समुद्री शोधकर्ताओं ने आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम समुद्र तट के किनारे जहरीली जेलीफिश की आबादी में तीव्र वृद्धि होने की घटना की सूचना दी है।
संबंधित तथ्य
इस विशेष घटना के पीछे की प्रजाति के रूप में पेलागिया नोक्टिलुका (Pelagia Noctiluca) की पहचान की गई है।
पेलागिया नोक्टिलुका (Pelagia noctiluca) के बारे में
पेलागिया नोक्टिलुका (Pelagia noctiluca)एक विषैली जेलीफिश प्रजाति है।
सामान्य नाम: मौवे स्टिंगर (Mauve Stinger) या बैंगनी-धारीदार जेलीफिश (Purple-Striped Jellyfish)
जीवनकाल: दो से छह महीने।
विशेषताएँ
विषैली प्रकृति: इसकी विषैली प्रकृति विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं जैसे– दस्त, गंभीर दर्द, उल्टी एवं संभावित रूप से जीवन-घातक एनाफिलेक्टिक शॉक(Anaphylactic Shock) को प्रेरित कर सकती है।
एनाफिलेक्टिक शॉक (Anaphylactic shock) एक गंभीर एवं संभावित जीवन-घातक एलर्जी प्रतिक्रिया है, जो एलर्जी के जवाब में तेजी से विकसित हो सकती है।
वैश्विक वितरण: उष्णकटिबंधीय एवं गर्म तापमान वाले समुद्र
विशिष्ट विशेषताएँ: कई अन्य जेलीफिश प्रजातियों के विपरीत, पेलागिया नोक्टिलुका (Pelagia noctiluca) के न केवल छत्र की तरह दिखने वाले आवरण पर बल्कि इसके लटकते दल पुंज पर भी डंक होते हैं।
कारक
स्पष्टीकरण
प्राकृतिक चक्र
जेलीफिश की आबादी में स्वाभाविक रूप से उतार-चढ़ाव होता है। इन विविधताओं के कारण ब्लूम आ सकते हैं।
महासागर के तापमान में वृद्धि
गर्म जल जेलीफिश के प्रजनन एवं विकास, उनकी आबादी बढ़ाने के लिए आदर्श हो सकता है।
यूट्रोफिकेशन
जल अपवाह से अतिरिक्त पोषक तत्त्व के कारण प्लवकों का विकास तेजी से हो जाता है, जिसे जेलीफिश खाती हैं। इससे परोक्ष रूप से जेलीफिश की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है।
अत्यधिक मछली पकड़ना
जेलीफिश के प्राकृतिक शिकारियों की अत्यधिक मछली पकड़ने से उन आबादी में कमी आ सकती है, जिससे जेलीफिश बिना प्रतिस्पर्द्धा के पनप सकती है।
पर्यावास संशोधन
तटीय विकास एवं जल प्रवाह में परिवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकते हैं, जिससे अन्य प्रजातियों की तुलना में जेलीफिश को लाभ हो सकता है।
बायोल्यूमिनसेंस (Bioluminescence): पेलागिया नोक्टिलुका (Pelagia Noctiluca) की अनूठी विशेषताओं में से एक अंधेरे में प्रकाश उत्पन्न करने की इसकी क्षमता है, जो इसे बायोल्यूमिनसेंट बनाती है।
जेलीफिश की आबादी में तीव्र वृद्धि के कारण
जब प्रजनन दर बढ़ने के कारण इन प्रजातियों की आबादी तेजी से बढ़ती है तो इसे जेलीफिश ब्लूम कहा जाता है।
कारण: समुद्र के तापमान में वृद्धि अनुकूल प्रजनन परिस्थितियों के लिए सहायक होता है, जो जेलीफिश के बार-बार ब्लूम में योगदान देता है।
हाल ही में विशाखापत्तनम तट पर जेलीफिश ब्लूम के निहितार्थ
पारिस्थितिक निहितार्थ
मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा: पेलागिया नोक्टिलुका जेलीफिश जहरीली है एवं मनुष्यों में एलर्जी सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकती है।
पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान: जेलीफिश ब्लूम से खाद्य शृंखला बाधित हो सकती है एवं अन्य समुद्री जीवन प्रभावित हो सकता है।
शिकार की आबादी पर संभावित प्रभाव: पेलागिया नोक्टिलुका जेलीफिश प्लवक एवं छोटी मछली के लार्वा को खाती है।
ऑक्सीजन की कमी और हाइपॉक्सिया (Hypoxia) : जैसे ही जेलीफिश मर जाती है एवं समुद्र तल में डूब जाती है, वे विघटित हो जाती हैं।
इस अपघटन प्रक्रिया में ऑक्सीजन की खपत होती है, जिससे जलीय स्तंभ में स्थानीयकृत ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
चरम मौसमी घटनाओं में, इसका परिणाम हाइपॉक्सिक क्षेत्र से संबंधित हो सकता है, जहाँ अधिकांश समुद्री जीवन का समर्थन करने के लिए ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम है।
आर्थिक निहितार्थ
पर्यटन एवं तटीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
जहरीली जेलीफिश ब्लूम से पर्यटकों को प्रभावित समुद्र तटों पर जाने से रोका जा सकता है।
इसके परिणामस्वरूप होटल, रेस्तराँ एवं अन्य पर्यटन-संबंधी व्यवसायों को आर्थिक नुकसान हो सकता है।
मछली पकड़ने के उद्योग पर प्रभाव
मछली के लार्वा की कमी एवं जेलीफिश ब्लूम के कारण खाद्य शृंखला में व्यवधान से मछली की आबादी में कमी आ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप मछुआरों के लिए पकड़ने की क्षमता तथा आय प्रभावित हो सकती है।
समुद्र तट प्रबंधन व्यय
जेलीफिश ब्लूम की गंभीरता के आधार पर, समुद्र तट को बंद करने, शमन प्रयासों के लिए संसाधनों की आवश्यकता हो सकती है, जिससे स्थानीय सरकारों को अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है।
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