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Samsul Ansari January 23, 2024 02:38 230 0
संदर्भ
हाल ही में प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह से पहले भारत के कुछ महत्त्वपूर्ण मंदिरों का दौरा किया।
संबंधित तथ्य
22 जनवरी को अयोध्या में जिस राम मंदिर का उद्घाटन किया गया, उसे मंदिर को नागर शैली में डिजाइन किया गया है।
अयोध्या राम मंदिर
प्रधानमंत्री द्वारा निम्नलिखित मंदिरों का भी दौरा किया गया
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple)
श्री अरुल्मिगु रामनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम
केरल के थृिप्रयार (Thriprayar) में श्री रामास्वामी मंदिर (Shree Ramaswami Temple)
केरल में गुरुवयूर मंदिर
धनुषकोडी (तमिलनाडु) में कोठंडारामस्वामी मंदिर (Kothandaramaswamy Temple)
आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple)
कालाराम मंदिर, नासिक (महाराष्ट्र)
भारत में मंदिर वास्तुकला
नागर शैली या उत्तर भारतीय मंदिर शैली
द्रविड़ या दक्षिण भारतीय मंदिर शैली
खजुराहो मंदिर | परिचय: इसमें कुल 85 मंदिर हैं, जो 20 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं।
स्थान: खजुराहो, मध्य प्रदेश। मंदिर शैली: नागर शैली। राजवंश: इनमें से अधिकांश स्मारक चंदेल राजवंश के शासनकाल के दौरान 950 से 1050 ईसवी के बीच बनाए गए थे। सबसे प्रमुख मंदिर: कंदरिया महादेव मंदिर |
सूर्य मंदिर, कोणार्क, ओडिशा | भारत के सात अजूबों में शामिल, ब्लैक पैगोडा, सूर्य का रथ, कलिंग वास्तुकला के नाम से भी जाना जाता है।
परिचय: सूर्य मंदिर नक्काशीदार पत्थर के पहिये, स्तंभों और दीवारों के साथ एक विशाल रथ के आकार में है और इसका नेतृत्व छह विशाल नक्काशीदार घोड़ों द्वारा किया जाता है। राजवंश: इसका निर्माण पूर्वी गंग राजवंश के राजा नरसिम्हादेव प्रथम ने लगभग 1250 ईसवी में करवाया था। मंदिर शैली: कलिंग वास्तुकला |
होयसल मंदिर, कर्नाटक
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राजवंश: 11वीं और 14वीं शताब्दी के बीच होयसल राजवंश के शासनकाल के दौरान निर्मित।
स्थान: मुख्यतः कर्नाटक के मलनाड क्षेत्रों में। मंदिर शैली: अद्वितीय स्थापत्य शैली, जो तारे के आकार के प्लेटफॉर्मों और अलंकृत स्तंभ डिजाइनों की विशेषता है। महत्वपूर्ण मंदिर: बेलूर में चेन्नाकेशवा मंदिर और हलेबिदु में होयसलेश्वर मंदिर। |
चोल मंदिर | इसमें शामिल हैं: बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर, बृहदेश्वर मंदिर, गंगैकोंडचोलापुरम और ऐरावतेश्वर मंदिर, दारासुरम।
प्रसिद्ध: चोल वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला और कांस्य ढलाई। राजवंश: चोल साम्राज्य।
चोल लिविंग आर्ट: ये मंदिर जीवंत मंदिर हैं और जहाँ अनुष्ठान एवं उत्सव हजारों वर्ष पहले लोगों द्वारा मनाए जाते थे, वे आज भी आयोजित किए जाते हैं। इसलिए, ये तीन मंदिर प्राचीन संस्कृति को दर्शाते हैं और उनके प्राचीन इतिहास का एक अविभाज्य हिस्सा हैं। |
महाबलीपुरम, तमिलनाडु में स्मारकों का समूह |
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पट्टाडकल, कर्नाटक में स्मारकों का समूह |
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