरोख्त की गई संपत्ति को जब्त करना।
    • भारत में धन शोधन से जुड़े किसी भी अन्य मुद्दे से निपटना।

धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधान

  • धारा 3: यह धारा धन शोधन जैसे अपराध को परिभाषित करती है, जो किसी पूर्वनिर्धारित अपराध पर निर्भर करता है।
  • जाँच प्राधिकरण: केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) या राज्य पुलिस पूर्व-निर्धारित अपराध की जाँच कर मुकदमा चलाती है।
  • इस अधिनियम की धारा 4 के तहत अपराधों के लिए दंड निर्दिष्ट किया गया है।
  • धारा 50: यह धारा प्रवर्तन निदेशालय (ED) अधिकारियों को धन शोधन के मामलों में संदिग्धों को बुलाने और उनके बयान दर्ज करने के संबंध में सिविल कोर्ट जैसी शक्तियाँ प्रदान करती है।
  • निर्धारित दायित्व: यह अधिनियम बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और बिचौलियों को ग्राहकों की पहचान और लेनदेन के रिकॉर्ड को सत्यापित करने और सुरक्षित रखने का आदेश देता है।
  • धारा 45: PMLA की धारा 45 जमानत से संबंधित है। इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत, कोई भी न्यायालय धन शोधन से संबंधित अपराधों में जमानत नहीं दे सकता है, किंतु कुछ अपवादों का भी उल्लेख किया गया है।
  • जमानत की दोहरी शर्तें: यह प्रावधान जमानत संबंधी सभी आवेदनों में सरकारी वकील की अनिवार्य सुविधा सुनिश्चित करता है तथा अभियोजक पक्ष द्वारा जमानत का विरोध करने पर न्यायालय दोहरी जाँच लागू करने की अनुमति देता है। 
    • ये दो शर्तें निम्नलिखित हैं- 
      • यह मानने के लिए उचित आधार हो कि आरोपी इस अपराध का दोषी नहीं भी हो सकता है।
      • और दूसरा यह कि ‘जमानत पर रहते हुए आरोपी द्वारा कोई अपराध करने की संभावना न हो’।
  • अन्य कानूनों में समान प्रावधान: गंभीर अपराधों से निपटने वाले कई अन्य कानूनों में समान प्रावधान हैं। उदाहरण के लिए, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 36AC, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 की धारा 37 और गैर-कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम, 1967 की धारा 43D(5)। 
  • न्यायाधिकरण: इस अधिनियम की धाराओं के तहत, प्रदत्त अधिकार क्षेत्र, पर्याप्त शक्ति और अधिकार के साथ न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान है। 
  • विशेष न्यायालय: PMLA की धाराओं के अनुसार, विशेष न्यायालयों को इस अधिनियम से संबंधित दंडनीय अपराधों और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत एक ही मुकदमे में आरोपित किए जा सकने वाले अपराधों की सुनवाई के लिए नामित किया गया है। 
  • अंतरराष्ट्रीय समझौते: PMLA केंद्र सरकार को अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने, सूचनाओं का आदान-प्रदान करने या अधिनियम से संबंधित मामलों की जाँच करने के लिए विदेशी सरकारों के साथ समझौते करने का अधिकार देता है।

PMLA के तहत जमानत संबंधी प्रावधान की वैधता

  • संवैधानिक चुनौती: निकेश ताराचंद शाह बनाम भारत संघ (2018) के मामले में, PMLA अधिनियम के जमानत प्रावधान को अनुच्छेद-14 और 21 का उल्लंघन करने के कारण असंवैधानिक माना गया था।
  • संसदीय पुनर्स्थापन (Parliamentary Restoration): इसके बाद, संसद ने संशोधनों के माध्यम से जमानत प्रावधान को पुनः लागू किया।
  • न्यायिक पुष्टि: विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ (2022) में, उच्चतम न्यायालय ने जमानत प्रावधान को बरकरार रखा तथा इसे उचित माना एवं PMLA अधिनियम के उद्देश्यों के साथ संरेखित किया।
  • विधायी विवेकाधिकार: न्यायालय ने कहा है कि अनुसूची में विशिष्ट अपराधों को शामिल करना विधायी शक्तियों के दायरे में आता है।

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