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जलवायु मॉडल में रेडियोकार्बन

Lokesh Pal August 13, 2024 02:54 63 0

संदर्भ

साइंस जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में जलवायु मॉडल में उपयोग के लिए 1960 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा किए गए परमाणु बम परीक्षणों के अवशेषों की जाँच की गई। 

  • शोधकर्ताओं ने एक वर्ष में पृथ्वी के चारों ओर वनस्पति में संगृहीत कार्बन की मात्रा का अनुमान लगाने के लिए जलवायु मॉडल ‘युग्मित मॉडल अंतर-तुलना परियोजना’ (Coupled Model Intercomparison Project- CMIP) का उपयोग किया। 
    • अध्ययन में प्रयुक्त CMIP मॉडल में कुछ नवीनतम संस्करण (5 एवं 6) शामिल थे। 

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • अध्ययन: शोधकर्ताओं ने वर्ष 1963 और 1967 के बीच कार्बन 14 के स्तर में परिवर्तन को ट्रैक करने के लिए जलवायु मॉडल का उपयोग किया और इस प्रकार एक वर्ष में पृथ्वी के चारों ओर वनस्पति में संगृहीत कार्बन की मात्रा का अनुमान लगाया। 
    • शीतयुद्ध काल के दौरान हुए परमाणु विस्फोटों से पृथ्वी के वायुमंडल में चारों ओर रेडियोधर्मी पदार्थ फैल गए।
      • कार्बन-14: यह कार्बन का एक समस्थानिक है, जिसे रेडियोकार्बन भी कहा जाता है। इसके परमाणु के नाभिक में सबसे आम कार्बन-12 से दो न्यूट्रॉन अधिक होते हैं। परमाणु बम परीक्षणों ने वायुमंडल में सामान्य से अधिक मात्रा में कार्बन का लगातार जमाव किया। 
      • ऑक्सीजन के साथ रेडियोकार्बन बंध बनाकर CO2 का निर्माण करता है।
    • सीमित परीक्षण प्रतिबंध संधि (Limited Test Ban Treaty- LTBT): वर्ष 1963 में LTBT संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद भूमि, वायु और जल के नीचे परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया गया, तथा इस वर्ष के बाद वायुमंडलीय रेडियोकार्बन सांद्रता में वृद्धि रुक ​​गई। 
  • निष्कर्ष
    • मॉडलों ने सुझाव दिया कि रेडियोकार्बन सामग्री वायुमंडल के माध्यम से वनस्पति में फैल रही थी क्योंकि वनस्पति द्वारा इस रेडियोकार्बन को अवशोषित कर लिया गया और प्रकाश संश्लेषण के दौरान CO2 के माध्यम से खाद्य एवं ऊर्जा में परिवर्तित कर दिया। 
    • वनस्पति में संचित कार्बन: वैज्ञानिकों ने उपग्रह डेटा का उपयोग करके यह अनुमान लगाया है कि विश्व भर में वनस्पतियों में कितना कार्बन उपस्थित है। उन्होंने जलवायु मॉडल का उपयोग करके यह अनुमान लगाया है कि एक वर्ष में पृथ्वी के चारों ओर वनस्पतियाँ कितना कार्बन संगृहीत करती हैं। 
      • अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि प्रति वर्ष 80 बिलियन टन कार्बन संगृहीत हो रहा है, जिनमें से अधिकांश पत्तियों और सूक्ष्म जड़ों में संगृहीत हो रहा है, अर्थात् पौधे के गैर-काष्ठीय भाग, जबकि पिछले अनुमानों के अनुसार यह 43-76 बिलियन टन प्रति वर्ष है।  
    • तीव्र कार्बन पुनर्चक्रण (Fast Carbon Recycling): कार्बन चक्रण पहले की अपेक्षा अधिक गति से आगे बढ़ रहा है, क्योंकि पौधे वायुमंडल से अधिक CO2 अवशोषित कर रहे हैं और अपेक्षा से कम अवधि के लिए इसे संगृहीत कर रहे हैं, तथा फिर इसे अपने आसपास के वातावरण में उत्सर्जित कर रहे हैं। 
      • कार्बन चक्र: पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान वातावरण से CO2 को अवशोषित करते हैं और इसका उपयोग ग्लूकोज बनाने के लिए करते हैं। एक पौधा कुछ ग्लूकोज का उपभोग करता है और कुछ को अपने पत्तों में स्टार्च के रूप में संगृहीत करता है। इस प्रक्रिया में, जब पौधे साँस लेते समय CO2 उत्सर्जित करते हैं तो कुछ कार्बन भी खो जाता है।

जलवायु मॉडल (Climate Models)

  • जलवायु मॉडल, जिन्हें सामान्य परिसंचरण मॉडल या GCM के रूप में भी जाना जाता है, जलवायु प्रणाली के माध्यम से ऊर्जा और पदार्थों के हस्तांतरण का अनुकरण करने के लिए अच्छी तरह से प्रलेखित भौतिक प्रक्रियाओं पर आधारित हैं। 
    • इनका उपयोग अतीत की जलवायु को पुनः निर्मित करने या भविष्य की जलवायु का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।
  • वे गणितीय समीकरणों का उपयोग करके यह बताते हैं कि महासागर, वायुमंडल, भूमि और बर्फ के विभिन्न भागों में ऊर्जा और पदार्थ किस प्रकार परस्पर क्रिया करते हैं। 
  • प्रक्रिया: यह एक जटिल प्रक्रिया है
    • पृथ्वी प्रणाली प्रक्रियाओं की पहचान करना और उनका परिमाणीकरण करना; गणितीय समीकरणों के साथ उनका प्रतिनिधित्व करना; प्रारंभिक स्थितियों और जलवायु बल में बाद के परिवर्तनों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चर निर्धारित करना। 
  • संघटन
    • 3D ग्रिड आधारित मॉडल: जलवायु मॉडल पृथ्वी की सतह को सेल के त्रि-आयामी ग्रिड में विभाजित करते हैं। ग्रिड सेल का आकार जितना छोटा होगा, मॉडल में विवरण का स्तर उतना ही अधिक होगा।
    • टाइम स्टेप: इसमें समय का घटक भी शामिल है, जिसे ‘टाइम स्टेप’ कहा जाता है जो मिनटों, घंटों, दिनों या वर्षों में हो सकता है। ग्रिड सेल आकार की तरह, टाइम स्टेप जितना छोटा होगा, परिणाम उतने ही विस्तृत होंगे। 
  • परीक्षण: मॉडल को अतीत में ज्ञात स्थितियों के आधार पर आरंभ किया जाता है और एक बार जलवायु मॉडल स्थापित हो जाने पर, इसे ‘हिंद-कास्टिंग’ (Hind-casting) नामक प्रक्रिया के माध्यम से परीक्षण किया जा सकता है।  
  • उदाहरण
    • युग्मित मॉडल अंतर-तुलना परियोजना (Coupled Model Intercomparison Project- CMIP): इसकी स्थापना वर्ष 1995 में विश्व जलवायु अनुसंधान कार्यक्रम द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य जलवायु अनुमान तैयार करना था, जो संयुक्त राष्ट्र की जलवायु रिपोर्टों को सूचित करता है। 
      • कई देशों में वैज्ञानिक संस्थान बेहतर अनुमान प्रस्तुत करने के लिए अपने-अपने जलवायु मॉडलों को एक साथ जोड़ते हैं।
    • सामुदायिक पृथ्वी प्रणाली मॉडल 2 (Community Earth System Model 2): इसे यू. एस. यूनिवर्सिटी कॉरपोरेशन फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (U.S. University Corporation for Atmospheric Research) द्वारा विकसित किया गया था और यह एकमात्र ऐसा मॉडल है जिसने अपने सिमुलेशन में रेडियोकार्बन को शामिल किया है। 

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