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‘डिजिटल अरेस्ट’

Lokesh Pal October 29, 2024 02:13 279 0

संदर्भ

प्रधानमंत्री ने मन की बात के अपने 115वें संस्करण में ‘डिजिटल अरेस्ट’ संबंधी धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे पर प्रकाश डाला।

संबंधित तथ्य 

  • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, इस वर्ष की पहली तिमाही में भारतीयों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ धोखाधड़ी में लगभग ₹120.3 करोड़ का नुकसान हुआ।

  • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (National Cybercrime Reporting Portal- NCRP) के आँकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 1 जनवरी से 30 अप्रैल, 2024 के बीच 7.4 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं, जबकि वर्ष 2023 में 15.56 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं।

डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) क्या है? 

  • ‘डिजिटल अरेस्ट’ एक प्रकार का घोटाला है, जिसमें घोटालेबाज कानून प्रवर्तन एजेंसियों का रूप धारण कर नागरिकों को डराते हैं और उनसे धन वसूलने का प्रयास करते हैं।

डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के हालिया मामले

  • नोएडा की जानी-मानी डॉक्टर डॉ. पूजा गोयल को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) का अधिकारी बनकर ठगों ने निशाना बनाया।
    • उन्होंने उस पर अपने फोन का अवैध उद्देश्यों के लिए उपयोग करने का झूठा आरोप लगाया, जिसके कारण उसने 60 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए, लेकिन बाद में उसे एहसास हुआ कि यह एक धोखाधड़ी था।
  • दक्षिणी दिल्ली के CR पार्क की 72 वर्षीय महिला ने पुलिस अधिकारी बनकर ठगी करने वालों के हाथों 83 लाख रुपए गँवा दिए।
    • उन्हें यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया गया कि वह कानूनी मुसीबत में फँस गई हैं और उन्हें अपना नाम हटवाने के लिए तुरंत भुगतान करना होगा।

डिजिटल अरेस्ट घोटाले में शामिल कदम

  • व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करना: घोटालेबाज अक्सर सोशल मीडिया या अन्य सार्वजनिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से लक्ष्य के बारे में व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करके शुरू करते है।
    • वे विश्वास हासिल करने के लिए पीड़ित के जीवन के बारे में विशिष्ट विवरण, जैसे हाल ही में छुट्टी या पारिवारिक विवरण का उल्लेख कर सकते हैं।
  • डर उत्पन्न करना: सरकारी अधिकारियों या कानून प्रवर्तन का प्रतिरूपण करते हुए, वे डराने-धमकाने की रणनीति अपनाते हैं, जैसे कि कानूनी धाराओं का संदर्भ देना या वर्दी या कार्यालय सेटअप जैसे प्रॉप्स का उपयोग करना, जिससे डर उत्पन्न हो।
  • दबाव डालना: घोटालेबाज उच्च दबाव वाली रणनीति अपनाते हैं, ‘गिरफ्तारी’ से बचने के लिए तत्काल कार्रवाई का आग्रह करते हैं।
    • यह भय उत्पन्न करने वाला दृष्टिकोण सभी क्षेत्रों के पीड़ितों को इन योजनाओं का शिकार बनाता है, जिससे अक्सर महत्त्वपूर्ण वित्तीय नुकसान होता है।

भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) के बारे में 

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT अधिनियम): साइबर अपराध की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए केंद्र सरकार को CERT-In नियुक्त करने का अधिकार देता है।
  • स्थापना: वर्ष 2004
  • कार्यात्मक संगठन: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय।
  • CERT-In के कार्य
    • सूचना सुरक्षा प्रथाओं, प्रक्रियाओं, रोकथाम, प्रतिक्रिया और साइबर घटनाओं की रिपोर्टिंग से संबंधित दिशा-निर्देश, सलाह, भेद्यता नोट और श्वेत-पत्र जारी करना।
  • साइबर सुरक्षा घटनाओं की रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य: सेवा प्रदाताओं, बिचौलियों, डेटा केंद्रों और कॉरपोरेट निकायों के लिए घटना के होने के उचित समय के भीतर CERT-In को साइबर सुरक्षा घटनाओं की रिपोर्ट करना अनिवार्य है।
  • शक्तियाँ: CERT-In को सेवा प्रदाताओं, मध्यस्थों, डेटा केंद्रों, कॉरपोरेट निकायों और किसी भी अन्य व्यक्ति से सूचना माँगने तथा निर्देश जारी करने का अधिकार है।

डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए तीन-चरणीय दृष्टिकोण

  • रुकना (Stop): रुकें और शांत रहें। कोई भी निजी जानकारी साझा करने से बचें।
  • सोचे (Think): याद रखें कि कोई भी सरकारी एजेंसी वीडियो कॉल या संदेशों के ज़रिए भुगतान या जाँच की माँग नहीं करती है।
  • कार्रवाई करना (Act): 1930 पर साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करना या घटना की रिपोर्ट cybercrime.gov.in पर करना। सुबूत सुरक्षित रखना, अपने परिवार को सूचित करना और जरूरत पड़ने पर स्थानीय पुलिस से संपर्क करना।

सरकारी कार्रवाई तथा जागरूकता प्रयास

  • CERT-In और कानून प्रवर्तन द्वारा सक्रिय उपाय: भारत की कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) ने हजारों धोखाधड़ी वाले खातों को चिह्नित किया है और इन धोखेबाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वीडियो-कॉलिंग आईडी, सिम कार्ड और संबंधित बैंक खातों को ब्लॉक कर दिया है।
  • राज्य सरकारों के साथ प्रयासों को एकीकृत करने और इन मामलों की व्यापक रूप से जाँच करने के लिए एक राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र भी स्थापित किया गया है।
  • जागरूकता बढ़ाना: प्रधानमंत्री ने स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों को नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी के बारे में शिक्षित करने के लिए प्रोत्साहित किया, सामूहिक सतर्कता के महत्त्व पर जोर दिया।

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