यह लेख ‘चुनाव की आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति’ और हालिया लोकसभा चुनाव के परिणाम पर इस पद्धति के संभावित प्रभावों पर प्रकाश डालता है।
संबंधित तथ्य
सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 43.3% वोट शेयर के साथ 293 लोकसभा सीटें जीतीं।
विपक्षी इंडिया (INDIA) गठबंधन ने 41.6% वोट शेयर के साथ 234 लोकसभा सीटें प्राप्त कीं।
अन्य क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को लगभग 15% वोट मिले।
अपने वोट शेयर के बावजूद, इन क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने कुल मिलाकर केवल 16 लोकसभा सीटें जीतीं।
आनुपातिक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation- PR)
आनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR) प्रणाली सुनिश्चित करती है कि सभी दलों का प्रतिनिधित्व उनके वोट शेयर के आधार पर प्राप्त हो।
यह विधि सभी राजनीतिक दलों के लिए उनके वोट शेयर के अनुपात में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।
यह प्रणाली मुख्य रूप से प्रत्येक वोट के परिणाम को प्रभावित करती है, न कि केवल बहुमत वाले वोट को।
अन्य देशों में PR प्रणाली का उपयोग
अध्यक्षीय लोकतंत्र (Presidential Democracies): ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे देशों में PR प्रणाली का उपयोग होता है।
संसदीय लोकतंत्र (Parliamentary Democracies:): दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड, बेल्जियम और स्पेन जैसे देश भी इस प्रणाली का पालन करते हैं।
आनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR) में नियोजित प्रणालियाँ
PR प्रणाली के मुख्य प्रकार
राजनीतिक दल-सूची PR
मतदाता व्यक्तिगत उम्मीदवारों के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए अपना वोट डालते हैं।
दलों को उनके वोट शेयर के अनुपात में सीटें मिलती हैं।
यदि किसी दल को कुल वोटों का n% वोट मिलते हैं, तो वह दल कुल सीटों का लगभग n% सीटें जीतेगी।
इस प्रणाली में प्रत्येक वोट अंतिम परिणाम को प्रभावित करता है।
किसी दल के लिए सीट जीतने हेतु आम तौर पर एक न्यूनतम सीमा (3-5% वोट) तय की जाती है।
सूचियों के प्रकार
बंद सूची (Closed Lists): मतदाता केवल दलों के लिए वोट कर सकते हैं, व्यक्तिगत उम्मीदवारों के लिए नहीं।
खुली सूची (Open Lists): मतदाता व्यक्तिगत उम्मीदवारों का चुनाव कर सकते हैं और निर्दलीय उम्मीदवारों को अपना वोट दे सकते हैं।
क्षेत्र का आकार: इन क्षेत्रों का आकार छोटा (जैसे चिली या आयरलैंड में केवल तीन सीटें) या बड़ा (जैसे एक प्रांत या पूरा देश) हो सकता है।
एकल संक्रमणीय मत पद्धति (Single Transferable Vote System)
मतदाता वरीयता के क्रम में उम्मीदवारों को वोट करते हैं।
मतों को उम्मीदवारों के चुने जाने या हटाए जाने पर स्थानांतरित किया जाता है ताकि वोट की उपयोगिता को सुनिश्चित किया जा सके।
लाभ
यह प्रणाली मतदाताओं को पार्टी लाइन से हटकर उम्मीदवार चुनने की अनुमति देती है।
यह सुनिश्चित करता है कि स्वतंत्र उम्मीदवारों या अलोकप्रिय उम्मीदवारों के लिए वोट बर्बाद न हों।
मिश्रित सदस्यीय आनुपातिक प्रतिनिधित्व (Mixed Member Proportional Representation- MMP)
वैकल्पिक नाम: इसे अतिरिक्त सदस्य प्रणाली (Additional Member System- AMS) भी कहा जाता है।
मतदाताओं के पास दो वोट का अधिकार होता है। पहला एकल सदस्यीय उम्मीदवार के लिए और दूसरा वोट राजनीतिक दल की सूची के लिए।
राजनीतिक दलों को प्राप्त वोट प्रत्येक दल के सीटों का समग्र संतुलन निर्धारित करता है।
कार्यविधि
प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में FPTP (First Past The Post) के माध्यम से एक उम्मीदवार का चुनाव होता है।
प्रत्येक दल को प्राप्त वोटों के प्रतिशत के आधार पर अतिरिक्त सीटें आवंटित की जाती हैं।
इस प्रणाली का उद्देश्य निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए स्थिरता बनाए रखना है।
भारत के लिए लाभकारी
MMPR प्रणाली भारत के संसदीय लोकतंत्र में स्थिरता प्रदान कर सकती है।
यह प्रणाली सभी दलों के लिए उनके वोट शेयर के आधार पर निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी।
भारत में PR प्रणाली का कार्यान्वयन
एक संघीय देश के रूप में भारत को राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के स्तर पर PR प्रणाली लागू करनी चाहिए।
यदि PR प्रणाली (आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली) को राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के स्तर पर वर्ष 2024 के चुनाव परिणामों को लागू किया जाता, तो सीटों का वितरण कुछ इस प्रकार होता-
प्रतिनिधित्व पर प्रभाव
PR प्रणाली राजनीतिक दलों के प्रतिनिधित्व को उनके वोट शेयर के साथ संरेखित करेगी।
उदाहरण के लिए, गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कुल 66 लोकसभा सीटें हैं, जहाँ NDA ने क्रमशः 62%, 60% और 53% वोट शेयर के साथ कुल 64 सीटें जीतीं। किंतु PR प्रणाली के तहत, इंडिया गठबंधन को इन राज्यों में 23 सीटें प्राप्त होतीं।
उदाहरण के रूप में, ओडिशा में 42% वोट शेयर के साथ बीजू जनता दल ने FPTP के तहत शून्य के बजाय नौ सीटें हासिल की होतीं।
उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में NDA और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम दलों को शून्य सीट प्राप्त हुईं, क्योंकि इंडिया गठबंधन ने FPTP प्रणाली के तहत केवल 47% वोट शेयर के साथ सभी 39 सीटें हासिल कीं।
आनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR) प्रणाली की आलोचनाएँ
अस्थिरता: PR प्रणाली राजनीतिक अस्थिरता का कारण बन सकता है, क्योंकि कई परिस्थितियों में कोई भी दल या गठबंधन द्वारा सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल नहीं करने की संभावना बनी रहती है।
दलों का प्रसार: यह क्षेत्रीय, जाति, धार्मिक और भाषायी आधार पर दलों के गठन को प्रोत्साहित कर सकता है, जो संभावित रूप से जातिवादी या सांप्रदायिक मतदान पैटर्न को बढ़ावा देगा।
यद्यपि FPTP प्रणाली भी ऐसी पार्टियों के गठन को रोकने में असक्षम रही है।
इस प्रणाली के कार्यान्वयन के रूप में राजनीतिक दलों को योग्य बनाने हेतु न्यूनतम वोट सीमा का प्रावधान किया जा सकता है।
FPTP और PR प्रणाली
मानदंड
FPTP (First Past The Post)
PR
लक्ष्य
प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता है।
मतदाताओं की प्राथमिकताओं को आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है।
विधि
किसी निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार चुनाव जीतता है।
दलों के समग्र वोट शेयर के आधार पर सीटें आवंटित की जाती हैं।
लाभ
यह भारत जैसे बड़े देश के लिए लाभकारी है और राजनीतिक व्यवस्था को अधिक स्थिरता प्रदान करता है।
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