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पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल

Lokesh Pal August 13, 2025 04:15 3 0

संदर्भ

हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने छह वर्षों की चुनावी निष्क्रियता के कारण 476 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटाने की कार्यवाही शुरू की।

सम्बंधित तथ्य

  • सूची से हटाने की आवश्यकता: कई पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल निष्क्रिय रहे हैं, लगातार छह वर्षों तक कोई भी चुनाव नहीं लड़े हैं, फिर भी उन्हें कर छूट और चुनाव चिन्ह जैसे विशेषाधिकार प्राप्त हैं।
  • चुनाव आयोग की सूची से हटाने की शक्तियाँ: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RPA) की धारा 29A के तहत, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को राजनीतिक दलों को पंजीकृत करने और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों को हटाने का अधिकार है, जिसमें चुनावों में लंबे समय तक भाग न लेना भी शामिल है।
    • इस प्रक्रिया में अंतिम निर्णय से पहले कारण बताओ नोटिस जारी करना शामिल है।
    • भारत निर्वाचन आयोग ने संबंधित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) को पहचाने गए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल  को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल क्या हैं?

  • पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPPS) ऐसे राजनीतिक संगठन हैं जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत चुनाव आयोग के साथ आधिकारिक रूप से पंजीकृत हैं, लेकिन राज्य या राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करने के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं।
    • उदाहरण: अखिल भारत हिंदू महासभा (ABHM), हिंदुस्तान निर्माण दल (HND), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI), आदि।

राजनीतिक दल के पंजीकरण की प्रक्रिया

  • कानूनी ढाँचा: जन प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 29A, भारत निर्वाचन  आयोग (ECI) के साथ राजनीतिक दल के पंजीकरण के लिए शर्तें निर्धारित करती है।
    • किसी भी दल को गठन के 30 दिनों के भीतर अपना ज्ञापन/संविधान, भारत निर्वाचन  आयोग (ECI) को प्रस्तुत करना होगा।
    • दस्तावेज में भारत के संविधान, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के सिद्धांतों के प्रति निष्ठा की पुष्टि होनी चाहिए।
    • भारत निर्वाचन  आयोग (ECI) दल के भीतर पदाधिकारियों के लिए समय-समय पर चुनाव जैसे आंतरिक लोकतंत्र को सुनिश्चित करता है।
  • अनुमोदन के बाद की स्थिति: ये पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPP) के रूप में होते है।

पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPP) द्वारा प्राप्त लाभ

  • कर छूट: आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13A के अंतर्गत कर छूट का प्रावधान।
  •  चुनाव चिह्न: निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 के अनुसार, 10 विकल्प प्रस्तुत करके, उपलब्ध निःशुल्क प्रतीकों में से चुनाव करने की अनुमति है।
  • प्रचार लाभ: चुनाव प्रचार के लिए 20 स्टार प्रचारकों को नामांकित किया जा सकता है।

मान्यता प्राप्त दलों को प्राप्त होने वाले विशेष लाभ, जो पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के लिए उपलब्ध नहीं हैं: 

  • आरक्षित चुनाव चिह्न
  • मतदाता सूची की निःशुल्क प्रतियाँ
  • दूरदर्शन या आकाशवाणी पर प्रसारण/टेलीकास्ट स्लॉट
  • सब्सिडी वाली भूमि या कार्यालय स्थान
  • अधिकतम 40 स्टार प्रचारकों का नामांकन।

भारत में राजनीतिक दल

  • कुल पंजीकृत दल: अगस्त 2025 तक, भारत में 2,520 पंजीकृत राजनीतिक दल हैं, यह आँकड़ा भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा हाल ही में संचालित ‘सूची से हटाने संबंधी अभियान’ के बाद पता चला है।
  • राष्ट्रीय दल (6)
    • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
    • बहुजन समाज पार्टी (BSP)
    • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)
    • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI-M)
    • राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)
    • भारतीय जनता पार्टी (BJP)
  • राज्य दल (कुल 67) (एकाधिक, राज्य के अनुसार भिन्न)
    • विशिष्ट राज्यों में मान्यता प्राप्त; राज्य-स्तरीय विशेषाधिकार प्राप्त।
    • उदाहरण: ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) (पश्चिम बंगाल), जनता दल (यूनाइटेड)- JD(U) (बिहार), शिरोमणि अकाली दल (SAD) (पंजाब), शिवसेना (SHS) (महाराष्ट्र)

राज्य और राष्ट्रीय दल

  • भारत निर्वाचन  आयोग निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 में निर्धारित विशिष्ट मानदंडों के आधार पर राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों का दर्जा निर्धारित करता है, जिसे समय-समय पर अद्यतन किया जाता है।
  • कोई राजनीतिक दल चुनाव के दौरान निर्धारित शर्तों को पूरा करने के आधार पर अपना राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय दर्जा प्राप्त या खो सकता है।

किसी दल को किसी विशेष राज्य में राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता दी जाती है यदि वह निम्नलिखित मानदंडों में से किसी एक को पूरा करती है:-

  • हाल ही के राज्य विधानसभा चुनाव में कम-से-कम 6% वैध मत प्राप्त किए हों और कम-से-कम 2 विधायक जीते हों।
  • उस राज्य से हाल ही के लोकसभा चुनाव में 6% वैध मत प्राप्त किए हों और कम-से-कम 1 सांसद जीता हो।
  • कुल विधानसभा सीटों में से कम-से-कम 3% या 3 सीटें, जो भी अधिक हो, जीती हों।
  • उस राज्य को आवंटित प्रत्येक 25 लोकसभा सीटों के लिए एक सांसद हो।
  • राज्य में पिछले विधानसभा या लोकसभा चुनाव में कुल वैध मतों में से कम-से-कम 8% प्राप्त किए हों।

किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल का दर्जा तभी दिया जाता है जब वह निम्नलिखित में से किसी भी मानदंड को पूरा करता हो:

  • इसे कम-से-कम चार राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त हो।
  • इसे पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में चार या अधिक राज्यों में कम-से-कम 6% वैध मत प्राप्त हुए हों और लोकसभा में कम-से-कम चार सीटें जीती हों।
  • इसे कुल लोकसभा सीटों में से कम-से-कम 2% सीटें प्राप्त हुई हों, और इसके सांसद कम-से-कम तीन अलग-अलग राज्यों से चुने गए हों।

पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPP) से संबंधित चुनौतियाँ

  • कर छूट का दुरुपयोग: कई पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPP) केवल ‘लेटरपैड’ दल हैं, जो चुनावी भागीदारी न होने के बावजूद आयकर अधिनियम की धारा 13A का दुरुपयोग कर लाभ प्राप्त करती हैं।
  • आंतरिक लोकतंत्र संबंधी चिंताएँ: कई दलों में आंतरिक चुनाव और पारदर्शिता का अभाव है।
  • कानूनी बाधाएँ
    • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत, भारत निर्वाचन आयोग के पास किसी पार्टी का पंजीकरण रद्द करने का कोई स्पष्ट अधिकार नहीं है।
    • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बनाम सामाजिक कल्याण संस्थान एवं अन्य, 2002 के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि चुनाव आयोग केवल असाधारण मामलों में ही पार्टी का पंजीकरण रद्द कर सकता है।
  • मौजूदा कमियाँ: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में इन कारणों से पंजीकरण रद्द करने के प्रावधान नहीं हैं:-
    • चुनाव न लड़ना।
    • आंतरिक पार्टी चुनाव न कराना।
    • वित्तीय रिपोर्ट न जमा करना।

सिफारिश

  • विधि आयोग की 255वीं रिपोर्ट (वर्ष 2015): यदि कोई पार्टी 10 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ती है, तो उसका पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश की जा सकती है।
  • चुनाव आयोग का वर्ष 2016 का प्रस्ताव: इसने जन प्रतिनिधि अधिनियम में संशोधन का सुझाव दिया ताकि उसे पंजीकरण रद्द करने का अधिकार दिया जा सके।
  • विधि आयोग (170वीं और 255वीं रिपोर्ट): जन प्रतिनिधि अधिनियम में आंतरिक लोकतंत्र के प्रावधानों को शामिल करने की सिफारिश की गई।

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