जनवरी और अगस्त 2024 के बीच भारत में कोयले की शिपमेंट वर्ष-दर-वर्ष 10% बढ़ी, जो घरेलू कोयला खनन में वर्ष-दर-वर्ष 8% की वृद्धि से अधिक है।
वर्षा से कोयले की आवश्यकता कैसे प्रभावित होती है?
कोयले का अधिकांश आयात थर्मल कोल से संबंधित खेप थी, जो विद्युत की प्रभावी माँग और कोयला आयात अनिवार्यताओं के कारण हुआ।
मानसूनी वर्षा के कारण जलविद्युत उत्पादन में वृद्धि के साथ भारत में कोयले की माँग और खेप में कमी आने की उम्मीद है।
इस वर्ष मानसून की धीमी शुरुआत के बावजूद अगस्त महिने में तेजी से बढ़ा है।
इससे जलाशयों के स्तर में वर्ष-दर-वर्ष के हिसाब से 26% तक की वृद्धि हुई है।
कोयला और उसके आयात के बारे में
भंडार: भारत के पास कुल 344.02 बिलियन टन कोयला भंडार है और यह दुनिया में कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
भारत वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक है।
कोयले से विद्युत उत्पादन: वर्ष-दर-वर्ष 13% बढ़ा, जो कम जल स्तर के कारण जलविद्युत उत्पादन में 6% की कमी की भरपाई करता है।
भारत में 72% विद्युत कोयले से उत्पन्न होती है।
इंडोनेशिया भारत के समुद्री कोयला आयात का 45% (ज्यादातर थर्मल कोल) का स्रोत है।
भारत में कुल कोयला भंडार के मामले में शीर्ष 5 राज्य हैं:-
झारखंड > ओडिशा > छत्तीसगढ़ > पश्चिम बंगाल > मध्य प्रदेश।
संसाधनों का वर्गीकरण: भारत के कोयला संसाधन प्रायद्वीपीय भारत की पुरानी गोंडवाना संरचनाओं और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की युवा तृतीयक संरचनाओं में उपलब्ध हैं।
कोयले का वर्गीकरण
ऐंथ्रेसाइट (Anthracite): उच्चतम कैलोरी मान वाला सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला कोयला जिसमें 80 से 95% कार्बन तत्त्व मौजूद होता है।
यह नीली लौ के साथ धीरे-धीरे जलता है और जम्मू-कश्मीर में अल्प मात्रा में पाया जाता है।
बिटुमिनस: 60 से 80% कार्बन सामग्री के साथ नमी की कम मात्रा और उच्च कैलोरी मान।
झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इसके भंडार हैं।
लिग्नाइट (Lignite): इसमें 40 से 55% कार्बन होता है और यह अक्सर भूरे रंग का होता है तथा इसमें नमी की मात्रा अधिक होती है।इसके जलने पर धुआँ अधिक निकलता है।
राजस्थान, लखीमपुर (असम) और तमिलनाडु में इसके भंडार हैं।
पीट (Peat): लकड़ी से कोयले में परिवर्तन का प्रथम चरण, जिसमें कम कैलोरी मान और 40% से कम कार्बन सामग्री होती है।
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