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Lokesh Pal
November 20, 2024 05:21
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भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) के अध्ययन के अनुसार, मुफ्त राशन योजना के तहत 800 मिलियन से अधिक लाभार्थियों को खाद्यान्न वितरण में रिसाव की वार्षिक राजकोषीय लागत 69,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
गरीबी तथा कुपोषण को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए लक्षित मुफ्त भोजन, रिसाव के लिए DBT तथा विविध पोषण विकल्पों के साथ पुनर्गठित PDS महत्त्वपूर्ण है। खाद्य सब्सिडी बचत को ऐसे निवेशों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो दीर्घकालिक रिटर्न प्रदान करते हैं और समग्र खाद्य और पोषण सुरक्षा में सुधार करते हैं।
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