जलवायु परिवर्तन के कारण अटलांटिक महासागर के जल स्तर में वृद्धि होने से ब्राजील के तट का तेजी से क्षरण हो रहा है।
अटाफोना (Atafona) जैसे स्थानों पर, पिछले 30 वर्षों में समुद्र का जलस्तर 13 सेमी. तक बढ़ गया है एवं वर्ष 2050 तक इसके 16 सेमी. तक और बढ़ने की संभावना है।
पृष्ठभूमि
जलवायु परिवर्तन संबंधी विज्ञान का आकलन करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (IPCC) के अनुसार, समुद्र के स्तर में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही है।
पिछले दशक में यह वृद्धि दोगुनी से भी अधिक होकर 0.48 सेमी. प्रति वर्ष हो गई है, जबकि वर्ष 1993 से 2002 तक यह वृद्धि 0.21 सेमी. प्रति वर्ष थी।
तटीय अपरदन (तटीय क्षरण)
परिभाषा: तटीय अपरदन वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा प्राकृतिक कारकों, मुख्य रूप से समुद्री तरंग क्रिया, धाराओं, ज्वार-भाटा तथा मानवीय गतिविधियों जैसे निर्माण, ड्रेजिंग आदि के कारण तटीय रेखाएँ नष्ट हो जाती हैं।
तटीय अपरदन की यांत्रिक प्रक्रिया: तटीय अपरदन मुख्य रूप से चार मुख्य प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है:-
संक्षारण: समुद्र की तीव्र लहरें समुद्र तट पर मौजूद कंकड़-पत्थरों जैसी सामग्री को चट्टानों पर विस्थापित करती या धकेलती हैं, जिससे तटीय चट्टानों का क्षरण शुरू हो जाता है परिणामतः इन समुद्री लहरों की इस प्रक्रिया के बार-बार पुनरावृत्ति से चट्टानों पर अपरदित चिह्न बन जाते हैं।
घर्षण: रेत एवं बड़े टुकड़ों को ले जाने वाली समुद्री लहरें, चट्टानों या मुख्य भूमि के आधार को नष्ट कर देती हैं, जिससे ‘सैंड पेपर’ जैसा प्रभाव उत्पन्न होता है, विशेषतः तूफान के दौरान।
हाइड्रोलिक क्रिया: जब समुद्री लहरें किसी चट्टान से टकराती हैं, तो चट्टानी दरारों में वायु प्रवाहित होने लगती है।
जब लहरें पीछे हटती हैं, तो उपस्थित वायु चट्टान के टुकड़ों को तोड़ते हुए तीव्रता से बाहर निकलती है, विशेषतः तब जब मौसमी परिस्थितियों के कारण पहले ही चट्टान कमजोर हो चुकी हो।
घर्षण: समुद्रीलहरें, चट्टानों एवं कंकड़ों को एक-दूसरे से टकराने का कारण बनती हैं, जिससे वे छोटे-छोटे टुकड़ों में विखंडित हो जाते हैं।
ब्राजील में तटीय अपरदन के कारण
जलवायु परिवर्तन: बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय अपरदन की तीव्रता और गंभीर हो रही है।
नदियों में गाद जमा होना: पैराइबा (Paraiba) जैसी नदियाँ अब समुद्र तटों की प्रतिपूर्ति के लिए पर्याप्त रेत नहीं ले जाती हैं, जिससे अपरदन बढ़ जाता है।
मानवीय गतिविधियाँ: अनियंत्रित शहरीकरण, वनों की कटाई एवं भूजल का अत्यधिक दोहन तटीय क्षेत्रों को अस्थिर करने में योगदान देता है।
प्राकृतिक कारक: तीव्र ज्वार-भाटा एवं ब्राजील के उत्तर एवं उत्तर-पूर्व जैसे क्षेत्रों में समुद्र तटों की प्राकृतिक संरचना उन्हें अपरदन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है।
संपूर्ण ब्राजील में व्यापक प्रभाव
संकुचित होते समुद्र तट: पोंटा नेग्रा, एक लोकप्रिय समुद्र तट रिजॉर्ट, में पिछले दो दशकों में 15 मीटर रेत समाप्त हो चुकी है, जिससे स्थानीय सरकार को रेत की पुनःपूर्ति के प्रयास करने पड़ रहे हैं, जो कि अपेक्षाकृत महँगी प्रक्रिया है।
अमेजन नदी पारिस्थितिकी तंत्र: गंभीर सूखे के कारण लवणीय जल की उपस्थिति अमेजन के मुहाने पर जैव विविधता को खतरे में डाल रही है।
इस लवणीय जल का 150 किमी. तक ऊर्ध्वप्रवाह होता है, जिससे मीठे जल की मछलियाँ मर जाती हैं एवं स्थानीय मत्स्यपालन प्रभावित होता है।
भूमि की हानि: तटीय अपरदन से समुद्र तटों, टीलों एवं तटीय आर्द्रभूमियों का नुकसान होता है, जिससे तट के पास के घरों तथा बुनियादी ढाँचे को खतरा होता है।
पारिस्थितिकी तंत्र का विघटन: यह मैंग्रोव एवं लवणीय मार्श जैसे महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करता है तथा तटीय पर्यटन एवं मत्स्यन उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
ब्राजील के तट की सुरक्षा के लिए संभावित समाधान
सतत् विकास की आवश्यकता: विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि शहरी नियोजन को बढ़ते समुद्र स्तर के अनुकूल होना चाहिए, तटीय क्षेत्रों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए मैंग्रोव एवं रेत के तटों जैसे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करना चाहिए।
समुद्र तट पोषण: नष्ट हुए समुद्र तटों की पुनर्पूर्ति के लिए अन्य स्थानों से रेत का आयात किया जाना चाहिए। पोंटा नेग्रा जैसे स्थानों पर इस प्रक्रिया को पहले से ही क्रियान्वित किया जा रहा है।
समुद्री तटबंध एवं ‘ग्रोइन्स’ (Groynes) का निर्माण: समुद्रीतट को लहरों से बचाने एवं अपरदन को रोकने के लिए अवरोधों या तटबंधों का निर्माण किया जाना चाहिए।
‘ग्रोइन्स’ लकड़ी या कंक्रीट संरचनाएँ होती हैं, जो अवसाद को ग्रहण करने एवं समुद्री लहरों की ऊर्जा को कम करने के लिए निर्मित की जाती हैं।
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