भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2023 से लगातार 10वीं मौद्रिक नीति समीक्षा के लिए अपनी बेंचमार्क ब्याज दर 6.5% पर बनाए रखी।
संबंधित तथ्य
मजबूत घरेलू विकास और मुद्रास्फीति को लेकर चिंताओं के कारण RBI ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में मामूली गिरावट के बावजूद रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखा।
रेपो दर के बारे में
रेपो दर से तात्पर्य उस दर से है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक देश के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अपनी प्रतिभूतियाँ बेचकर पैसा उधार लेते हैं।
मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए यह RBI के मुख्य उपकरणों में से एक है।
मौद्रिक नीति समिति
मौद्रिक नीति रूपरेखा समझौता, 2015: भारतसरकार और RBI के बीच हुए समझौते के परिणामस्वरूप मौद्रिक नीति समिति (MPC) की स्थापना की गई थी, जिसके तहत RBI को मूल्य स्थिरता और मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
संशोधित RBI अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB के तहत, केंद्र सरकार को छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति गठित करने का अधिकार है।
इस प्रकार की पहली MPC वर्ष 2016 में गठित की गई थी।
मुद्रास्फीति लक्ष्य: RBI मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति लक्ष्य को 4% (2% के मानक विचलन के साथ) पर रखने के लिए जिम्मेदार है।
केंद्र सरकार प्रत्येक पाँच वर्ष में एक बार भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करती है।
MPC के कार्य: मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करना।
बैठक के लिए कोरम: चार सदस्य, जिनमें से एक गवर्नर होगा और उसकी अनुपस्थिति में डिप्टी गवर्नर, जो MPC का सदस्य होगा।
MPC का निर्णय लेना
MPC बहुमत के आधार पर निर्णय लेती है (जो उपस्थित होते हैं और मतदान करते हैं)।
बराबर मत मिलने की स्थिति में RBI गवर्नर के पास दूसरा या निर्णायक मत होगा।
समिति का निर्णय RBI के लिए बाध्यकारी होगा।
MPC के सदस्य
RBI गवर्नर इसके पदेन अध्यक्ष होंगे।
मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर होंगे।
केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित बैंक का एक अधिकारी होगा।
केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाने वाले तीन व्यक्ति होंगे।
नीतिगत रुख: MPC केनीतिगत रुख से पता चलता है कि MPC अपने कार्यों से क्या हासिल करने का प्रयास कर रही है।
नीतिगत रुख हमें बताता है कि क्या MPC मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है या मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हुए विकास को बढ़ावा दे रही है अथवा केवल तटस्थ बनी हुई है।
MPC के विभिन्न नीतिगत रुख को नीचे दी गई तालिका के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:-
समायोजनात्मक
(Accommodative)
केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा आपूर्ति का विस्तार करने के लिए तैयार है।
ब्याज दरों में कटौती करने के लिए तैयार है, यानी दरों में वृद्धि की संभावना नहीं है।
जब वृद्धि को नीतिगत समर्थन की आवश्यकता होती है और मुद्रास्फीति तत्काल चिंता का विषय नहीं होती है, तो एक समायोजन नीति अपनाता है।
तटस्थ
(Neutral)
केंद्रीय बैंक या तो ब्याज दर में कटौती कर सकता है अथवा ब्याज दर बढ़ा सकता है।
जब मुद्रास्फीति और वृद्धि दोनों पर नीति प्राथमिकता समान हो, तो इसे अपनाया जाता है।
आक्रामक रुख (Hawkish Stance)
केंद्रीय बैंक की सर्वोच्च प्राथमिकता मुद्रास्फीति को कम रखना है।
केंद्रीय बैंक मुद्रा आपूर्ति को रोकने और इस प्रकार माँग को कम करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करने को तैयार है।
सख्त मौद्रिक नीति का भी संकेत देता है।
दरों में वृद्धि या मौद्रिक नीति को ‘कठोर’ करना बैंकों को अंतिम उधारकर्ताओं को ऋण पर अपनी ब्याज दर बढ़ाने का संकेत देता है।
यह वित्तीय प्रणाली में माँग को रोकता है।
कैलिब्रेटेड संकेंद्रण (Calibrated Tightening)
मौजूदा दर चक्र के दौरान, रेपो दर में कटौती की संभावना नहीं है।
हालाँकि, दरों में बढ़ोतरी एक सुनियोजित तरीके से होगी।
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