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रेडियोकार्बन डेटिंग (Radiocarbon Dating)

Samsul Ansari January 02, 2024 04:16 207 0

संदर्भ

रेडियोकार्बन डेटिंग ने प्रसिद्ध ‘डेड सी स्क्रॉल’ (Dead Sea Scrolls) की आयु और प्रामाणिकता को सिद्ध करने में सहायता की है।

‘रेडियोकार्बन डेटिंग’ विधि

  • डेटिंग: ‘डेटिंग’ एक ऐसी विधि है,  जिसके द्वारा किसी वस्तु की आयु निर्धारित की जा सकती है। 
  • रेडियोकार्बन डेटिंग: रेडियोकार्बन डेटिंग एक ऐसी विधि को संदर्भित करता है, जिसमें रेडियोकार्बन का उपयोग करके किसी वस्तु की आयु निर्धारित की जा सकती है। रेडियोकार्बन आइसोटोप कार्बन -14 को संदर्भित करता है।
    • इस पद्धति के माध्यम से वस्तुओं की आयु निर्धारित करने के लिए बचे हुए कार्बन-14 की मात्रा का मापन किया जाता है। वैज्ञानिक और कंप्यूटर इस मात्रा का उपयोग करके गणना कर सकते हैं कि किसी जीव का निधन कितने समय पहले हुआ था।

कार्बन-14

  • निर्माण
    • कार्बन-14 पृथ्वी के वायुमंडल में निर्मित होता है, जब कॉस्मिक किरणें (बाहरी अंतरिक्ष में स्रोतों से आने वाले आवेशित कणों की ऊर्जावान धाराएँ) गैसों के परमाणुओं में विस्फोट करके न्यूट्रॉन का उत्पादन करती हैं। 
    • जब ये न्यूट्रॉन ‘नाइट्रोजन -14’ नाइट्रोजन आइसोटोप के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, तो वे कार्बन -14 का उत्पादन करते हैं। 
    • चूँकि ब्रह्मांडीय किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से निरंतर गुजरती रहती हैं, इसलिए कार्बन-14 का निर्माण निरंतर होता रहता है।
    • कार्बन-14 रेडियोधर्मी कार्बन डाइऑक्साइड के निर्माण हेतु वायुमंडलीय ऑक्सीजन के साथ क्रिया करती है। तब यह पौधों (प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से), जानवरों (जब वे पौधों का उपभोग करते हैं), और कार्बन चक्र के माध्यम से अन्य बायोमास में प्रवेश करता है।
  • प्रयोगशाला में संश्लेषण संबंधी घटनाक्रम
    • 1940 के दशक की शुरुआत में अमेरिकी रसायनज्ञ मार्टिन कामेन और सैम रुबेन ने प्रयोगशाला में कार्बन -14 को संश्लेषित करने की एक विधि खोजी और इसकी अर्द्धआयु (अपने मूल द्रव्यमान को आधे तक क्षय करने के लिए) लगभग 5,000 वर्ष थी।
    • वर्ष 1939 में फिनिश-अमेरिकी भौतिक विज्ञानी ‘सर्ज कोरफ’ ने पाया था कि नाइट्रोजन-14 पर न्यूट्रॉन की बमबारी करके कार्बन -14 का उत्पादन करना संभव है जैसा कि कॉस्मिक किरणें वायुमंडल में करती हैं।
    • इन निष्कर्षों से प्रेरित होकर अमेरिकी भौतिक रसायनज्ञ विलार्ड लिब्बी को कार्बन-14 का उपयोग करने संबंधी विचार की कल्पना करने का श्रेय दिया जाता है, जिसे उन्होंने वर्ष 1946 में जर्नल फिजिकल रिव्यू में प्रकाशित किया था।

रेडियोकार्बन डेटिंग की कार्य प्रणाली

  • जब कोई जैविक इकाई (मानव शरीर के समान) ‘जीवित’ होती है, तो वह श्वसन, भोजन का उपभोग करने, शौच करने, त्वचा संपर्क आदि गतिविधियों के माध्यम से अपने परिवेश के साथ लगातार कार्बन का आदान-प्रदान करती है। इन गतिविधियों के माध्यम से कार्बन-14 का शरीर से निष्कर्षण और पूर्ति भी होती है, इसलिए शरीर में इसकी सांद्रता लगभग स्थिर रहती है और अपने परिवेश के साथ संतुलन में रहती है।
  • जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो शरीर में ये गतिविधियाँ नहीं होती है और कार्बन-14 की सांद्रता रेडियोधर्मी क्षय के माध्यम से कम होने लगती है। जितना अधिक समय बीतता है, उतना ही अधिक कार्बन-14 क्षय होता जाता है। इस क्षय दर को एक सिद्धांत के माध्यम से मापा जा सकता है।
  • आयु सीमा: चूँकि कार्बन-14 की अर्द्धआयु लगभग 5,730 वर्ष होती है, इसलिए इसका उपयोग उन नमूनों की तिथि निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है जो लगभग 60 हजार वर्ष पुराने हैं।

रेडियोकार्बन डेटिंग संबंधी उपकरण

  • गीगर काउंटर: रेडियोधर्मी क्षय का अध्ययन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले इस उपकरण में इलेक्ट्रॉनिक्स माध्यम से जुड़े ‘गीगर-मुलर ट्यूब’ शामिल हैं जो संकेतों की व्याख्या और उन्हें प्रदर्शित करते हैं।
  • गीगर-मुलर ट्यूब: गीगर-मुलर ट्यूब में एक नोबल गैस, जैसे- हीलियम या निऑन और केंद्र से गुजरने वाली एक छड़ उपस्थित होती है। 
    • ट्यूब की आंतरिक सतह और छड़ के बीच उच्च वोल्टेज बनाए रखा जाता है।
  • एंटी-कोइंसिडेंस काउंटर: लिब्बी और उनके सहयोगियों ने ‘गीगर काउंटर’ के सिद्धांत पर आधारित एक नए उपकरण का निर्माण किया, जिसे ‘एंटी-कोइंसिडेंस काउंटर’ कहा जाता है। यह गीगर काउंटर से अधिक सटीक और उपयोगी सिद्ध हुआ।

आधुनिक रेडियोकार्बन डेटिंग की कार्यप्रणाली

  • आधुनिक रेडियोकार्बन डेटिंग प्रणाली निश्चित रूप से अधिक परिष्कृत है। उदाहरण के लिए, यह सर्वाधिक संवेदनशील डेटिंग उपकरण में से एक ‘एक्सेलेरेटर मास स्पेक्ट्रोमेट्री’ (AMS) का उपयोग करता है, जो 50 मिलीग्राम से कम कार्बनिक नमूनों के साथ भी काम कर सकता है।
  • नियमित द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमीटर: वैज्ञानिक समान द्रव्यमान से आवेशित अनुपात वाले आयनों को अलग करने के लिए ‘नियमित द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमीटर’ का उपयोग करते हैं। 
  • लागत और उपयोगिता: गीगर काउंटर कुछ हजार रुपये में खरीदे जा सकते हैं और हाथ से संचालित किए जा सकते हैं। ‘कण त्वरक’ के लिए विशेष प्रशिक्षण और कौशल की आवश्यकता होती है तथा साथ ही कुछ करोड़ रुपये की लागत आती है, लेकिन उनकी उपयोगिता भी उतनी ही अधिक होती है।

रेडियोकार्बन डेटिंग का महत्त्व

  • रेडियोकार्बन क्रांति: रेडियोकार्बन डेटिंग ने पहली वस्तुनिष्ठ डेटिंग पद्धति प्रदान की है। इस कारण से पुरातत्त्व और भू-विज्ञान के क्षेत्रों पर इसके प्रभावों को “रेडियोकार्बन क्रांति” कहा जाने लगा है।
  • राजनीतिक महत्त्व: भारत में भी रेडियोकार्बन डेटिंग का राजनीतिक महत्त्व भी है, जहाँ शोधकर्ताओं और राजनेताओं ने धार्मिक स्थलों से प्राप्त वस्तुओं की तिथि निर्धारित करने के लिए इसके उपयोग का आह्वान किया है।

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