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प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात यात्रा

Lokesh Pal February 15, 2024 06:12 125 0

संदर्भ

संयुक्त अरब अमीरात भारत के प्रमुख व्यापार राजनयिक भागीदारों में से एक है और भारतीय प्रधानमंत्री की हालिया यात्रा मध्य पूर्व के देशों के साथ व्यापार, रक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगी।

संबंधित तथ्य 

  • नियमित वार्ता: यह प्रधानमंत्री की वर्ष 2015 के बाद से सातवीं यात्रा है और पिछले आठ महीनों में तीसरी यात्रा है।
  • मंदिर का उद्घाटन: प्रधानमंत्री अपनी यात्रा के दौरान अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर, बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (Bochasanwasi Shri Akshar Purushottam Swaminarayan Sanstha-BAPS) मंदिर का उद्घाटन करेंगे।
  • विश्व सरकार शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री 14 फरवरी को दुबई में ‘मुख्य अतिथि’ के रूप में विश्व सरकार शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का फोकस “भविष्य की सरकारों को आकार देना” (Shaping Future Governments) है और भारत को अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करने हेतु  एक मंच प्रदान करता है।
  • भारतीय प्रवासियों को संबोधित करना: अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री जायद स्पोर्ट्स सिटी स्टेडियम में आयोजितअहलान मोदी’ (हैलो मोदी) कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे।

भारत-UAE संबंध

  • ऐतिहासिक संबंध
    • व्यापार संबंध: भारत-UAE संबंध कई सदियों पुराने हैं, जो अरब सागर से होने वाले व्यापार पर आधारित जीवंत व्यापारिक संबंधों पर आधारित हैं। व्यापार में मसाले, वस्त्र, मोती और विचार जैसी वस्तुएँ शामिल थीं।
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: इन शुरुआती बातचीतों ने सांस्कृतिक और सामाजिक आदान-प्रदान को सुगम बनाया, जिससे दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को साझा भाषायी, पाक कला और कलात्मक प्रभावों से साथ समृद्ध किया गया।
  • स्वतंत्रता के बाद संबंध
    • राजनयिक संबंधों की शुरुआत: वर्ष 1971 में संयुक्त अरब अमीरात के गठन के तुरंत बाद औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए गए और पहली प्रधानमंत्री स्तरीय यात्रा वर्ष 1981 में इंदिरा गांधी द्वारा की गई थी।
    • प्रारंभिक आर्थिक संबंध: प्रारंभ में, यह संबंध मुख्य रूप से व्यापार और श्रम प्रवास पर केंद्रित था, जिसमें भारत उभरती हुई संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख जनशक्ति निर्यातक देश बन गया।

भारत-UAE संबंधों में आर्थिक संबंधों के माध्यम से प्रगति

  • भारत-UAE व्यापार संबंध: भारत UAE का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो कुल विदेशी व्यापार का 9% है। और इसमें  गैर-तेल निर्यात का हिस्सा 14% है। साथ ही, UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

    • वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान भारत और UAE के बीच $84.84 बिलियन का द्विपक्षीय व्यापार हुआ।
  • भारत का निर्यात: भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में संयुक्त अरब अमीरात को $31.60 बिलियन की 7,707 वस्तुओं का निर्यात किया था।
    • वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान भारत से UAE को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में पेट्रोलियम उत्पाद, सोना और अन्य कीमती धातु के आभूषण, दूरसंचार उपकरण, मोती, कीमती तथा अर्द्ध-कीमती पत्थर, लोहा और स्टील आदि शामिल हैं।
  • भारत का आयात: भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में संयुक्त अरब अमीरात से $53.23 बिलियन की 4,064 वस्तुओं का आयात किया था।
    • वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान भारत द्वारा UAE से आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में पेट्रोलियम क्रूड, पेट्रोलियम उत्पाद, मोती, कीमती और अर्द्ध-कीमती पत्थर, सोना, विमान, अंतरिक्ष यान व पुर्जे, प्लास्टिक के कच्चे माल, अन्य कीमती तथा आधार धातुएँ आदि शामिल हैं।
  • व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA): भारत और UAE ने फरवरी 2022 में CEPA  पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसने टैरिफ बाधाओं को कम करने और देशों के बीच व्यापार और निवेश प्रवाह को बढ़ाने में उत्प्रेरक के रूप में काम किया।
    • CEPA पर हस्ताक्षर के बाद UAE भारत में चौथा सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा है। इसने भारत के बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में $75 बिलियन का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है।

    • अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) जल्द ही GIFT सिटी, गुजरात में एक कार्यालय खोलेगी।
    • CEPA लागू होने के कुछ ही महीनों बाद, जुलाई-अगस्त 2022 की अवधि के दौरान भारत से संयुक्त अरब अमीरात को होने वाले गैर-तेल निर्यात में 14% की वृद्धि हुई है।
  • द्विपक्षीय निवेश संधि: दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर किए, जो दोनों देशों में निवेश को और बढ़ावा देने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कारक होगी।
  • भारत मार्ट: यह दुबई स्थित डीपी वर्ल्ड और भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के निर्यात को बढ़ावा देना है।
    • यह परियोजना भारत-UAE CEPA की प्रगति पर आधारित है जिसने वर्ष 2023 में अपना पहला वर्ष पूरा किया है और इसके तहत भारत का UAE के साथ व्यापार 16% बढ़कर $85 बिलियन हो गया है।
  • स्थानीय मुद्राओं में व्यापार: सीमा पार लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। भुगतान और संदेश प्रणाली को आपस में जोड़ने की पहल शुरू की गई है।

व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA)

  • CEPA देशों के बीच होने वाला एक व्यापक व्यापार समझौता है, जिसमें वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, निवेश और अक्सर कई आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्रों में सहयोग की एक विस्तृत शृंखला शामिल होती है।

  • ये मुक्त व्यापार समझौतों से अधिक व्यापक हैं।
  • उद्देश्य: व्यापार बाधाओं को कम करना और हस्ताक्षरकर्ता देशों के बीच निवेश, आर्थिक सहयोग और पारस्परिक लाभ बढ़ाना।
  • भारत ने दक्षिण कोरिया और जापान के साथ CEPA पर हस्ताक्षर किए हैं।

अन्य प्रकार के व्यापार समझौते

  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दो या दो से अधिक देशों के बीच एक समझौता है, जिसका उद्देश्य एक दूसरे को कम टैरिफ जैसी तरजीह व्यापार शर्तें प्रदान करना है।  उदाहरण : भारत का आसियान और श्रीलंका के साथ FTA ।
  • अधिमान्य व्यापार समझौता (PTA) : इस प्रकार के समझौते में, दो या दो से अधिक भागीदार कुछ उत्पादों में प्रवेश का अधिमान्य अधिकार देते हैं। यह सहमत संख्या में टैरिफ लाइनों पर शुल्क कम करके किया जाता है। उदाहरण:- भारत-मर्कोसुर PTA, भारत-चिली PTA।
  • व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA) एक कानूनी समझौता है, जिसमें वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, निवेश और विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग के प्रावधान शामिल हैं।
    • इसमें केवल व्यापार टैरिफ और टैरिफ दर कोटा (Tariff Rate Quota) दरें शामिल हैं और यह CEPA के समान व्यापक नहीं है। उदाहरण: भारत-मलेशिया CECA, भारत-सिंगापुर CECA।
  • कस्टम यूनियन (Customs Union) कई देशों के बीच किया गया एक समझौता है, जिसमें वे अपने देशों के बीच वस्तुओं के व्यापार पर लगने वाले सभी प्रतिबंधों को हटा देते हैं और गैर-सदस्य देशों से होने वाले आयात पर एकीकृत बाहरी शुल्क लागू करते हैं। उदाहरण: यूरोपीय संघ, दक्षिण अमेरिकी सीमा शुल्क संघ (मर्कोसुर)

सांस्कृतिक सहयोग

  • भारतीय प्रवासी: संयुक्त अरब अमीरात 35 लाख भारतीयों (अमीरात की आबादी का 30%) का घर है। संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है और उनका प्रेषण विदेशी आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
  • शैक्षिक सहयोग: अबू धाबी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली का एक परिसर स्थापित किया जा रहा है, जो शुरुआत में ऊर्जा संक्रमण और सततता (Energy Transition and Sustainability) में मास्टर कार्यक्रम शुरू करेगा।
  • अभिलेखीय सामग्री का पुनर्स्थापन और संरक्षण: दोनों देशों ने अपने राष्ट्रीय अभिलेखागार के लिए एक सहयोग प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए, जो अभिलेखीय सामग्रियों के पुनर्स्थापन और संरक्षण पर केंद्रित है।
  • धार्मिक सहयोग: BAPS मंदिर पहल धार्मिक कूटनीति को मजबूत करती है और खाड़ी देश में धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है।

रक्षा सहयोग

  • उच्च स्तरीय यात्राएँ: नेताओं की राजकीय यात्राओं सहित नियमित उच्च स्तरीय आदान-प्रदान ने रणनीतिक संबंधों को और मजबूत किया तथा सहयोग के दायरे का विस्तार किया है।
  • I2U2 फ्रेमवर्क: जुलाई 2022 में, I2U2 नामक एक नया फोरम स्थापित किया गया, जिसके सदस्य भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका हैं।
    • यह मंच सहयोग के छह क्षेत्रों जल, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, परिवहन और अंतरिक्ष की पहचान करता है।

वैश्विक सहयोग

  • सहयोगात्मक वैश्विक नेतृत्व: भारत की G20 अध्यक्षता और संयुक्त अरब अमीरात की COP28 अध्यक्षता ने पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और दक्षिण दक्षिण सहयोग जैसे वैश्विक मुद्दों पर एक साथ काम करने के लिए अतिरिक्त अवसर प्रदान किए हैं।
  • भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा: दोनों पक्षों ने भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारे पर एक अंतर-सरकारी रूपरेखा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जो क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाते हुए भारत-UAE सहयोग को बढ़ावा देगा।

फिनटेक सहयोग

  • डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्मों को आपस में जोड़ना: दोनों देशों के बीच निर्बाध सीमा पार लेनदेन की सुविधा के लिए UPI (भारत) और AANI (UAE) को आपस में जोड़ा जाएगा।
  • घरेलू डेबिट/क्रेडिट कार्डों को आपस में जोड़ना: भारत व UAE ने घरेलू डेबिट/क्रेडिट कार्डों, RuPay (भारत) को JAYWAN (UAE) के साथ जोड़ने पर एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जो वित्तीय क्षेत्र में सहयोग का निर्माण करेगा और पूरे संयुक्त अरब अमीरात में RuPay की सार्वभौमिक स्वीकृति को बढ़ाएगा।

ऊर्जा सहयोग

  • इलेक्ट्रिकल इंटरकनेक्शन और व्यापार: दोनों पक्षों ने ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा व्यापार सहित इलेक्ट्रिकल इंटरकनेक्शन तथा व्यापार के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • ऊर्जा साझेदारी का सुदृढ़ीकरण: वैश्विक नेताओं ने ऊर्जा साझेदारी को मजबूत करने पर भी चर्चा की और सराहना की कि संयुक्त अरब अमीरात के कच्चे तेल और LPG के सबसे बड़े स्रोतों में से एक होने के अलावा, भारत अब LNG के लिए दीर्घकालिक अनुबंध पर हस्ताक्षर कर रहा है।

भारत-UAE संबंधों को बदलने वाले कारक

  • राजनयिक भागीदारी में वृद्धि
    • दोनों देशों के मध्य प्रगाढ़ होते संबंध: भारतीय प्रधानमंत्री की वर्ष 2015 से लेकर अब तक की 15 यात्राओं तथा खाड़ी देशों के नेताओं एवं अधिकारियों द्वारा भारत की यात्राओं से कूटनीतिक संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत मिलता है।
    • व्यक्तिगत संबंधों का विकास: खाड़ी के नेताओं के साथ निजी संबंध स्थापित करने की भारतीय प्रधानमंत्री की रणनीति ने वहाँ के राजाओं की भरोसे पर आधारित संबंधों की प्राथमिकता को भुनाते हुए संबंधों को गहरा किया है।
  • सामरिक भू-राजनीतिक पुनर्विन्यास
    • घोषणात्मक समर्थन से रणनीतिक जुड़ाव की ओर स्थानांतरण: अरब मुद्दों के लिए पारंपरिक घोषणात्मक समर्थन से आगे बढ़ते हुए, भारत ने खाड़ी के साथ अधिक व्यावहारिक और रणनीतिक जुड़ाव अपनाया है, इसका प्रमाण I2U2 समूह के गठन और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा जैसी पहलों से मिलता है।
    • क्षेत्रीय भागीदारी: अमेरिका, इजरायल और रूढ़िवादी खाड़ी देशों के साथ घनिष्ठ सहयोग की ओर भारत का बदलाव एक महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक पुनर्निर्धारण का प्रतीक है।
  • धार्मिक कूटनीति में बदलाव
    • ऐतिहासिक जटिलताओं पर नियंत्रण: धार्मिक दृष्टिकोण और पाकिस्तान-केंद्रित दृष्टिकोण से आगे बढ़ते हुए (जो पहले संबंधों को जटिल बनाता था), भारत ने साझा हितों और सद्भावना पर ध्यान केंद्रित करते हुए, खाड़ी के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में सफलता प्राप्त की है।
    • धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा: अबू धाबी में स्वामीनारायण मंदिर खाड़ी क्षेत्र में धार्मिक सहिष्णुता का अहम प्रतीक है, जो भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के अनुरूप है।
  • आर्थिक और सामरिक साझेदारी
    • व्यापारिक से रणनीतिक आर्थिक संबंधों की ओर बदलाव: वैश्विक पूँजी के एक प्रमुख केंद्र के रूप में खाड़ी की मान्यता और भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने में इसका महत्त्व बढ़ रहा है। भारत संयुक्त अरब अमीरात से हरित ऊर्जा, अंतरिक्ष, अर्द्धचालक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में निवेश पर उम्मीद कर रहा है।
  • आतंकवाद विरोधी और रक्षा सहयोग
    • सुरक्षा संबंधों में वृद्धि: पिछले दशक में भारत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
    • रक्षा साझेदारी की संभावना: बदलती क्षेत्रीय भू-राजनीति के बीच, रक्षा साझेदारी में विविधता लाने पर जोर दिया जा रहा है, खाड़ी देश भारत को एक क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के रूप में देख रहे हैं और संयुक्त सैन्य विकास की संभावना तलाश रहे हैं।

भारत-UAE संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ

  • भू-राजनीतिक चिंताएँ
    • पाकिस्तान के साथ संबंध: भारत और पाकिस्तान के बीच के वर्तमान और ऐतिहासिक तनाव संयुक्त अरब अमीरात सहित खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रभावित करता है।
      • इसके अलावा, संयुक्त अरब अमीरात से पाकिस्तान को मिलने वाली वित्तीय सहायता को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • क्षेत्रीय तनाव में संतुलन: संयुक्त अरब अमीरात के क्षेत्रीय संघर्षों, विशेष रूप से ईरान के साथ और मध्य पूर्वी भू-राजनीति के प्रभाव को देखते हुए भारत का कूटनीतिक संचालन एक जटिल चुनौती है।
    • चीन से प्रतिस्पर्द्धा: संयुक्त अरब अमीरात में चीन का रणनीतिक निवेश और वित्तीय जुड़ाव वर्ष 2005 से 2020 के बीच $30 बिलियन को पार कर गया है, जो भारत के लिए एक प्रतिस्पर्द्धी चुनौती पेश करता है।
  • व्यापार चुनौतियाँ
    • विशिष्ट वस्तुओं में व्यापार का संकेंद्रण: भारत-UAE व्यापार संबंधों में विविधता का अभाव है और ये ज्यादातर हाइड्रोकार्बन और कीमती धातुओं के व्यापार में केंद्रित हैं।
    • गैर-टैरिफ बाधाओं की उपस्थिति: हलाल प्रमाणीकरण के मुद्दे के साथ-साथ स्वच्छता और फाइटोसैनिटरी उपायों जैसी गैर-टैरिफ बाधाओं के कारण संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय खाद्य पदार्थों के निर्यात में गिरावट आई है।
  • श्रम अधिकार संबंधी चिंताएँ
    • कफाला प्रणाली, एक प्रायोजन कार्यक्रम, जिसमें नियोक्ता विदेशी मजदूरों को आयात करते हैं और उन्हें एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए अनुबंध में बाँधते हैं, यह प्रणाली भारतीय प्रवासियों के लिए शोषणकारी अभ्यास साबित होता है।
  • निवेश और आर्थिक सहयोग में देरी
    • भारत में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए $75 बिलियन के UAE निवेश कोष को धीमी गति से लागू करना और निष्पादित करने में सुस्ती द्विपक्षीय आर्थिक पहलों में अक्षमताओं और देरी को रेखांकित करता है।
  • ऊर्जा और परिवहन विवाद
    • तेल मूल्य निर्धारण संघर्ष: एक प्रमुख उपभोक्ता भारत और ओपेक सदस्य संयुक्त अरब अमीरात के बीच तेल मूल्य निर्धारण पर असहमति के कारण तनाव पैदा हो गया है, जिससे ऊर्जा सहयोग प्रभावित हो रहा है।
    • हवाई सेवा समझौता: हवाई यात्रा व्यवस्था पर अनसुलझी वार्ता उड़ान सेवाओं के विस्तार को सीमित करती है, जिससे कनेक्टिविटी और आर्थिक संबंध प्रभावित होते हैं।
      • भारत के 109 देशों के साथ द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते (Air Service Agreements-ASA) हैं, जिनमें उड़ानों की संख्या, सीटें, लैंडिंग पॉइंट और कोड-शेयर से संबंधित पहलू शामिल हैं।

आगे की राह

  • भू-राजनीतिक चिंताओं को संबोधित करना
    • पारदर्शी सहायता ट्रैकिंग: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा अन्य देशों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में पारदर्शिता होनी चाहिए, जिससे भारत के सुरक्षा हितों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
    • राजनयिक भागीदारी : संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और अन्य मध्य पूर्वी देशों के साथ संबंधों में संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखते हुए, क्षेत्रीय तनाव से निपटने के लिए राजनयिक चैनलों को मजबूत करना।
  • गैर-टैरिफ बाधाओं (NTB) को समाधान 
    • FTA अनुपालन: देशों को एक स्पष्ट और अधिक पूर्वानुमानित नियामक व्यवस्था का लक्ष्य रखना चाहिए। व्यापार को आसान बनाने के लिए प्रत्येक देश के टैरिफ ढाँचे के अंतर्गत उचित अनुपालन की व्यवस्था को स्थापित किया जाना चाहिए।
  • श्रम अधिकारों और कल्याण में सुधार
    • द्विपक्षीय समझौते: देशों को द्विपक्षीय समझौतों की दिशा में काम करना चाहिए, जो श्रम अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं और कफाला प्रणाली के तहत प्रवासी श्रमिकों की जीवन स्थितियों में सुधार करते हो।
  • लोगों के मध्य संबंधों को बढ़ावा देना 
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामुदायिक कल्याण कार्यक्रम: दोनों देशों को लोगों के बीच संबंध बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना चाहिए, साथ ही भारतीय प्रवासी समुदाय के कल्याण में सुधार के लिए कार्यक्रम लागू करना चाहिए।

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