हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 मिशन के प्रोपल्शन मॉड्यूल ने एक सफल चक्कर पूर्ण किया है।
इसरो:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है।
पहले इसरो को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोस्पार) के नाम से जाना जाता था, जिसे डॉ. विक्रम ए. साराभाई की दूरदर्शिता पर वर्ष 1962 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था।
इसरो का गठन 15 अगस्त, 1969 को किया गया।
इसरो का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग है।
एक अन्य अनूठे प्रयोग में प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्र कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में लाया गया है।
संबंधित तथ्य
एक और अनूठे प्रयोग में, विक्रम लैंडर पर हॉप प्रयोग की तरह, चंद्रयान -3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा के चारों ओर एक कक्षा से पृथ्वी के चारों ओर एक कक्षा में ले जाया गया।
चंद्रयान-3 मिशन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा पर पिछले दो मिशन संचालित किए थे- चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 ।
चंद्रयान-1 को वर्ष 2008 में लॉन्च किया गया था और इससे संपर्क टूट जाने के बाद यह वर्ष 2009 तक चला। अन्य बातों के अलावा, मिशन ने चंद्रमा की सतह पर क्रैश लैंडिंग का परीक्षण किया।
वर्ष 2019 में लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया लेकिन असफल रहा।
भारत के तीसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रच दिया। इस अंतरिक्ष यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LMV 3 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया।
इसके साथ, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला और पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा (रूस, अमेरिका और चीन के बाद) देश बन गया।
चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्य
चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना।
चंद्रमा पर रोवर के कार्यों का प्रदर्शन करना।
यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना।
चंद्रयान-3 मिशन की विशेषताएँ
मिशन में एक लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है।
प्रोपल्शन मॉड्यूल पेलोड, रहने योग्य ग्रह पृथ्वी (SHAPE) का स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री है।
SHAPE का उद्देश्य परावर्तित प्रकाश का अध्ययन करके रहने योग्य बाहरी ग्रहों की खोज करना है
लैंडर विक्रम पर पेलोड:
तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए ‘चंद्र सर्फेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (ChaSTE)।
लैंडिंग स्थल के आस-पास भूकंपीयता को मापने के लिए ‘चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण’ (ILSA)।
प्लाज्मा घनत्व और इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए ‘लैंगमुइर प्रोब’ (LP)।
चंद्र लेजर रेंजिंग अध्ययन के लिए नासा का एक ‘पैसिव लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे’
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