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दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के ब्रिक्स में शामिल होने की रूचि के कारण

Lokesh Pal July 05, 2024 04:01 114 0

संदर्भ

मलेशिया और थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया के नवीनतम देश हैं, जिन्होंने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के विस्तारित ब्रिक्स समूह में शामिल होने में रुचि व्यक्त की है।

संबंधित तथ्य

  • हाल ही में थाईलैंड ने सदस्यता के लिए अनुरोध प्रस्तुत किया था, जबकि मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने एक चीनी समाचार पोर्टल के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि उनका देश जल्द ही औपचारिक प्रक्रियाएँ शुरू करेगा।
  • कारण
    • अभिव्यक्ति क्षमता में वृद्धि
      • थाईलैंड और मलेशिया दोनों को मध्यम शक्तियों के रूप में देखा जाता है।
      • उनके लिए ब्रिक्स जैसे समूहों में शामिल होना बेहतर है ताकि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में उनकी अभिव्यक्ति क्षमता में वृद्धि हो, लेकिन सबसे बड़ा लाभ व्यापार से संबंधित होगा।
    • व्यापार और निवेश के अवसर
      • ब्रिक्स का सदस्य होने से व्यापार और निवेश के अवसर खुलेंगे।
    • आर्थिक अवसरों में वृद्धि
      • वर्ष 2023 में ब्रिक्स ने अपनी सदस्यता का विस्तार करने का फैसला किया, जिसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को ब्लॉक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया।
        • विस्तारित समूह का नाम अभी तक आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया गया है, लेकिन इसे “ब्रिक्स+” कहा जा सकता है।
      • संयुक्त रूप से, इसके सदस्य दुनिया की आबादी के लगभग 45% भाग (लगभग 3.5 बिलियन लोग) के लिए उत्तरदायी हैं।
      • विश्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार, ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाएँ लगभग $30 ट्रिलियन (वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 28%) की हैं।
      • ब्रिक्स मलेशिया की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत डिजिटल बाजारों वाले देशों के साथ एकीकृत करने और अन्य सदस्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं का लाभ उठाने की अनुमति देकर तेजी से बढ़ने में मदद कर सकता है।
      • थाईलैंड सेवाओं, विनिर्माण और कृषि सहित महत्त्वपूर्ण उद्योगों में निवेश आकर्षित करने में भी सक्षम होगा।

ब्रिक्स

  • ब्रिक्स, विश्व की उभरती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिए एक संक्षिप्त शब्द (Abbreviation) है।
  • वर्ष 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्री ‘जिम ओ’ नील’ (Jim O’Neill) द्वारा ब्राजील, रूस, भारत और चीन की  उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह को संदर्भित करने के लिये पहली बार BRIC शब्द का उपयोग किया था। 
    •  वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका के इस समूह में शामिल होने के बाद इसका नाम बदल कर ब्रिक्स (BRICS) कर दिया गया। 
  • कुल मिलाकर, ब्रिक्स देश दुनिया के लगभग 27% भौगोलिक क्षेत्रफल और 42% आबादी, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 24% और वैश्विक व्यापार के 16% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • पहला BRIC शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग में आयोजित किया गया था।

      • थाईलैंड के चीन के साथ पहले से मौजूद व्यापारिक संबंधों ने ब्रिक्स में शामिल होने के उनके निर्णयों को प्रभावित किया है। 
        • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, पिछले 15 वर्षों से चीन मलेशिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है और पिछले 11 वर्षों से थाईलैंड का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। 
  • अन्य समूह
    • ब्रिक्स के अलावा, थाईलैंड ने पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) में शामिल होने के लिए भी आवेदन किया है, जिसके 38 सदस्य हैं, जिनमें से अधिकांश पश्चिमी हैं।
    • सिंगापुर के थिंक टैंक ISEAS-यूसुफ इशाक इंस्टिट्यूट के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, मलेशिया में वर्तमान में जनता की भावना चीन के पक्ष में अधिक है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। 
    • सर्वेक्षण के लगभग तीन-चौथाई उत्तरदाताओं ने कहा कि यदि आसियान को दो प्रतिद्वंद्वी महाशक्तियों में से किसी एक के साथ गठबंधन करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उन्हें अमेरिका के बजाय चीन का पक्ष लेना चाहिए।
  • अन्य आसियान देशों की स्थिति
    • मलेशिया और थाईलैंड ही दक्षिण-पूर्व एशिया के ऐसे देश नहीं हैं, जो ब्रिक्स में शामिल होने के इच्छुक हैं।
    • मई 2024 में वियतनाम के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दुनिया भर के कई देशों की तरह हम ब्रिक्स सदस्यता विस्तार की प्रक्रिया पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
    • वियतनाम, लाओस और कंबोडिया अन्य संभावित आवेदक हो सकते हैं क्योंकि उनके पहले से ही चीन, भारत और रूस के साथ अच्छे संबंध हैं।
    • वियतनाम के लिए ब्रिक्स की सदस्यता अपने पारंपरिक बाजारों से परे मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में अपने व्यापार को और बढ़ाने का एक अच्छा अवसर होगा।
    • दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि इंडोनेशिया ब्रिक्स का सदस्य बन सकता है।

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