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रियासी आतंकी हमला और जम्मू-कश्मीर में शांति संवेदनशीलता

Lokesh Pal June 15, 2024 03:41 314 0

संदर्भ

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस पर हमला किया, जिसमें नौ तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 33 घायल हो गए। 

संबंधित तथ्य 

  • रियासी इलाके में तीर्थयात्रियों पर दूसरा आतंकी हमला: राजौरी जिले के पास रियासी के पौनी इलाके में हुआ आतंकी हमला, वहाँ तीर्थयात्रियों को निशाना बनाने वाला दूसरा हमला है। 
    • मई 2022 में, आतंकवादियों द्वारा लगाए गए बम के कारण कटरा से जम्मू जा रही एक बस में आग लग गई, जिसमें कई तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी।
  • नए क्षेत्रों में आतंकवादी हमलों का विस्तार: हालिया आतंकवादी हमला नए क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियों के संभावित विस्तार को उजागर करता है, क्योंकि रियासी जिला इससे पहले पड़ोसी जिलों राजौरी और पुंछ में हुए हमलों से अप्रभावित रहा था।

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (Comprehensive Convention on International Terrorism- CCIT)

  • अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) एक प्रस्तावित संधि है, जिसका उद्देश्य सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को अपराध घोषित करना तथा आतंकवादियों, उनके वित्तपोषकों एवं समर्थकों को धन, हथियार और सुरक्षित आश्रयों से वंचित करना है।
  • इसका मसौदा भारत द्वारा वर्ष 1996 में तैयार किया गया था, लेकिन इसे अभी तक संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा अपनाया जाना शेष है।

आतंकवाद के बारे में

  • वर्तमान में, आतंकवाद की कोई सार्वभौमिक विधिक परिभाषा नहीं है। हालाँकि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) आतंकवाद को इस प्रकार परिभाषित करता है: ‘कोई भी व्यक्ति इस अभिसमय के दायरे में अपराध करता है यदि वह व्यक्ति, किसी भी तरह से, गैर-कानूनी और जानबूझकर, ऐसा करता है:-
    • किसी व्यक्ति की मृत्यु या गंभीर शारीरिक चोट पहुँचता है। 
    • सार्वजनिक या निजी संपत्ति को गंभीर क्षति, जिसमें सार्वजनिक उपयोग का स्थान, राज्य या सरकारी सुविधा, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, बुनियादी ढाँचा सुविधा या पर्यावरण शामिल है।
    • संपत्ति, स्थानों, सुविधाओं या प्रणालियों को नुकसान, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी आर्थिक हानि होने की संभावना है, जब आचरण का उद्देश्य, अपनी प्रकृति या संदर्भ से, किसी आबादी को डराता है या किसी सरकार या अंतरराष्ट्रीय संगठन को कोई कार्य करने या न करने के लिए मजबूर करता है।

जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद की स्थिति

  • अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद से गिरावट: अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद से जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में 66% की कमी देखी गई है।
  • राजौरी और पुंछ में आतंकवादी हमलों का पुनरुत्थान: रियासी, राजौरी और पुंछ में वर्ष 1990 के दशक के दौरान सक्रिय आतंकवादी देखे गए थे, लेकिन वर्ष 2021 तक उग्रवाद पर नियंत्रण था। पिछले तीन वर्षों में, इन क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियों का पुनरुत्थान हुआ है।
    • कश्मीर घाटी में घुसपैठरोधी ग्रिड को मजबूत किया गया है: इससे आतंकवादी गतिविधियाँ जम्मू जैसे जिलों की ओर विस्तारित हो सकती हैं।
    • नए क्षेत्रों की तलाश: राजौरी और पुंछ के विपरीत, रियासी नियंत्रण रेखा (LoC) के करीब नहीं है, लेकिन आस-पास के जिलों में सुरक्षा बलों के दबाव ने आतंकवादियों को नए क्षेत्रों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है।
  • स्थापित आतंकवादी नेटवर्क की उपस्थिति
    • वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे पाकिस्तान के नेतृत्व वाले आतंकवादी समूहों पर लगाई गई शर्तों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय जाँच से बचने के लिए प्रॉक्सी के माध्यम से कार्य करने के लिए मजबूर कर दिया है।
    • जम्मू-कश्मीर पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, कथित प्रॉक्सी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front- TRF) ने जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए हमले की जिम्मेदारी ली है।
    • वर्ष 2022 में, जम्मू-कश्मीर में मारे गए अधिकांश आतंकवादी या तो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) या द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) से संबंधित थे, जो तीन दशकों से स्थापित गुप्त नेटवर्क की दृढ़ता को दर्शाता है।

  • आतंकवादी समूहों की नई घुसपैठ पर चिंता: जम्मू और कश्मीर पुलिस ने घाटी में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि के बारे में चिंता जताई, जो संभवतः किसी नए घुसपैठिए समूह से जुड़ी हुई है।

जम्मू में बढ़ते आतंकवादी हमलों के पीछे कारण

  • क्षेत्रीय बलों में कमी: वर्ष 2020 में, राष्ट्रीय राइफल्स (RR) इकाइयों को पुंछ, राजौरी और रियासी जिलों से लद्दाख में स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे सुरक्षा मौजूदगी कम हो गई और आतंकवादियों का हौसला बढ़ गया।
  • कश्मीर घाटी में सेना की बढ़ी हुई गतिविधियाँ: पिछले तीन वर्षों में सेना की बढ़ी हुई गतिविधियों के कारण आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र जम्मू की ओर स्थानांतरित हो गया है।
  • चुनौतीपूर्ण भू-भाग: जम्मू क्षेत्र के विशाल और जटिल भू-भाग का उपयोग पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा कभी-कभी सुरंगों का उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय सीमा और LoC के पार सशस्त्र आतंकवादियों को भेजने के लिए किया जाता है।
  • भौगोलिक लाभ: इन जिलों में फैली पीर पंजाल रेंज, दर्रों के माध्यम से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) तक वर्षभर आवाजाही की पहुँच प्रदान करती है और आतंकवादियों को भागने के मार्ग और हमले के लॉन्चपैड की सुविधा प्रदान करती है।
    • हाल ही में रियासी में हुआ हमला, जिसमें आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों को जंगल से ले जा रही एक बस पर घात लगाकर हमला किया, इस परिचालन रणनीति को रेखांकित करता है।
  • आगामी विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास: जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी हिंसा में वृद्धि को आगामी विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने और निवासियों में भय फैलाने की एक सोची-समझी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
  • उच्च तकनीक, उच्च कौशल से प्रशिक्षित आतंकवादी: आतंकवादी संवाद करने के लिए स्थानीय फोन और ऑफलाइन ऐप का उपयोग कर रहे हैं, जिससे सुरक्षा बलों पर नजर रखना कठिन हो गया है।
  • खुफिया नेटवर्क की कमी: आतंकवाद विरोधी अभियानों में खुफिया जानकारी महत्त्वपूर्ण है। मुखबिरों के एक मजबूत नेटवर्क की अनुपस्थिति एक चुनौती बनी हुई है क्योंकि आतंकवादी और उनके भूमिगत कार्यकर्ताओं का नेटवर्क मौजूद है।

जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए उठाए गए कदम

  • आतंकवाद विरोधी अभियानों का विस्तार: पिछले चार वर्षों में, जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बलों ने पूरे आतंकी नेटवर्क और उनकी वित्तीय सहायता प्रणालियों को निशाना बनाने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियानों का विस्तार किया है।
  • आतंकवाद विरोधी कानूनों का बढ़ता उपयोग: गैर-कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (UAPA) और सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) जैसे कानूनों का उपयोग इन नेटवर्कों को नष्ट करने में एक प्रमुख रणनीति रही है।
  • ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) नेटवर्क को खत्म करने के प्रयास: आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान करने के आरोपी ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) नेटवर्क को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

  • बहु-एजेंसी आतंकवाद निगरानी समूह (TMG) और राज्य जाँच एजेंसी (SIA) का गठन: जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने क्षेत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए TMG और SIA का गठन किया है। इन एजेंसियों ने ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) नेटवर्क पर नकेल कसी है, जिसके परिणामस्वरूप आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान करने के आरोप में 1,900 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
  • जम्मू और कश्मीर पुलिस द्वारा विशेष जाँच इकाइयों (Special Investigation Units- SIU) का गठन: वर्ष 2022 में, UAPA मामलों की अधिकता के कारण जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रत्येक पुलिस जिले में विशेष जाँच इकाइयों (SIU) का गठन किया।
    • यह इस अवधारणा पर आधारित है कि प्रत्येक जिले में ऐसे अधिकारियों को नियुक्त किया जाए, जो इन मामलों की जाँच करें तथा प्रभावी रूप से न्यायिक सजा सुनिश्चित कर सके।
  • सुरक्षा उपायों का विस्तार: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा अभियान मर परिवर्तन आ रहा है। आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि इसका दायरा बढ़ा है, जिसमें सुरक्षा कानूनों के तहत व्यापक हिरासत, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और कर चोरी संबंधी जाँच शामिल हैं, जिनका उद्देश्य कथित फंडिंग नेटवर्क को अवरुद्ध करना और ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) नेटवर्क और उनके नेटवर्कों पर कार्रवाई करना है।
  • आतंकवाद से निपटने के लिए सामुदायिक समर्थन पर जोर: स्थानीय समुदायों और सुरक्षा बलों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देने से प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करने और आतंकवादी गतिविधियों की शीघ्र रोकथाम में मदद मिल सकती है।

आतंकवाद से निपटने के लिए भारत की रूपरेखा

  • विधायी उपाय
    • गैर-कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (UAPA): UAPA एक आतंकवाद विरोधी कानून है, जिसे पहली बार वर्ष 1967 में लागू किया गया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों को प्रभावी ढंग से रोकना एवं उनसे निपटना है।
    • NIA (संशोधन) अधिनियम, 2019: यह विधेयक NIA अधिकारियों को भारत के बाहर किए गए अपराधों की भी जाँच करने की शक्ति देता है और विशेष न्यायालयों की स्थापना का आदेश देता है।
  • अन्य उपाय
    • आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा (Terror Funding and Fake Currency- TFFC) सेल: राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा मामलों की केंद्रीय जाँच करने के लिए एक नई सेल गठित की है।
    • नकली मुद्रा पर ध्यान: आतंकवादियों को जाली मुद्रा तक पहुँचने से रोककर, अधिकारी उनके वित्तीय नेटवर्क को बाधित कर सकते हैं और हमलों को प्रभावी ढंग से वित्तपोषित करने और अंजाम देने की उनकी क्षमता को कम कर सकते हैं।
    • नकली भारतीय मुद्रा नोट (Fake Indian Currency Note- FICN) समन्वय समूह: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नकली मुद्रा नोटों के प्रचलन की समस्या का सामना करने के लिए राज्यों/केंद्रों की सुरक्षा एजेंसियों के बीच खुफिया/सूचना साझा करने के लिए FICN समन्वय समूह (FCORD) का गठन किया है।
    • राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (National Intelligence Grid- NATGRID): संभावित आतंकवादियों पर नजर रखने और आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए, NATGRID विभिन्न खुफिया और कानून प्रवर्तन संगठनों से प्राप्त विशाल मात्रा में डेटा का विश्लेषण करने के लिए बिग डेटा एवं एनालिटिक्स जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर रहा है।

आतंकवाद पर नियंत्रण लगाने के लिए आवश्यक उपाय

  • क्षमता निर्माण और खुफिया जानकारी को मजबूत करना: सुरक्षा कर्मियों के कौशल और संसाधनों को बढ़ाने के साथ-साथ बेहतर खुफिया जानकारी एकत्र करने तथा साझा करने से आतंकवादी खतरों के प्रति अधिक प्रभावी रोकथाम एवं प्रतिक्रिया सुनिश्चित होती है।
  • सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार: आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय में और सुधार की आवश्यकता है। आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के बीच संबंधों को पूरी तरह से पहचाना जाना चाहिए और सख्ती से संबोधित किया जाना चाहिए।
  • सीमाओं की सुरक्षा: आतंकवादियों की घुसपैठ तथा हथियारों और धन की तस्करी को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा को मजबूत करना।
  • आतंकी वित्तपोषण पर अंकुश लगाना: आतंकवादी वित्तपोषण में इस उद्देश्य से धन जुटाना, इकट्ठा करना या उपलब्ध कराना शामिल है कि उनका इस्तेमाल आतंकवादी कृत्यों या संगठनों को समर्थन देने के लिए किया जा सकता है। धन वैध एवं अवैध दोनों स्रोतों से आ सकता है।
    • आतंकवादी संगठनों के वित्तीय नेटवर्क को लक्षित करने और उन्हें बाधित करने के लिए मनी-लॉण्ड्रिंग विरोधी कानूनों को लागू करना और अवैध लेनदेन पर नजर रखना आवश्यक है।
    • हाल ही में संपन्न ‘नो मनी फॉर टेरर (NMFT)’ सम्मेलन इस दिशा में एक कदम है।
  • कट्टरपंथ को संबोधित करना: प्रभावी वैचारिकी स्थापित कर और कट्टरपंथी व्यक्तियों को बेअसर करके कट्टरपंथ के मुद्दे को संबोधित करना। इसके अतिरिक्त, उन्हें शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से मुख्यधारा के समाज में पुनर्वासित किया जाना चाहिए।
  • सामुदायिक सहभागिता: सामुदायिक पुलिसिंग को बढ़ावा देना तथा संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के लिए कानून प्रवर्तन और स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास निर्माण करना।

निष्कर्ष

हाल ही में रियासी में हुआ आतंकवादी हमला केंद्र सरकार द्वारा सतर्कता बढ़ाए जाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है, क्योंकि वह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने और यथाशीघ्र राज्य का दर्जा बहाल करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

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