18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से 3 जुलाई तक संचालित होगा, जिसके दौरान सदन के नए अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा।
जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक नए सांसदों को शपथ दिलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर का चुनाव किया जाएगा।
प्रोटेम स्पीकर
परिचय
‘प्रोटेम’ का अर्थ अनिवार्य रूप से ‘फिलहाल’ या ‘अस्थायी रूप से’ होता है।
लोकसभा के पीठासीन अधिकारी होने के नाते लोकसभा अध्यक्ष को इसकी दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही से संबंधित कुछ प्रमुख कर्तव्यों को पूरा करना होता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-94 में कहा गया है कि जब भी लोक सभा भंग होती है, तो अध्यक्ष विघटन के बाद लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले तक अपना पद खाली नहीं करेगा।
नई लोकसभा में सदन के अध्यक्ष का फैसला साधारण बहुमत से होता है।
उनके चयन तक, कुछ महत्त्वपूर्ण कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए प्रोटेम स्पीकर को चुना जाता है।
संवैधानिक प्रावधान
संविधान में इस पद का उल्लेख नहीं है।
हालाँकि, आधिकारिक ‘संसदीय कार्य मंत्रालय के कामकाज पर पुस्तिका’ में ‘प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ ग्रहण’ के बारे में बताया गया है।
चुनाव प्रक्रिया
पुस्तिका में कहा गया है कि जब नई लोकसभा के गठन से पहले अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है, तो “अध्यक्ष के कर्तव्यों का निर्वहन सदन के एक सदस्य द्वारा किया जाता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा प्रोटेम स्पीकर के रूप में इस उद्देश्य के लिए नियुक्त किया जाता है”।
नए सांसदों को शपथ दिलाना प्रोटेम स्पीकर का प्राथमिक कर्तव्य है। संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत, “सदन का प्रत्येक सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष संविधान की तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिए निर्धारित प्रारूप के अनुसार शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा।”
आमतौर पर, सांसदों के समक्ष शपथ लेने के लिए लोकसभा के तीन अन्य निर्वाचित सदस्यों को भी राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
पुस्तिका के अनुसार, इस उद्देश्य के लिए आमतौर पर सबसे वरिष्ठ सदस्यों (सदन की सदस्यता के वर्षों की संख्या के संदर्भ में) को चुना जाता है, हालाँकि कुछ अपवाद भी रहे हैं।
जैसे ही नई सरकार बनती है, भारत सरकार का विधायी अनुभाग- I सबसे वरिष्ठ लोकसभा सदस्यों की सूची तैयार करता है।
इसके बाद इसे संसदीय कार्य मंत्री या प्रधानमंत्री को प्रस्तुत किया जाता है ताकि एक सांसद को अस्थायी अध्यक्ष के रूप में तथा तीन अन्य सदस्यों को शपथ ग्रहण के लिए चुना जा सके।
नव निर्वाचित सांसदों की शपथ ग्रहण प्रक्रिया
प्रधानमंत्री की मंजूरी के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रोटेम स्पीकर और अन्य तीन सदस्यों की सहमति आमतौर पर टेलीफोन पर प्राप्त करते हैं।
इसके बाद मंत्री प्रोटेम स्पीकर और अन्य तीन सदस्यों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को एक दस्तावेज सौंपते हैं।
वे शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय भी तय करते हैं।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मंत्रालय प्रोटेम स्पीकर और अन्य सदस्यों को उनकी नियुक्तियों के बारे में सूचित करता है। अंत में राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाते हैं।
राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त अन्य तीन सदस्यों को लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर द्वारा शपथ दिलाई जाती है।
इसके बाद प्रोटेम स्पीकर अन्य तीन सदस्यों की मदद से नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ/प्रतिज्ञान दिलाते हैं।
चूँकि लोकसभा का सत्र सुबह 11 बजे शुरू होता है, इसलिए प्रोटेम स्पीकर के शपथ ग्रहण के लिए आमतौर पर उसी दिन सुबह 9:30 बजे का समय तय किया जाता है, जो राष्ट्रपति की सुविधा पर निर्भर करता है।
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