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अयोध्या में राम मंदिर (Ram temple in Ayodhya)

Samsul Ansari January 09, 2024 04:59 206 0

संदर्भ

22 जनवरी 2023 को श्री राम जन्मभूमि मंदिर (Ram Janmabhoomi Mandir) का उद्घाटन किया जाएगा। 

  • राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह 16 जनवरी को सरयू तटबंध पर विष्णु पूजा और गौ दान के साथ शुरू होगा।       

अनुष्ठान समारोह

  • अनुष्ठान समारोह के दौरान भजन एवं मंत्रोच्चार के साथ श्री राम की मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया जाएगा। 
    • उसके बाद ही समान्य जनमानस मंदिर में पूजा-पाठ कर सकते हैं।

श्री राम मंदिर की वास्तुकला 

  • यह मंदिर 20 फुट ऊँचे तीन मंजिला चबूतरे पर निर्मित है, जिसमें कुल 392 खंभे हैं और इसके परिसर में 44 दरवाजे हैं।
  • मंदिर की बुनियादी संरचना: इस मंदिर की बुनियाद/नींव रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट की 14 मीटर मोटी परत से निर्मित है। 
    • भूमि की नमी से बचाने के लिए इसमें 21 फुट ऊँचा ग्रेनाइट प्लिंथ भी लगाया गया है।
    • मंदिर के निर्माण में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है।
  • पत्थरों का उपयोग: इस मंदिर में मकराना संगमरमर और गुलाबी बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट पत्थर और रंगीन संगमरमर पत्थर का उपयोग किया गया है।
  • राम कथा दर्शन: मंदिर की परिक्रमा के दौरान पैदल मार्गों और स्तंभों पर वाल्मिकी रामायण की 100 घटनाओं को उकेरा गया है।
  • राम मंदिर की स्थापत्य शैली: नागर शैली।
  • गर्भगृह (Sanctorum): जहाँ राम लला की मूर्ति को स्थापित किया गया है। 
  • मंडप: इस मंदिर में नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप भी हैं।
  • अन्य छोटे मंदिरों के लिए स्थान: मंदिर परिसर के प्रत्येक कोने पर सूर्य, भगवती, गणेश, शिव की मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा। उत्तरी और दक्षिणी भुजाओं पर क्रमशः अन्नपूर्णा और हनुमान मंदिर को निर्मित किया जाएगा।
    • महर्षि वाल्मिकी, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषाद राज, शबरी आदि के मंदिर भी प्रस्तावित हैं।

अन्य सुविधाएँ

  • आकाशीय बिजली से सुरक्षा के लिए इस मंदिर पर 200KA लाइट अरेस्टर (Light Arresters) भी लगाए गए।

मंदिर वास्तुकला की नागर शैली

  • यह शैली उत्तर भारत में पहली बार 5वीं शताब्दी में गुप्त काल के दौरान विकसित हुई। 
  • यह शैली उत्तरी, पश्चिमी और पूर्वी भारत (बंगाल क्षेत्र को छोड़कर) में लोकप्रिय है विशेषकर मालवा, राजपुताना और कलिंग के आसपास के क्षेत्रों में।
  • संरचना: इसमें मंदिर एक साधारण पत्थर के मंच पर निर्मित किया जाता है। जिसमें मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियाँ भी बनाई जाती हैं।

विशेषताएँ

  • शिखर: गर्भगृह हमेशा उच्चतम शिखर के ठीक नीचे अवस्थित होता है। शिखर पर एक कलश (आमलक) भी स्थापित होता है।
  • शिखर के प्रकार: रेखा-प्रसाद या लैटिना (ओडिशा का श्री जगन्नाथ मंदिर), शेकरी (खजुराहो कंदारिया महादेव मंदिर), वल्लभी (तेली का मंदिर), फमसाना (कोणार्क मंदिर का जगमोहन)।
  • इसमें चारदीवारी या प्रवेश द्वार का अभाव होता है 
  • उप शाखाएँ: उड़ीसा शाखा, चंदेल शाखा और सोलंकी शाखा इसी से संबंधित हैं।

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