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निजी स्वामित्व वाली संपत्ति के पुनर्वितरण का प्रश्न

Lokesh Pal April 26, 2024 04:30 174 0

संदर्भ

उच्चतम न्यायालय की 9 जजों की संवैधानिक पीठ इस सवाल पर सुनवाई कर रही है कि क्या ‘समुदाय के भौतिक संसाधनों’ में भारतीय संविधान के अनुच्छेद-39(B) के तहत निजी स्वामित्व वाले संसाधन शामिल हैं। 

संवैधानिक पीठ

  • अनुच्छेद-145(3): यह “संविधान की व्याख्या के संबंध में कानून के महत्त्वपूर्ण प्रश्न” से जुड़े मामले का निर्णय करने के लिए कम-से-कम पाँच न्यायाधीशों वाली एक पीठ की स्थापना का प्रावधान करता है या अनुच्छेद-143 के तहत किसी संदर्भ की सुनवाई के लिए, जो उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है।
  • अन्य परिदृश्य
    • यदि उच्चतम न्यायालय की दो या तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कानून के एक ही बिंदु पर परस्पर विरोधी निर्णय दिए हैं।
    • यदि SC की बाद की तीन न्यायाधीशों की पीठ, पूर्व पीठ द्वारा दिए गए फैसले पर उसी शक्ति के साथ पुनर्विचार करना चाहती है तो वह मामले को पिछले फैसले पर पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ के पास भेज देती है।
  • उल्लेखनीय उदाहरण
    • 13 जजों की अब तक की सबसे बड़ी संवैधानिक पीठ ने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले में फैसला सुनाया।
    • हालिया उदाहरण न्यायमूर्ति के. एस. पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ मामला है, जिसमें नौ-न्यायाधीशों की पीठ ने निजता के अधिकार को संविधान के तहत गारंटी के रूप में मान्यता दी।

संबंधित तथ्य

  • मामला: उच्चतम न्यायालय, मुंबई में प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन द्वारा महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 (MHADA) में वर्ष 1986 के संशोधन में अध्याय VIII-A को शामिल करने को चुनौती देने वाले एक मामले की सुनवाई कर रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि प्रावधान संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत संपत्ति मालिकों के समानता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
    • संविधान का अनुच्छेद-31C: DPSP को आगे बढ़ाने में बनाए गए कानूनों को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि वे समानता के अधिकार (अनुच्छेद-14) या स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद-19) का उल्लंघन करते हैं।
  • महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 (MHADA) को तेजी से असुरक्षित होने के बावजूद पुरानी, जीर्ण-शीर्ण इमारतों के किरायेदारों की समस्या का समाधान करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
    • सेस की गई संपत्तियाँ: MHADA ने इमारतों में रहने वालों पर सेस लगाया, जिसका भुगतान मरम्मत और पुनर्स्थापन परियोजनाओं की देखरेख के लिए मुंबई बिल्डिंग रिपेयर एंड रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड (Mumbai Building Repair and Reconstruction Board- MBRRB) को किया जाएगा।

संपत्ति का अधिकार

  • एक पूर्व मौलिक अधिकार: संपत्ति के अधिकार को शुरू में संविधान के अनुच्छेद-19(1)(F) और अनुच्छेद-31 के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • कानूनी अधिकार: वर्ष 1978 में, 44वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर अनुच्छेद-300A के तहत कानूनी अधिकार के रूप में रखकर इसमें महत्त्वपूर्ण बदलाव किया गया।

  • 1986 का संशोधन: अनुच्छेद-39(B) को लागू करके
    • MHADA में धारा 1A जोड़ी गई: इसका उद्देश्य भूमि और इमारतों के अधिग्रहण की योजनाओं को क्रियान्वित करना है, ताकि उन्हें ‘जरूरतमंद व्यक्तियों’ और ‘ऐसी भूमि या इमारतों के कब्जेदारों’ को हस्तांतरित किया जा सके।
    • जोड़ा गया अध्याय VIII-A: इसमें ऐसे प्रावधान शामिल हैं, जो राज्य सरकार को उपकर भवनों (और जिस भूमि पर वे बने हैं) का अधिग्रहण करने की अनुमति देते हैं। (यदि 70% किरायेदार ऐसा अनुरोध करते हैं)

अनुच्छेद-39(B) की कानूनी व्याख्याएँ

  • कर्नाटक राज्य बनाम श्री रंगनाथ रेड्डी 1977: SC की सात न्यायाधीशों की पीठ ने 4:3 के बहुमत से माना कि निजी स्वामित्व वाले संसाधन “समुदाय के भौतिक संसाधनों” के दायरे में नहीं आते हैं।
    • इस पीठ में जस्टिस कृष्णा अय्यर मत: निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को भी समुदाय का भौतिक संसाधन माना जाना चाहिए क्योंकि अनुच्छेद-39 (B) के प्रावधानों से निजी संसाधनों के स्वामित्व को बाहर करना समाजवादी तरीके से पुनर्वितरण के अपने उद्देश्य को छिपाना है।

भारत के संविधान में अनुच्छेद-39: भाग-IV जिसका शीर्षक है “राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत” (DPSP)

a. नागरिकों, (पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से) आजीविका के पर्याप्त साधन का अधिकार है;

b. समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाता है कि आम हित के लिए सर्वोत्तम हो;

c. कि आर्थिक प्रणाली के संचालन के परिणामस्वरूप सामान्य हानि के लिए धन और उत्पादन के साधनों का संकेंद्रण नहीं होता है;

d. पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार है;

e. कि श्रमिकों, पुरुषों और महिलाओं के स्वास्थ्य और ताकत तथा बच्चों की कोमल उम्र का दुरुपयोग नहीं किया जाता है एवं नागरिकों को आर्थिक आवश्यकता से उनकी उम्र या ताकत के लिए अनुपयुक्त व्यवसायों में प्रवेश करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है।

  • संजीव कोक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बनाम भारत कोकिंग कोल (1983): 5 न्यायाधीशों की पीठ ने न्यायमूर्ति अय्यर के मत से सहमति जताते हुए कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण के केंद्रीय कानून को बरकरार रखा।
  • मफतलाल इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम भारत संघ (1996): जस्टिस परिपूर्णन ने जस्टिस अय्यर के मत से सहमति जताते हुए कहा कि ‘भौतिक संसाधनों’ में प्राकृतिक या भौतिक संसाधन शामिल होंगे, जो चल या अचल संपत्ति हैं और इसमें भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के सभी निजी और सार्वजनिक संपत्ति शामिल हैं, न कि केवल सार्वजनिक संपत्ति तक।

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