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लाल सागर संकट (red sea crisis)

Samsul Ansari January 16, 2024 06:38 322 0

संदर्भ

हाल ही में अमेरिका समर्थित गठबंधन (यूनाइटेड किंगडम सहित) द्वारा हूती विद्रोहियों को निशाना बनाते हुए यमन में हवाई हमले शुरू किए गए।

संबंधित तथ्य

  • लक्षित हवाई हमले: रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका और ब्रिटेन के हवाई हमलों में यमन में एयरबेस, हवाई अड्डों और एक सैन्य शिविर को निशाना बनाया गया है। 
  • लाल सागर संकट: यह इजरायल-हमास युद्ध (फिलिस्तीन के गाजा क्षेत्र में) के हिंसक क्षेत्रीय विस्तार का हिस्सा है।
    • हमास के आतंकवादियों ने दक्षिणी इजरायल पर हमला किया, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और 240 लोगों को बंधक बना लिया गया।
    • इजरायल ने हमास को खत्म करने के लिए गाजा के बड़े हिस्से पर जवाबी हमला किया, जिसमें 23,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की मृत्यु हो चुकी है।

हूती कौन हैं?

  • हूती: हूती जैदी शिया संप्रदाय से संबंधित एक बड़ा कबीला है, जिसकी जड़ें यमन के उत्तर-पश्चिमी सादाह (Sa’dah) प्रांत से जुड़ी हैं। यह एक उग्रवादी समूह है, जो पिछले एक दशक से यमन में गृह युद्ध लड़ रहा है।
  • हूती आंदोलन: इसकी शुरुआत 1990 के दशक में यमनी राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह की तानाशाही के खिलाफ हुई थी। अब यह समूह उत्तरी यमन को नियंत्रित करता हैं और देश के अधिकांश क्षेत्रों में उसकी उपस्थिति है।
  • ईरान का समर्थन: हूती शिया हैं तथा ईरान की शिया सरकार द्वारा इन्हें हथियार और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • हमास को समर्थन: यद्यपि  हमास एक सुन्नी संगठन है, लेकिन अमेरिका और इजरायल के विरोध के कारण ही इसे ईरान का समर्थन प्राप्त है। हूती का फिलिस्तीन के लिए समर्थन और यमन संघर्ष मौजूदा क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता की ही अभिव्यक्ति है।

ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन (Operation Prosperity Guardian)

  • उत्पत्ति का कारण: लाल सागर में जहाजों पर हूती हमलों के जवाब में, अमेरिकी रक्षा सचिव ने दिसंबर 2023 में ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन के गठन की घोषणा की।
  • इसके बारे में: यह मौजूदा  कंबाइंड मैरीटाइम फोर्सेस टास्क फोर्स 153 (Combined Maritime Forces’ Task Force 153)  के तत्त्वावधान में, लाल सागर क्षेत्र के माध्यम से सुरक्षित पारगमन सुनिश्चित करने के लिए एक बहुराष्ट्रीय सुरक्षा मिशन है।
  • मित्र राष्ट्रों की भागीदारी: यह 20 देशों का एक संयुक्त प्रयास है, जिसमें लगभग आधे देश  अपना नाम गुप्त रखना चाहते हैं।
    • नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और बहरीन ने रसद और खुफिया सहायता प्रदान की।
    • ऐसा अनुमान है कि यह गठबंधन समय के साथ बढ़ेगा, समूह में तुर्की, जर्मनी, मिस्र, दक्षिण कोरिया और जापान सहित कई प्रमुख सहयोगियों की नामित भागीदारी का अभाव है।
  • भारत का निर्णय: भारत, इटली और फ्रांस जैसे देशों ने अमेरिकी छत्रछाया से दूरी बनाते हुए, अपनी पहल पर इस क्षेत्र में जहाज भेजे हैं।

लाल सागर और बाब-अल-मंडेब के बारे में 

  • लाल सागर: वैश्विक वाणिज्य और ऊर्जा शिपिंग लेन के लिए एक महत्त्वपूर्ण जलमार्ग।
  • बाब-अल-मंडेब: यह अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप के बीच एक संकीर्ण जलडमरूमध्य (Strait) है। यह अरब प्रायद्वीप के यमन और अफ्रीकी तट के जिबूती व इरिट्रिया के बीच स्थित है। इसे गेट ऑफ टीयर्स (Gate of Tears) भी कहा जाता है।
  • महत्त्व: यह जहाजों  के दक्षिण से स्वेज नहर तक पहुँचने का रास्ता है, जो स्वयं एक प्रमुख शिपिंग लेन है।

लाल सागर क्षेत्र में बढ़ते संघर्षों से संबंधित चिंताएँ

  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: लाल सागर शिपिंग मार्ग के महत्त्व के कारण, लाल सागर संकट एक वैश्विक सुरक्षा खतरे में बदल गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय शिपिंग और वैश्विक आपूर्ति शृंखला सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
    • इसके अलावा, यमनी अधिकारियों ने हवाई हमले के लिए अमेरिका और ब्रिटेन के खिलाफ प्रतिशोध की कसम खाई है, जिससे इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के बढ़ने पर इस संकट के क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण जलमार्गों में फैलने की आशंका बढ़ गई है।
  • आर्थिक चिंताएँ: लाल सागर संकट से ईंधन (विशेषकर कच्चे तेल एवं गैस) की कीमतें और मुद्रास्फीति बढ़ेगी, जिसका वैश्विक आर्थिक विकास पर अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, एशियाई और यूरोपीय देशों के आर्थिक सुधार में कमी आएगी तथा मिस्र और अन्य लाल सागर शिपिंग हितधारकों को भारी नुकसान होगा।
    • उदाहरण के लिए, दुनिया का लगभग 12% व्यापार लाल सागर और स्वेज नहर से होकर गुजरता है और हूती हमले शुरू होने के बाद, कई प्रमुख शिपिंग और तेल कंपनियों ने इस मार्ग से आवाजाही को रोकने की घोषणा की है।
    • हूती हमलों के कारण नवंबर 2023 के बाद से 2,000 से अधिक जहाजों को लाल सागर से रास्ता बदलकर दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप के रास्ते जाना पड़ा है, जिससे यात्रा का समय काफी बढ़ गया है और ईंधन लागत भी अधिक हो गई है।
  • अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन: अमेरिका और ब्रिटेन के हमले को यमन की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन के रूप में देखा गया है। रूस और चीन ने पश्चिमी सहयोगियों पर क्षेत्रीय तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा कि अमेरिका तथा ब्रिटेन के हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं और क्षेत्रीय तनाव बढ़ाते हैं।
    • रूस ने यमन पर अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों के संबंध में तत्काल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है।
    • हालाँकि, अमेरिका और ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यमन के हूती के खिलाफ शुरू किए गए हमलों की वैधता का बचाव किया।
  • मानव जीवन के लिए बढ़ता खतरा: मौजूदा इजरायल-फिलिस्तीन चुनौतियों के अलावा, हूती लड़ाकों से समुद्री मार्गों को उत्पन्न खतरा तथा सैन्य तनाव के अधिक बढ़ने के जोखिम से यमन, लाल सागर क्षेत्र और पूरे विश्व में लाखों लोगों पर संभावित रूप से असर पड़ सकता है।
    • उदाहरण के लिए, जहाज गैलेक्सी लीडर और उसके चालक दल को हूती विद्रोहियों द्वारा जब्त कर लिया गया था।
  • यमन का गंभीर मुद्दा: सऊदी अरब और ईरान के बीच सुलह से यमन को बाहरी हस्तक्षेप से छुटकारा मिल गया है, इसके अतिरिक्त ओमान और अन्य देशों की मध्यस्थता भी उन सभी कारकों में शामिल है, जिसके कारण यमन की स्थिति में सुधार हुआ है। अगर दोबारा सैन्य हस्तक्षेप हुआ तो स्थिति और भी जटिल हो जाएगी।
  • एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव: क्षेत्रीय संकट से जुड़ी चुनौतियों के अलावा लाल सागर में सुरक्षा की कमी का वैश्विक प्रभाव भी होगा, विशेष रूप से यह  भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं तथा क्षेत्र में उनके हितों को प्रभावित करेगा।

भारत के लिए निहितार्थ

  • निर्यात पर प्रभाव: यूरोप, अमेरिका के पूर्वी तट या यहाँ तक ​​कि उत्तरी अफ्रीका के देशों में निर्यात करते समय लंबे मार्ग का उपयोग किया जा रहा है।
    • भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (Federation of Indian Export Organisations) के अनुसार पश्चिमी गोलार्द्ध का लगभग 90% माल, जो पहले लाल सागर से होकर जाता था, अब दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप के रास्ते भेजा जा रहा है। इसमें भारत से पश्चिमी गोलार्द्ध को भेजे जाने वाले और वहाँ से भारत आने वाले दोनों ही तरह के माल शामिल हैं।
  • आयात पर प्रभाव: लंबे मार्ग के कारण लगने वाले अतिरिक्त समय के अलावा, इस घटनाक्रम से आयात महंगा हो सकता है और बेहतर इन्वेंट्री प्रबंधन की आवश्यकता हो सकती है।
  • ऊर्जा सुरक्षा: मध्य पूर्व में अस्थिरता के कारण वैश्विक तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। भारत तेल आयात पर बहुत अधिक निर्भर है और किसी भी महत्त्वपूर्ण मूल्य वृद्धि से इसकी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
    • उदाहरण के लिए, लाल सागर संकट पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों को कम करने की किसी भी योजना को बाधित कर सकता है क्योंकि सरकार की पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2023 की अवधि में भारत की आयात निर्भरता (खपत पर आधारित) 87.6% थी।
  • व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा पर प्रभाव: हूती इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल से हमले कर रहे हैं।
  • उदाहरण के लिए, दिसंबर 2023 में, एक लाइबेरिया-ध्वजांकित व्यापारिक जहाज (एमवी केम प्लूटो-MV Chem Pluto) जब यह न्यू मंगलौर की ओर जा रहा था तो गुजरात के पोरबंदर से लगभग 220 समुद्री मील दक्षिण-पश्चिम में ड्रोन हमले की चपेट में आ गया। इसमें 22 चालक दल के सदस्य थे (जिनमें से 21 भारतीय थे)।
  •  प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा: संघर्ष क्षेत्र में रहने वाले प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा प्राथमिकता बन जाती है। भारत को अपने नागरिकों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए निकासी अभियान (Evacuation Operations) चलाने की आवश्यकता हो सकती है।
    • उदाहरण के लिए, विदेश मंत्रालय के अनुसार, मार्च 2022 तक अनुमानित 1.34 करोड़ अनिवासी भारतीयों में से 66% से अधिक संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कुवैत, कतर, ओमान और बहरीन के खाड़ी देशों में हैं।

आगे की राह

  • मध्यस्थता के माध्यम से शांति: बढ़ता लाल सागर संकट एक वैश्विक सुरक्षा चुनौती के रूप में विकसित हो रहा है, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संयुक्त प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
    • वर्तमान में, अमेरिका और पश्चिमी देशों को लाल सागर संकट और यमन मुद्दे को हल करने के लिए सैन्य साधनों का और उपयोग करने से बचना चाहिए।
    • लाल सागर संकट के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय समन्वय को मजबूत करना और राजनीतिक समाधान तलाशने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहमति बननी चाहिए।
  • भारत को एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता: बढ़ते मध्य पूर्व संकट के जवाब में, भारत को ईरान, अमेरिका और क्षेत्रीय शक्तियों सहित सभी हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए।
    • भारत को राजनयिक चैनलों के माध्यम से तनाव कम करने, वार्ता को प्रोत्साहित करने और मूल कारणों को संबोधित करने के लिए सामूहिक प्रयास की वकालत करनी चाहिए।
  • अंतरराष्ट्रीय संगठन की भूमिका: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, किसी भी कारण या शिकायत से लाल सागर में नेविगेशन की स्वतंत्रता के खिलाफ हूती हमलों को जायज नहीं ठहराया जा सकता है।
    • अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organization-IMO) के महासचिव ने नाविकों की सुरक्षा, नौचालन की स्वतंत्रता और आपूर्ति शृंखला की स्थिरता सुनिश्चित करने के महत्त्व को रेखांकित किया है।
  • इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे का समाधान: लाल सागर संकट फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष की एक शृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यथाशीघ्र फिलिस्तीन और इजरायल के बीच व्यापक युद्धविराम को बढ़ावा देना चाहिए।
  • मध्य पूर्व में सुरक्षा प्रशासन को मजबूती: मध्य पूर्व में कई सुरक्षा समस्याओं की जड़ें विकास और शासन में हैं।
  • समुद्री डकैती-रोधी प्रयास: अदन की खाड़ी में समन्वित गश्त जैसे सफल समुद्री डकैती विरोधी प्रयासों से सबक लेते हुए क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने पर ध्यान देना बहुत ही आवश्यक है।
    • उदाहरण के लिए, सोमालिया के आसपास के जल क्षेत्रों में, पूर्वी अफ्रीका के तट पर समुद्री डकैती के मुद्दे को हल करने के लिए वैश्विक समुदाय ने एकजुट होकर प्रयास किया।
    • वर्ष 2012 में, भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया ने एक साथ मिलकर अदन की खाड़ी में समन्वित संयुक्त गश्त शुरू की थी। 
  • नॉन -स्टेट एक्टर्स की भूमिका: भू-राजनीतिक परिदृश्य में नॉन स्टेट एक्टर्स के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार करते हुए ऐसी रणनीतियाँ विकसित करने की आवश्यकता है।

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