हाल ही में नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने घोषणा की कि वे औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को ‘स्टेट’ के रूप में मान्यता देंगे।
ओस्लो समझौता
इजरायल ने फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) को फिलिस्तीन के प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार किया और PLO ने आतंकवाद को त्याग और शांति से रहने के इजरायल के अधिकार को मान्यता दी।
दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि एक फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) की स्थापना की जाएगी और इसे पाँच वर्ष की अवधि में वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में शासन संबंधी उत्तरदायित्व प्रदान किया जाएगा।
संबंधित तथ्य
फिलिस्तीन को यह मान्यता 28 मई को मिलने की आशा है।
यूरोपीय देशों की यह घोषणाएँ संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 देशों में से 143 देशों द्वारा फिलिस्तीन ‘स्टेट’ के लिए संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण सदस्यता हेतु मतदान करने के कुछ सप्ताह बाद आई हैं।
नॉर्वे: यह दशकों से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति वार्ता में शामिल रहा है, जिसमें ‘ओस्लो प्रक्रिया’ की शुरुआत की मेजबानी भी शामिल है, जो 1990 के दशक के मध्य में ओस्लो शांति समझौते की परिणति के रूप में सामने आई, ये समझौते दो राज्यों के मध्य संघर्ष के समाधान की शुरुआत के लिए थे।
आयरलैंड: आयरलैंड के अनुसार, फिलिस्तीनी स्टेट को मान्यता देने से पश्चिम एशिया में शांति और सुलह होगी।
स्पेन: इसने घोषणा की कि फिलिस्तीन को मान्यता देना इजरायलियों के विरुद्ध नहीं है, बल्कि “शांति, न्याय और नैतिक स्थिरता” के पक्ष में एक कदम है।
मान्यता के निहितार्थ
अस्पष्टता: दर्जनों देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी है, किंतु किसी भी प्रमुख पश्चिमी देश ने ऐसा नहीं किया है, जिससे अभी यह स्पष्ट नहीं है, कि तीन देशों के इस कदम से कितना प्रभाव पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय वैधता: यह मान्यता उन फिलिस्तीनियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि होगी, जो यह मानते हैं कि यह उनके संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय वैधता प्रदान करता है।
नगण्य अल्पावधि परिवर्तन: अल्पावधि में जमीनी स्तर पर बहुत कम परिवर्तन होने की संभावना है। क्योकि दोनों पक्षों के मध्य शांति वार्ता रुकी हुई है, और इजरायल की कट्टरपंथी सरकार ने फिलिस्तीनी राज्य के दर्जे के खिलाफ है।
फिलिस्तीन को एक ‘स्टेट’ के रूप में मान्यता
संयुक्त राष्ट्र के दो-तिहाई से अधिक सदस्यता वाले लगभग 140 देशों ने पहले ही फिलिस्तीन को ‘स्टेट’ के रूप में मान्यता दे दी है।
कुछ प्रमुख शक्तियों ने संकेत दिया है, कि गाजा में इजरायल के हमले के परिणामों पर आक्रोश के बीच उनका रुख फिलिस्तीन को ‘स्टेट’ के रूप में मान्यता देने की ओर विकसित हो सकता है, जिस हमले में गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 35,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए थे ।
इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष
वर्ष 1949: इजरायल ने अरब देशों के साथ युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए और गाजा पट्टी मिस्र के नियंत्रण में आ गई।
वर्ष 1956: मिस्र द्वारा स्वेज नहर के राष्ट्रीयकरण के जवाब में इजरायल ने सिनई प्रायद्वीप और गाजा पट्टी पर आक्रमण किया।
वर्ष 1957: गाजा पट्टी और अकाबा की खाड़ी क्षेत्र को छोड़कर, इजरायल यह तर्क देते हुए कि गाजा पट्टी कभी भी मिस्र की नहीं थी, मिस्र की भूमि से हट गया।
वर्ष 1967: छह दिवसीय युद्ध के दौरान, इजरायल ने गाजा पट्टी और सिनई प्रायद्वीप पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
वर्ष 1987: फिलिस्तीन ने इजरायल के विरुद्ध पहला विद्रोह (इंतिफादा) शुरू किया।
वर्ष 1993: अराफात ने इजरायल के साथ ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें द्वि-राज्य समाधान (Two-State Solution) पर वार्ता करने की प्रतिबद्धता जताई गई, इसी बीच हमास द्वारा इजरायल पर आत्मघाती हमले किए गए।
वर्ष 2021: इजरायली पुलिस ने अल-अक्सा मस्जिद पर छापा मारा, जिससे इजरायल और हमास के बीच 11 दिनों तक युद्ध चला।
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