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क्वांटम एंटैंगलमेंट-आधारित क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन

Lokesh Pal June 19, 2025 03:26 10 0

संदर्भ

हाल ही में भारत ने एक ऑप्टिकल लिंक के माध्यम से क्वांटम एंटैंगलमेंट का उपयोग करके 1 किमी. से अधिक दूरी के लिए एक ‘फ्री-स्पेस क्वांटम’ सुरक्षित संचार स्थापित करने का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।

प्रयोग के बारे में

  • यह प्रयोग DRDO-उद्योग-अकादमिक उत्कृष्टता केंद्र (DIA-CoE), IIT दिल्ली के माध्यम से किया गया।
  • परियोजना: यह प्रयोग DRDO के फ्यूचरिस्टिक प्रौद्योगिकी प्रबंधन निदेशालय (DFTM) द्वारा स्वीकृत परियोजना ‘फ्री स्पेस QKD के लिए फोटोनिक प्रौद्योगिकियों के डिजाइन एवं विकास’ के तहत किया गया था।
  • प्रयोग
    • IIT दिल्ली परिसर में फ्री-स्पेस ऑप्टिकल लिंक के माध्यम से क्वांटम एंटैंगलमेंट का उपयोग करके 1 किमी. से अधिक दूरी के लिए एक फ्री-स्पेस क्वांटम सुरक्षित संचार स्थापित किया गया था।
    • इस प्रयोग ने 7% से कम की क्वांटम बिट त्रुटि दर (QBER) के साथ लगभग 240 बिट्स प्रति सेकंड की सुरक्षित कुंजी दर प्राप्त की।
      • QBER एक मीट्रिक है जो शोर या संभावित ‘ईव्सड्रॉपिंग’ के कारण गलत तरीके से प्राप्त बिट्स के प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है।
  • अनुप्रयोग
    • साइबर सुरक्षा: एंटैंगलमेंट-असिस्टेड प्राप्त क्वांटम सुरक्षित संचार क्वांटम साइबर सुरक्षा में वास्तविक समय के अनुप्रयोगों में सहायता करेगा, जिसमें लंबी दूरी की ‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन’ (QKD) शामिल है।
    • यह प्रयोग क्वांटम नेटवर्क और भविष्य के क्वांटम इंटरनेट के विकास में भी सहायता करेगा।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा: विभिन्न वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों में ‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन’ (QKD) का उपयोग करना, जिसमें वित्त, सरकार और सैन्य क्षेत्रों में संवेदनशील जानकारी के लिए सुरक्षित संचार चैनल शामिल हैं।

‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन’ (QKD) के बारे में

  • ‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन’ (QKD) क्वांटम भौतिकी पर आधारित एक सुरक्षित संचार पद्धति है, जो केवल साझा पक्षों के बीच ज्ञात एन्क्रिप्शन कुंजियों का आदान-प्रदान करती है, तथा लीकेज को रोकती है।
    • QKD कई प्रकाश कणों (फोटॉनों) को फाइबर ऑप्टिक केबलों के माध्यम से या पक्षों के बीच मुक्त अवस्था में संचारित करके कार्य करता है।
    • क्यूबिट (Qubits): प्रत्येक फोटॉन की एक यादृच्छिक क्वांटम अवस्था होती है, और सामूहिक रूप से, भेजे गए फोटॉन एक और शून्य की धारा का निर्माण करते हैं। एक और शून्य की इस धारा को क्यूबिट (Qubits) कहा जाता है।
  • क्वांटम भौतिकी: ‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन’ (QKD) तकनीक क्वांटम संचार तकनीक का एक हिस्सा है जो बिना शर्त डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करती है और क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित है।
  • उत्पत्ति: ‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन’ (QKD) की अवधारणा क्वांटम क्रिप्टोग्राफी की अवधारणा से उत्पन्न हुई, जिसे पहली बार 1970 के दशक की शुरुआत में स्टीफन विस्नर ने अपने ‘क्वांटम संयुग्म कोडिंग’ (Quantum Conjugate Coding) विचार के साथ प्रस्तावित किया था।
    • इस अवधारणा को बाद में वर्ष 1991 में आर्टूर एकर्ट ने क्वांटम एंटैंगलमेंट के उपयोग से जोड़कर आगे बढ़ाया।
  • प्रकार
    • तैयारी एवं माप प्रोटोकॉल: इन प्रोटोकॉल में एक पक्ष क्वांटम अवस्थाएँ तैयार करता है और उन्हें माप के लिए दूसरे पक्ष को भेजता है और इसे क्वांटम अवस्थाओं के प्रसारण के दौरान छिपकर सुनने के प्रयासों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है।
      • उदाहरण: BB84 प्रोटोकॉल, जहाँ फोटॉन को ध्रुवीकरण अवस्थाओं के साथ एनकोड किया जाता है, और साझा ‘की’ स्थापित करने के लिए सिफ्टिंग प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।
    • एंटैंगलमेंट-आधारित प्रोटोकॉल: यहाँ दो पक्ष एंटैंगल्ड क्वांटम अवस्थाओं को साझा करते हैं, जहाँ एंटैंगल्ड अवस्था के एक भाग का मापन तुरंत दूसरे भाग को प्रभावित करता है, जिससे ‘की’ निर्माण की अनुमति मिलती है।
      • ये प्रोटोकॉल तब भी छिपकर सुनने का पता लगा सकते हैं जब कोई हमलावर एंटैंगल्ड कणों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है।
  • महत्त्व
    • क्वांटम कंप्यूटर के हमलों के विरुद्ध सुरक्षा: क्वांटम कंप्यूटर का भविष्य का विकास पारंपरिक एन्क्रिप्शन विधियों के लिए खतरा उत्पन्न करता है। QKD क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग करके एक समाधान प्रदान करता है, जो इसे भविष्य के क्वांटम कंप्यूटरों के हमलों के विरुद्ध भी सुरक्षित बनाता है।
    • छिपकर सुनने की पहचान: क्वांटम संकेतों को रोकने के किसी भी प्रयास का पता लगाया जाएगा, जिससे संचार करने वाले पक्षों को संभावित छिपकर सुनने की संभावना के बारे में सचेत किया जा सकेगा।
    • बिना शर्त सुरक्षा: QKD सुरक्षा का एक ऐसा स्तर प्रदान करता है जो कम्प्यूटेशनल मान्यताओं पर आधारित नहीं है, बल्कि भौतिकी के मूलभूत नियमों पर आधारित है, जो इसे अधिक मजबूत एवं विश्वसनीय बनाता है।
    • भविष्य के लिए सुरक्षित संचार: जैसे-जैसे क्वांटम कंप्यूटिंग अधिक उन्नत होती जाएगी, QKD जैसी क्वांटम-सुरक्षित एन्क्रिप्शन विधियों की आवश्यकता तेजी से महत्त्वपूर्ण होती जाएगी क्योंकि कम्प्यूटेशनल शक्ति में कोई भी भविष्य की प्रगति क्वांटम-क्रिप्टोसिस्टम को तोड़ नहीं सकती है।
    • इंटरऑपरेबिलिटी: QKD समाधानों को मौजूदा एन्क्रिप्शन सिस्टम के साथ एकीकृत किया जा सकता है, जो क्वांटम सुरक्षा के लिए एक सहज अद्यतन पथ प्रदान करता है।
  • QKD की सीमाएँ
    • QKD ट्रांसमिशन स्रोत को प्रमाणित करने का कोई साधन प्रदान नहीं करता है।
    • दूरी संबंधी सीमाएँ: सिंगल-फोटॉन डिटेक्शन जैसी QKD प्रणालियाँ, लंबी दूरी पर महत्त्वपूर्ण सिग्नल क्षीणन (Signal Attenuation) से ग्रस्त हैं, जिससे उनकी व्यावहारिक सीमा सीमित हो जाती है।
    • लागत गहन: QKD के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है क्योंकि यह ‘सिंगल-फोटॉन डिटेक्टरों’ और संभावित रूप से ‘रिपीटर्स’ जैसे हार्डवेयर-आधारित है, जो क्लासिकल क्रिप्टोग्राफी की तुलना में प्रयोगिक लागत को काफी बढ़ा सकता है।
      • इसके अलावा QKD नेटवर्क को आसानी से अपग्रेड या पैच नहीं किया जा सकता है।
    • बुनियादी ढाँचा: QKD को प्रायः समर्पित फाइबर ऑप्टिक केबल की आवश्यकता होती है, जो मौजूदा संचार नेटवर्क के साथ एकीकृत करने के लिए महंगा और कठिन हो सकता है।
    • सुरक्षा कमजोरियाँ: सिद्धांत रूप में QKD पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन व्यवहार में, सिंगल फोटॉन डिटेक्टर जैसे उपकरणों में खामियाँ सुरक्षा कमजोरियाँ उत्पन्न करती हैं।
    • ‘डिनायल-ऑफ-सर्विस’ अटैक: चूँकि छिपकर सुनने वाले लोग किसी ट्रांसमिशन को रोक सकते हैं, इसलिए वे इसके इच्छित उपयोगकर्ताओं द्वारा ट्रांसमिशन के उपयोग को अस्वीकार कर सकते हैं।

उदाहरण

  • DRDO के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022 में विंध्याचल एवं प्रयागराज के बीच भारत का पहला इंटरसिटी क्वांटम संचार लिंक प्रदर्शित किया, जिसमें वाणिज्यिक-ग्रेड भूमिगत डार्क ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग किया गया।
  • वर्ष 2024 में, टीम ने DRDO समर्थित एक अन्य परियोजना में टेलीकॉम-ग्रेड ऑप्टिकल फाइबर के 100 किमी. स्पूल पर एंटैंगलमेंट का उपयोग करके ‘क्वांटम की’ को सफलतापूर्वक वितरित किया।

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