हाल ही में भारत ने वित्त वर्ष 2024 में ब्रिटेन में संगृहीत 100 टन स्वर्ण भारत के घरेलू भंडार में स्थानांतरित किया है।
स्वर्ण भंडार
स्वर्ण भंडार किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जमा किया गया स्वर्ण होता है, जो वित्तीय वादों के लिए बैकअप और मूल्य के भंडार के रूप में कार्य करता है।
भारत का स्वर्ण भंडार: अन्य देशों की तरह भारत भी वित्तीय जोखिम को कम करने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाने के लिए अपने स्वर्ण भंडार का एक हिस्सा विदेशी भंडार के रूप में रखता है।
वित्त वर्ष 2024 तक भारत के पास कुल 822 मीट्रिक टन स्वर्ण भंडार है।
स्वर्ण भंडार का भंडारण: भारत का स्वर्ण भंडार मुख्य रूप से बैंक ऑफ इंग्लैंड में रखा जाता है, जो अपने सख्त सुरक्षा उपायों के लिए प्रसिद्ध है।
RBI अपने स्वर्ण भंडार का एक हिस्सा स्विट्जरलैंड के बासेल स्थित बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) और संयुक्त राज्य अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ न्यूयॉर्क में भी रखता है।
शीर्ष स्वर्ण भंडार वाले देश:संयुक्त राज्य अमेरिका 8,133.46 टन के साथ प्रथम स्थान पर है, उसके बाद जर्मनी 3,352.65 टन के साथ द्वितीय एवं भारत 822.09 टन के साथ तीसरे स्थान पर है।
RBI द्वारा विदेशों में स्वर्ण जमा करने के पीछे कारण
लॉजिस्टिकल सुविधा: वर्ष 1990-91 के विदेशी मुद्रा संकट के दौरान, भारत ने लगभग 405 मिलियन डॉलर के ऋण के लिए संपार्श्विक के रूप में अपने स्वर्ण भंडार को बैंक ऑफ इंग्लैंड को हस्तांतरित कर दिया था।
भारत द्वारा ऋण नवंबर 1991 में चुका दिया गया था, फिर भी RBI ने लॉजिस्टिकल सुविधा के लिए स्वर्ण को ब्रिटेन में ही बनाए रखने का निर्णय लिया।
शेयर बाजार में व्यापार: विदेशों में संग्रहित स्वर्ण भंडार शेयर बाजार में व्यापार के लिए उपलब्ध रहता है, जिससे संभावित लाभ प्राप्त होता है।
इसके अतिरिक्त, RBI अंतरराष्ट्रीय बाजार से अतिरिक्त स्वर्ण प्राप्त करता है, और उसे विदेशों में संगृहीत करता है।
RBI द्वारा स्वर्ण के संग्रहण के पीछे कारण
अनिश्चितता से बचाव: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नकारात्मक ब्याज दरों और भू-राजनीतिक अस्थिरताओं के विरुद्ध रक्षात्मक उपाय के रूप में स्वर्ण जमा करता है।
मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता के समय स्वर्ण अमेरिकी सरकारी बॉन्ड की तुलना में बेहतर रिटर्न देता है।
इसके अतिरिक्त, स्वर्ण भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के खिलाफ सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, जैसे- रूस-यूक्रेन युद्ध एवं अमेरिका और चीन के मध्य तनाव जैसी स्थिति में।
विदेशी मुद्रा भंडार के लिए विविधीकरण: स्वर्ण के माध्यम से विदेशी मुद्रा भंडार का विस्तार करने से संकट के दौरान स्थिरता, तरलता और मूल्य में वृद्धि होती है।
आर्थिक महत्त्व: अर्थव्यवस्था में स्वर्ण का ऐतिहासिक महत्त्व एक आरक्षित मुद्रा के रूप में इसके कार्य, अंतर्निहित मूल्य और किसी देश की मुद्रा को मजबूत करने की इसकी क्षमता में निहित है।
इसके अतिरिक्त, यह केंद्रीय बैंक की गतिविधियों में सरकारी प्रतिभूतियों के विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है।
RBI अधिनियम, 1934 की धारा 33 के अनुसार, RBI द्वारा जारी किए गए सभी बैंक नोट स्वर्ण, सरकारी प्रतिभूतियों और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों द्वारा समर्थित हैं।
RBI द्वारा स्वर्ण के हस्तांतरण के कारण
भंडारण में विविधता: RBI ने लॉजिस्टिक कारणों से तथा भंडारण में विविधता सुनिश्चित करने के लिए स्वर्ण को भारत लाने का निर्णय लिया है।
इस हस्तांतरण से बैंक ऑफ इंग्लैंड जैसे विदेशी संस्थानों को दिए जाने वाले भंडारण शुल्क की बचत होगी तथा इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता में विश्वास का संकेत प्राप्त होता है।
भू-राजनीतिक कारक: भू-राजनीतिक कारक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, विशेष रूप से विदेशों में उत्पन्न तनाव (रूस-यूक्रेन संघर्ष, गाजा संघर्ष) जो RBI के आरक्षित स्वर्ण भंडार के समक्ष खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बढ़ती अनिश्चितता को देखते हुए, घरेलू स्तर पर स्वर्ण के भंडार पर भौतिक नियंत्रण बनाए रखना अधिक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। RBI का लक्ष्य अपने पर्याप्त स्वर्ण भंडार को सुरक्षित रखना है।
आर्थिक विश्वास को बढ़ावा: घरेलू स्वर्ण भंडार में वृद्धि से भारत की मजबूत वित्तीय स्थिति और स्थिर अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ सकता है।
RBI आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अपने स्वर्ण भंडार को भारत में वापस लाने के उपायों पर विचार कर रहा है।
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