100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

कार्बन संग्रहण, उपयोग और भंडारण के लिए अनुसंधान एवं विकास रोडमैप

Lokesh Pal December 08, 2025 03:45 9 0

संदर्भ

भारत ने कार्बन संग्रहण, उपयोग और भंडारण (CCUS) के लिए अपना पहला अनुसंधान एवं विकास रोडमैप लॉन्च किया है।

कार्बन संग्रहण, उपयोग और भंडारण (CCUS) के बारे में 

  • कार्बन संग्रहण, उपयोग और भंडारण (CCUS) उन तकनीकों के समूह को संदर्भित करता है जो औद्योगिक स्रोतों या वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को ग्रहण करते हैं तथा संगृहित की गई CO₂ का परिवहन करते हैं और या तो इसका उपयोग उत्पादक उद्देश्यों के लिए करते हैं या इसे वायुमंडल में उत्सर्जित होने से रोकने के लिए इसे स्थायी रूप से भूमिगत रूप में संगृहित करते हैं।
  • इन तकनीकों का उद्देश्य COको वायुमंडल में प्रवेश करने और जमा होने से रोकना है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग पर इसके प्रभाव को कम किया जा सके।

CCUS प्रौद्योगिकी के तीन चरण

  • कार्बन प्रग्रहण: पहला चरण औद्योगिक गैस धाराओं से CO₂ को ग्रहण करने पर केंद्रित है, और प्रग्रहण तकनीक का चयन धारा में CO₂ की सांद्रता तथा इसके इच्छित उपयोग के आधार पर किया जाता है।
  • कार्बन उपयोग: दूसरे चरण में संग्रहण की गई COको हरित यूरिया, शुष्क बर्फ, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, निर्माण सामग्री और विभिन्न रसायनों जैसे उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है।
  • कार्बन भंडारण: तीसरा चरण CO₂ के दीर्घकालिक भंडारण से संबंधित है। संगृहित की गई CO₂ को स्थायी भंडारण के लिए भू-वैज्ञानिक संरचनाओं जैसे-लवणीय जलभृतों, समाप्त हो चुके तेल और गैस भंडारों, या अन्य स्थिर भूमिगत संरचनाओं में अंतःक्षेपित किया जाता है।

भारत को CCUS की आवश्यकता क्यों है?

  • चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जक है, जो वार्षिक रूप से लगभग 2.6 गीगाटन CO उत्सर्जित करता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद, देश औद्योगिक विकास और आधारभूत विद्युत उत्पादन के लिए कोयले, तेल और प्राकृतिक गैस पर अत्यधिक सीमा तक निर्भर है, जिससे तत्काल चरणबद्ध तरीके से उत्सर्जन को समाप्त करना अवास्तविक है।
  • भारत की जलवायु प्रतिबद्धताएँ और चुनौतियाँ
    • जलवायु प्रतिबद्धताएँ: भारत सरकार ने वर्ष 2050 तक COउत्सर्जन में 50% की कटौती करने और वर्ष 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने का संकल्प लिया है।
    • केवल नवीकरणीय ऊर्जा ही इस्पात, सीमेंट, उर्वरक और तापीय ऊर्जा जैसे कठिन उद्योगों को कार्बन-मुक्त नहीं कर सकती है।
    • इसलिए, वर्तमान उत्सर्जन को कम करने और दीर्घकालिक, निम्न-कार्बन औद्योगिक विकास के मार्ग प्रशस्त करने के लिए CCUS आवश्यक हो जाता है।

संबंधित रोडमैप 

  • DST द्वारा तैयार: यह रोडमैप विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा CCUS प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के राष्ट्रीय प्रयासों का मार्गदर्शन करने के लिए विकसित किया गया है।
  • इसमें कुशल जनशक्ति, सुदृढ़ नियामक मानकों, सुरक्षा प्रोटोकॉल और साझा CCUS अवसंरचना में शीघ्र निवेश सहित सक्षम ढाँचों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।

इस रोडमैप के मुख्य घटक

  • वर्तमान प्रौद्योगिकियों को उन्नत करना: इसका उद्देश्य केंद्रित अनुसंधान और प्रायोगिक परिनियोजन के माध्यम से मौजूदा CCUS प्रौद्योगिकियों को व्यावसायिक तत्परता के उच्च स्तर तक पहुँचाना है।
  • अभूतपूर्व प्रौद्योगिकियाँ: अग्रणी सामग्रियों और उन्नत रासायनिक अभिक्रियाओं सहित अगली पीढ़ी के CCUS नवाचारों को परिवर्तनकारी समाधानों में तेजी लाने के लिए समर्पित समर्थन प्राप्त होगा।
  • विषयगत प्राथमिकताएँ: इनमें CO₂ संग्रहण दक्षता में सुधार, उपयोग के तरीकों में विविधता लाना, दीर्घकालिक भंडारण क्षमताएँ विकसित करना और एकीकृत कार्बन प्रबंधन प्रणालियाँ डिजाइन करना शामिल हैं।
  • सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र: नीतिगत समर्थन, नियामक मानकों, सुरक्षा मानदंडों, प्रारंभिक चरण के बुनियादी ढाँचे और क्षमता निर्माण पहलों से युक्त एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र को बड़े पैमाने पर CCUS परिनियोजन के लिए आवश्यक माना जाता है।

रोडमैप में प्रस्तावित मुख्य अनुसंधान एवं विकास ढाँचा

रोडमैप में भारत की CCUS क्षमताओं को विकसित करने के लिए वर्ष 2025 से वर्ष 2045 तक विस्तारित एक संरचित त्रि-चरणीय अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम का प्रस्ताव है।

  • चरण 1 (वर्ष 2025- वर्ष 2030): आधारभूत अनुसंधान और पायलट प्रदर्शन
    • यह चरण बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान को मजबूत करने, मौजूदा तकनीकों की दक्षता में सुधार लाने और ऐसी नवीन सामग्रियों एवं प्रक्रियाओं को विकसित करने पर केंद्रित है जो CO₂ संग्रहण प्रक्रियाओं की लागत को कम कर सकें।
    • इसका उद्देश्य आशाजनक समाधानों के प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (TRL) को बढ़ाना और प्रमुख उद्योगों में पायलट-स्तरीय प्रदर्शन शुरू करना भी है।
  • चरण 2 (वर्ष 2030- वर्ष 2035): औद्योगिक एकीकरण और नियामक विकास
    • इस चरण में, रिपोर्ट कृष्णा-गोदावरी बेसिन, राजस्थान, तमिलनाडु और पूर्वोत्तर जैसे क्षेत्रों में CCUS केंद्रों और समूहों की स्थापना की परिकल्पना करती है।
    • इसमें COके संग्रहण, परिवहन और भंडारण को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय नियामक ढाँचे का मसौदा तैयार करने का भी प्रस्ताव है, जिसमें दायित्व, निगरानी, ​​कार्बन मूल्य निर्धारण और सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिए दिशा-निर्देश शामिल हैं।
  • चरण 3 (वर्ष 2035- वर्ष 2045): वाणिज्यिक तैनाती एवं विस्तार
    • अंतिम चरण का उद्देश्य प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में CCUS को व्यापक, व्यावसायिक स्तर पर अपनाना है।
    • इसमें CO₂ परिवहन नेटवर्क का निर्माण, करोड़ों टन भंडारण क्षमता संचालन को सक्षम बनाना और कार्बन-मुक्त औद्योगिक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए CCUS को उभरती हाइड्रोजन-आधारित प्रौद्योगिकियों के साथ एकीकृत करना शामिल है।

अनुसंधान एवं विकास के लिए प्रौद्योगिकी मार्ग

इस रोडमैप में भारत के औद्योगिक परिदृश्य के अनुरूप CCUS प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए आवश्यक तीन प्रमुख अनुसंधान एवं विकास मार्गों की पहचान की गई है।

  • एंड-ऑफ-पाइप (EOP) प्रौद्योगिकियाँ: रोडमैप में कहा गया है कि EOP प्रौद्योगिकियाँ, फ्लू गैस धाराओं से सीधे CO₂ को प्रग्रहण करने में सक्षम बनाकर मौजूदा उद्योगों को पुनःस्थापित करने में मदद करेंगी।
  • नए औद्योगिक संयंत्रों के लिए CCUS-अनुरूप डिजाइन (CCD): रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि भविष्य के सभी औद्योगिक संयंत्रों को CCUS प्रौद्योगिकियों को प्रभावी ढंग से एकीकृत करने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए।
  • प्रत्यक्ष ‘कन्वर्जन वन-पॉट’ (COP) प्रौद्योगिकियाँ
    • यह रोडमैप उन प्रौद्योगिकियों में दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देता है जो CO₂ को प्रत्यक्षे रूप से उपयोगी उत्पादों, जैसे- कम कार्बन वाले ईंधन, निर्माण सामग्री, उर्वरक और रसायनों में परिवर्तित कर सकती हैं।
    • इसमें कहा गया है कि हालाँकि इनमें से कई प्रौद्योगिकियाँ अभी भी प्रारंभिक शोध चरण में हैं, फिर भी इनमें भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी क्षमता है।

जलवायु परिवर्तन को कम करने में CCUS की भूमिका

  • औद्योगिक उत्सर्जन में कमी: CCUS, स्टील, सीमेंट, उर्वरक और ताप विद्युत संयंत्रों जैसे कठिन-से-कम करने योग्य उद्योगों से CO₂ को अवशोषित करके, उसे वायुमंडल में प्रवेश करने से रोककर, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को उल्लेखनीय रूप से कम करता है।
  • संक्रमणकालीन जीवाश्म ईंधन उपयोग: CCUS, कोयला, तेल और गैस संचालन की कार्बन तीव्रता को कम करके ऊर्जा संक्रमण के दौरान मौजूदा जीवाश्म ईंधन अवसंरचना के निरंतर उपयोग की अनुमति देता है।
  • नकारात्मक उत्सर्जन क्षमता: CCUS, डायरेक्ट एयर संग्रहण और ‘बायोएनर्जी विद कार्बन संग्रहण एंड स्टोरेज’ (Bioenergy with Carbon Capture and Storage- BECCS) जैसी तकनीकों के साथ संयुक्त होने पर, नकारात्मक उत्सर्जन को सक्षम बनाता है, जिससे पहले से उत्सर्जित COको वायुमंडल से पृथक करने में मदद मिलती है।

भारत में CCUS विकास की वर्तमान स्थिति

  • भारत में CCUS परीक्षण केंद्र: मई 2025 में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने अनुवादात्मक अनुसंधान एवं विकास के लिए पाँच CCUS परीक्षण केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी।
    • ये परीक्षण केंद्र सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत शिक्षा जगत और उद्योग जगत के सहयोग से स्थापित किए जाएँगे, जिसमें शीर्ष अनुसंधान प्रयोगशालाएँ और अग्रणी सीमेंट कंपनियाँ उद्योग भागीदार के रूप में शामिल होंगी।
  • नीति आयोग का नीतिगत ढाँचा: नीति आयोग ने भारत में CCUS परियोजनाओं के लिए एक स्पष्ट नियामक वातावरण स्थापित करने हेतु ‘कार्बन संग्रहण, उपयोग और भंडारण नीति ढाँचा और उसका परिनियोजन तंत्र’ (2022) विकसित किया है।
  • भारत में संचालित CCUS परियोजनाएँ
    • ONGC हजीरा CCUS परियोजना: इस परियोजना में हजीरा गैस प्रसंस्करण संयंत्र से CO₂ को एकत्रित करके उसे दीर्घकालिक भंडारण के लिए समुद्र तल के नीचे एक गहरे लवणीय जलभृत में प्रक्षेपित किया जाएगा।
    • NTPC सीपत CCUS परियोजना: NTPC सीपत परियोजना, सीपत विद्युत संयंत्र की फ्लू गैस से CO₂ को एकत्रित करके उसे यूरिया, जो एक प्रमुख उर्वरक है, में परिवर्तित करेगी।
    • रिलायंस इंडस्ट्रीज जामनगर CCUS परियोजना: रिलायंस की जामनगर परियोजना, रिफाइनरी से CO₂ को एकत्रित करेगी और उसका उपयोग एथिलीन, जो एक महत्त्वपूर्ण पेट्रोकेमिकल फीडस्टॉक है, के उत्पादन के लिए करेगी।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.