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चालू खाता घाटे में कमी

Lokesh Pal March 27, 2024 05:25 117 0

संदर्भ

वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में भारत का चालू खाता घाटा (CAD), 10.5 बिलियन डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 1.2 प्रतिशत तक कम हो गया।

संबंधित तथ्य

  • वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में CAD: वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में भारत का CAD 11.4 बिलियन डॉलर या GDP का 1.3 प्रतिशत रहा।

चालू खाता घाटा (CAD)

परिचय  

  • चालू खाता घाटे की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब किसी देश की वस्तु और सेवाओं के आयात का मूल्य उसके निर्यात से अधिक होता है।
  • यह देश के बाहरी क्षेत्र का एक प्रमुख संकेतक होता है।
  • CAD और राजकोषीय घाटा संयुक्त रूप से दोहरा घाटा है, जो शेयर बाजार और निवेशकों को प्रभावित कर सकते हैं।

महत्त्व

  • चालू खाता घाटा महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि इसका प्रभाव स्टॉक मार्केट, अर्थव्यवस्था और लोगों के निवेश पर पड़ता है।
  • चालू खाता घाटा में कमी निवेशकों के विश्वास में वृद्धि कर सकती है और साथ ही देश की मुद्रा के प्रति विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सकता है।
  • चालू खाता अधिशेष दर्शाता है कि देश में पैसा आ रहा है, जो विदेशी मुद्रा भंडार और स्थानीय मुद्रा के मूल्य को बढ़ा सकता है।

  • अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान देश का चालू खाता घाटा कम व्यापार घाटे के कारण एक वर्ष पहले इसी अवधि की तुलना में जीडीपी के 2.6 प्रतिशत से घटकर सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 प्रतिशत हो गया।
  • व्यापार घाटा: वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में व्यापार घाटा 71.6 बिलियन डॉलर था, जो कि एक वर्ष पहले इसी अवधि में 71.3 बिलियन डॉलर था।

चालू खाता घाटे में कमी के कारण

    • शुद्ध सेवा प्राप्तियों में वृद्धि: वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में, शुद्ध सेवा प्राप्तियों में क्रमिक रूप से एक वर्ष पहले की तुलना में वृद्धि हुई, जिससे चालू खाता घाटे को कम करने में सहायता मिली।
    • प्रेषण में वृद्धि: RBI के आँकड़ों से पता चलता है कि निजी हस्तांतरण प्राप्तियाँ, जो मुख्य रूप से विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा प्रेषित की गईं, 31.4 बिलियन डॉलर की राशि है, जो एक वर्ष पहले इसी अवधि के दौरान उनके स्तर से 2.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
    • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में वृद्धि: वित्तीय खाते में, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में 4.2 बिलियन डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में $2 बिलियन का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया था।
    • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में वृद्धि: विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में 12 बिलियन डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया, जो वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के दौरान 4.6 बिलियन डॉलर से अधिक है।
      • सकारात्मक FDI और FPI प्रवाह ने भुगतान संतुलन को अधिशेष में रखा है।
    • भारत में बाह्य वाणिज्यिक उधारी ने वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में 2.6 बिलियन डॉलर का शुद्ध बहिर्वाह दर्ज किया, जबकि एक वर्ष पहले 2.5 बिलियन डॉलर का शुद्ध बहिर्वाह दर्ज किया गया था।
    • अनिवासी जमाओं में वृद्धि: अनिवासी जमाओं में एक वर्ष पहले के 2.6 बिलियन डॉलर की तुलना में 3.9 बिलियन डॉलर का अधिक शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया।
  • विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
    • वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार (भुगतान संतुलन के आधार पर) में 6 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जबकि एक वर्ष पहले 11.1 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी। 
    • अप्रैल-दिसंबर 2023 में, विदेशी मुद्रा भंडार में 32.9 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी (भुगतान संतुलन के आधार पर जिसमें मूल्यांकन प्रभाव शामिल नहीं है)।

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