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रेअर अर्थ मैग्नेट

Lokesh Pal September 13, 2025 02:59 88 0

संदर्भ

चीन से रेअर अर्थ मैग्नेट निर्यात पर निरंतर प्रतिबंधों के कारण भारतीय वाहन निर्माता आपूर्ति शृंखला व्यवधानों का सामना कर रहे हैं।

  • इस कमी के कारण कार निर्माता कंपनियों को चीन और वियतनाम से संपूर्ण उपकरण आयात करने के लिए बाध्य होना पड़ा है, जिससे लागत बढ़ गई है और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत पात्रता पर खतरा उत्पन्न हो गया है।

रेअर अर्थ मैग्नेट के बारे में

  • परिभाषा: दुर्लभ मृदा तत्त्वों (मुख्यतः लैंथेनाइड्स [Lanthanides]) के मिश्रधातुओं से बने स्थायी चुंबक।
  • गुण: अत्यधिक उच्च चुंबकीय शक्ति, उच्च ऊर्जा घनत्व, सघन आकार, फेराइट/एल्निको से बेहतर।
  • सीमाएँ: भंगुर, संक्षारण-प्रवण और आमतौर पर निकल-प्लेटेड या लेपित।

रेअर अर्थ मैग्नेट  के प्रकार

  • नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (Nd-Fe-B)
    • सबसे मजबूत स्थायी चुंबक।
    • संघटन: नियोडिमियम, लोहा, बोरॉन।
    • सीमाएँ: ताप और संक्षारण के प्रति संवेदनशील।
  • सैमेरियम-कोबाल्ट (Sm-Co)
    • Nd-Fe-B से थोड़ा दुर्बल लेकिन अधिक स्थिर।
    • संघटन: सैमेरियम, कोबाल्ट।
    • लाभ: उच्च ताप (लगभग 350°C तक) और संक्षारण प्रतिरोध।
    • सीमा: अधिक महँगा।

रेअर अर्थ मैग्नेट के अनुप्रयोग

  • चिकित्सा: MRI, एक्स-रे, PET इमेजिंग, श्रवण यंत्र।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क ड्राइव, स्पीकर, हेडफोन।
  • ऑटोमोटिव: इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन मोटर, सेंसर, पॉवर स्टीयरिंग सिस्टम।
  • रक्षा और विमानन: हथियार, विमान प्रणालियाँ, रडार।
  • औद्योगिक: पवन टरबाइन, रोबोटिक्स, चुंबकीय पृथक्करण, विद्युत उत्पादन।

दुर्लभ मृदा धातुओं का वितरण

  • चीन: खनन और प्रसंस्करण में प्रमुख (लगभग 90%)।
  • अन्य उत्पादक: संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, म्याँमार, वियतनाम।
  • भारत: आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश में प्रमुख भंडार।

PLI योजना पर प्रभाव

  • स्थानीय मूल्य संवर्द्धन आवश्यकता: PLI योजना के तहत प्रोत्साहनों के लिए पात्रता हेतु 50% घरेलू मूल्य संवर्द्धन अनिवार्य है।
  • अयोग्यता का जोखिम: संपूर्ण घटकों के आयात से स्थानीय मूल्य संवर्द्धन घट जाता है, जिसके परिणामस्वरूप योजना के अंतर्गत पहले से नामांकित वाहन निर्माताओं के लाभ पर संकट उत्पन्न हो सकता है।

भारत की सीमाएँ

  • पाँचवें सबसे बड़े दुर्लभ मृदा भंडार के बावजूद, भारत के पास कोई महत्त्वपूर्ण घरेलू प्रसंस्करण क्षमता नहीं है।
  • भारत में उपयोग किए जाने वाले लगभग सभी रेअर अर्थ मैग्नेट आयात पर निर्भर हैं, जिससे ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।
  • REE चुंबक आपूर्ति शृंखला (खनन, प्रसंस्करण, पृथक्करण और विनिर्माण) स्थापित करने में 3-4 वर्ष लगते हैं। दुर्लभ मृदा परियोजनाओं के लिए बड़े निवेश, उन्नत तकनीक और लंबी निर्माण अवधि की आवश्यकता होती है।

सरकारी हस्तक्षेप

  • क्रिटिकल मिनरल मिशन: सरकार ने पूरे भारत में क्रिटिकल मिनरल के 1,200 से अधिक अन्वेषणों के लिए ₹16,300 करोड़ का मिशन शुरू किया।
  • पुनर्चक्रण योजना: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रमुख खनिजों के निष्कर्षण हेतु बैटरी अपशिष्ट और ई-अपशिष्ट के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने हेतु ₹1,500 करोड़ की योजना को मंजूरी दी है।

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