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जिम्बाब्वे में रामसर CoP15

Lokesh Pal August 01, 2025 02:52 13 0

संदर्भ

जिम्बाब्वे में रामसर CoP15 के दौरान भारत द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव इस बात की प्रासंगिकता को रेखांकित करता है, जिसमेंआर्द्रभूमि के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए सतत् जीवन शैली को बढ़ावा देनेकी बात कही गई है।

आर्द्रभूमि एक विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र है, जो जल से या तो स्थायी रूप से वर्षों अथवा दशकों तक या मौसमी रूप से छोटी अवधि के लिए जलमग्न या संतृप्त रहता है।

संबंधित  तथ्य

  • इस प्रस्ताव को 172 अनुबंधकारी पक्षों, छह अंतरराष्ट्रीय संगठन भागीदारों और विभिन्न पर्यवेक्षकों का भारी समर्थन प्राप्त हुआ।
  • यह आर्द्रभूमि संरक्षण में व्यक्तिगत और सामाजिक विकल्पों की भूमिका पर जोर देता है तथा प्रत्येक सदस्य देश के राष्ट्रीय संदर्भों में ग्रह समर्थित जीवन शैली को बढ़ावा देता है।
  • यह प्रस्ताव मार्च 2024 में छठी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में अपनाए गए स्थायी जीवनशैली को बढ़ावा देनेपर प्रस्ताव 6/8 पर आधारित है।

प्रस्ताव के मुख्य उद्देश्य

  • यह आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए समग्र समाज दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है, जो समकालीन संदर्भ में आवश्यक है।

संपूर्ण समाज (Whole of Society- WoS) दृष्टिकोण

इसका तात्पर्य सार्वजनिक स्वास्थ्य, आपदा लचीलापन या सतत् विकास जैसे सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, शिक्षा, मीडिया, आस्था-आधारित समूहों और व्यक्तिगत नागरिकों सहित समाज के सभी क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी तथा सहयोग से है।

सतत् जीवनशैली (Sustainable lifestyles)

  • यह दैनिक कार्यों, व्यवहारों और जीवन जीने के तरीकों को संदर्भित करती है:
    • संसाधनों का संरक्षण और अपशिष्ट उत्पादन को कम करके पर्यावरणीय क्षरण को न्यूनतम करना;
    • सभी समुदायों और पीढ़ियों पर उपभोग के सामाजिक तथा पर्यावरणीय प्रभाव पर विचार करके समतामूलक सामाजिक-आर्थिक विकास का समर्थन करना;
    • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, सुरक्षा सहित अच्छे जीवन के लिए बुनियादी सामग्री तक पहुँच और अच्छे सामाजिक संबंधों के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।
  • भारत ने सतत जीवन शैली को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
  • UNFCCC CoP26 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) नामक एक वैश्विक आंदोलन की शुरुआत की, जो व्यक्तियों और समुदायों को जलवायु-अनुकूल आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली)

  • इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय कार्रवाई के लिए व्यक्तियों और समुदायों को संगठित करना है।
  • आर्द्रभूमि संरक्षण के साथ एकीकरण: मिशन लाइफ, मिशन सहभागिता और आर्द्रभूमि बचाओ अभियान जैसे राष्ट्रीय प्रयासों में अंतर्निहित है।
  • उपलब्धियों में पिछले 3 वर्षों में 1,70,000 से अधिक आर्द्रभूमियों का मानचित्रण और लगभग 1,20,000 आर्द्रभूमियों का सीमा-निर्धारण शामिल है।

रामसर कन्वेंशन

  • रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जो आर्द्रभूमि और उनके संसाधनों के संरक्षण और सतत् उपयोग के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है।
  • वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में अपनाए गए और वर्ष 1975 से लागू इस कन्वेंशन में संयुक्त राष्ट्र के लगभग 90% सदस्य देश शामिल हो चुके हैं। ये सदस्य, जिन्हें अनुबंधकारी पक्षकार कहा जाता है, सभी वैश्विक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए।
  • इस संधि के तहत, विशिष्ट पारिस्थितिक मानदंडों को पूरा करने वाली आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया जाता है, जिससे साझा आर्द्रभूमियों, सीमा-पार पारिस्थितिकी तंत्रों और प्रवासी प्रजातियों के प्रबंधन में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा मिलता है।

आर्द्रभूमि संरक्षण में भारत का योगदान

  • भारत में 91 रामसर स्थल हैं, जो 1.36 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत हैं, जो इसे एशिया का सबसे बड़ा और विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क बनाता है।
  • पिछले दशक में, भारत में रामसर स्थल नेटवर्क का 250% विस्तार हुआ है।
  • पहली बार, उदयपुर और इंदौर को आर्द्रभूमि शहरों के रूप में मान्यता दी गई है, जो शहरी आर्द्रभूमि पर भारत के बढ़ते ध्यान को दर्शाता है।

आर्द्रभूमि के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग हेतु फ्रेमवर्क

  • भारत के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2024 में जारीबुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग फ्रेमवर्क निम्नलिखित बिंदुओं को मान्यता देता है: पारिस्थितिकी चरित्र, पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोण और सतत् विकास का महत्त्व।
  • बुद्धिमानी से उपयोग में शामिल हैं
    • मत्स्यपालन और पक्षी आवास जैसी सेवाएँ प्रदान करने में पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका को मान्यता देना।
    • स्थानीय समुदायों और स्वदेशी लोगों को प्रमुख हितधारकों के रूप में शामिल करना।
    • स्थानीय ज्ञान और भागीदारी पर आधारित विकेंद्रीकृत प्रबंधन को बढ़ावा देना।
  • आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, आर्द्रभूमि प्राधिकरण द्वारा परिभाषित, विवेकपूर्ण उपयोग के सिद्धांत के अनुसार संरक्षण का आदेश देते हैं।
  • अधिसूचित आर्द्रभूमि में निषिद्ध गतिविधियाँ निम्नलिखित हैं:
    • आर्द्रभूमि के अन्य उपयोगों के लिए रूपांतरण और अतिक्रमण।
    • उद्योगों की स्थापना या विस्तार।
    • निर्माण और अपशिष्ट का निपटान।
    • अवैध शिकार और अपशिष्टों का निर्वहन।

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