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रेसिपी फॉर ए लिवेबल प्लैनेट: कृषि को कार्बन तटस्थ बनाना

Lokesh Pal May 09, 2024 05:12 125 0

संदर्भ

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट ‘रेसिपी फॉर ए लिवेबल प्लैनेट: अचीविंग नेट जीरो एमिशन इन द एग्रीफूड सिस्टम’ जारी की गई है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • वैश्विक कृषि खाद्य प्रणाली में उत्सर्जन में कमी की संभावना: वैश्विक कृषि खाद्य प्रणाली दुनिया के लगभग एक-तिहाई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG) को कम करने का अवसर प्रदान करती है।
    • बढ़ती आबादी के निरंतर भरण-पोषण को सुनिश्चित करते हुए, सुलभ एवं किफायती उपायों के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है। रिपोर्ट में उन कार्रवाइयों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है जो प्रत्येक देश अपना सकता है।

रेसिपी फॉर ए लिवेबल प्लैनेट रिपोर्ट: यह जलवायु परिवर्तन में कृषि खाद्य प्रणाली के योगदान को कम करने के लिए पहला व्यापक वैश्विक रणनीतिक ढाँचा है।

  • यह दर्शाता है कि दुनिया के लिए खाद्य उत्पन्न करने वाली प्रणाली दुनिया को खाद्य आपूर्ति करते हुए ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कैसे कटौती कर सकती है।

    • ये उपाय खाद्य सुरक्षा को बढ़ाते हैं एवं खाद्य प्रणाली को जलवायु परिवर्तन को बेहतर ढंग से निपटने में मदद करते हैं, तथा इस संक्रमण के दौरान संवेदनशील लोगों की रक्षा करते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन समाधान के लिए कृषि खाद्य प्रणाली का लाभ उठाना: कृषि खाद्य प्रणाली कम लागत वाली जलवायु परिवर्तन कार्रवाई का एक विशाल, अप्रयुक्त स्रोत है।
    • अन्य क्षेत्रों के विपरीत, यह उत्सर्जन को कम करके एवं वातावरण से प्राकृतिक रूप से कार्बन कैप्चर कर जलवायु परिवर्तन पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
  • कृषि-खाद्य उत्सर्जन में कटौती के लिए निवेश अनिवार्य: कृषि-खाद्य उत्सर्जन को कम करने में निवेश के लाभ लागत से अधिक हैं।
    • कृषि खाद्य उत्सर्जन को आधा करने एवं वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिए वर्ष 2030 तक वार्षिक निवेश बढ़कर 260 बिलियन डॉलर होना चाहिए।
    • वर्तमान में, कृषि सब्सिडी पर वार्षिक रूप से दोगुनी राशि खर्च की जाती है, जिसका नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव पड़ता है।
    • इन पहलों में निवेश करने से मानव स्वास्थ्य, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में वृद्धि, किसानों के लिए नौकरी की गुणवत्ता तथा लाभ में वृद्धि एवं वनों तथा मृदा के कार्बन प्रतिधारण में वृद्धि के साथ 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का लाभ होगा।

कृषि खाद्य प्रणाली (Agrifood System): इसमें निम्नलिखित उपक्षेत्र शामिल हैं: फसलें, पशुधन, वानिकी, जलीय कृषि एवं मत्स्यपालन।

  • इसमें कृषि, कटाई, मत्स्यन, पशुधन पालन, भंडारण, प्रसंस्करण, परिवहन, बिक्री, खरीद, खाने एवं हमारे भोजन का निपटान करने वाली गतिविधियाँ शामिल हैं।

कृषि खाद्य प्रणाली द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ

  • GHG उत्सर्जन: GHG उत्सर्जन में कृषि खाद्य प्रणाली का लगभग एक-तिहाई औसतन लगभग 16 गीगाटन वार्षिक योगदान है।
    • यह दुनिया के सभी ताप एवं विद्युत उत्सर्जन से लगभग छठा हिस्सा अधिक है।
  • विकासशील देशों से प्रदूषण: तीन-चौथाई कृषि-खाद्य उत्सर्जन विकासशील देशों से होता है, जिसमें दो-तिहाई मध्यम आय वाले देशों से होता है।
  • वित्तपोषण में अंतर: कृषि-खाद्य उत्सर्जन में कटौती के लिए अपर्याप्त निवेश है, एवं कृषि-खाद्य जलवायु कार्रवाई के वित्तपोषण में अन्य क्षेत्रों से पीछे है।
    • कृषि खाद्य प्रणाली में उत्सर्जन को कम करने या हटाने के लिए वित्त कुल शमन वित्त से 2.4 प्रतिशत कम है।

रिपोर्ट द्वारा सुझाए गए तथ्य

  • उच्च आय वाले देश इस मार्ग का नेतृत्व कर सकते हैं: यह निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों को अधिक समर्थन देकर किया जा सकता है ताकि वे कम उत्सर्जन वाली कृषि विधियों तथा प्रौद्योगिकियों को अपना सकें।
    • इसमें वन संरक्षण कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता शामिल है, जो उच्च कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करते हैं।
    • वे सब्सिडी को उच्च उत्सर्जन वाले खाद्य स्रोतों से भी दूर कर सकते हैं। इससे उनकी पूरी कीमत का पता चल जाएगा एवं कम उत्सर्जन वाले खाद्य विकल्पों को सस्ता बनाने में मदद मिलेगी।
  • मध्यम आय वाले देशों की भूमिका: वे हरित प्रथाओं के माध्यम से वैश्विक कृषि खाद्य उत्सर्जन के तीन-चौथाई तक अंकुश लगा सकते हैं।
    • इनमें पशुधन एवं चावल से उत्सर्जन को कम करना, स्वस्थ मृदा में निवेश करना, तथा खाद्य की हानि एवं बर्बादी में कटौती करना तथा भूमि का अधिक कुशलता से उपयोग करना शामिल है।
    • कृषि-खाद्य उत्सर्जन को कम करने के लिए दुनिया के एक-तिहाई अवसर मध्यम आय वाले देशों में स्थायी भूमि उपयोग से संबंधित हैं।
  • कम आय वाले देशों की भूमिका: वे अमीर देशों द्वारा लिए गए गलत निर्णयों से बचकर एवं हरित तथा अधिक प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्थाओं के लिए जलवायु-स्मार्ट अवसरों का लाभ उठाकर शुरुआत कर सकते हैं।
    • वनों के संरक्षण एवं पुनर्स्थापन से कम आय वाले देशों में सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि उनके कृषि-खाद्य उत्सर्जन का आधे से अधिक हिस्सा खाद्य का उत्पादन करने के लिए वनों को नष्ट करने पर निर्भर है।
  • नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण: उर्वरक एवं ऊर्जा, फसल तथा पशुधन उत्पादन एवं खाद्य मूल्य शृंखला में पैकेजिंग एवं वितरण सहित खाद्य प्रणालियों में उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता है।

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