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Lokesh Pal
September 06, 2025 04:17
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हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को सोशल मीडिया सामग्री को विनियमित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया, जिसमें इन्फ्लुएंसर्स द्वारा संचालित व्यावसायिक भाषणों में वृद्धि का हवाला दिया गया, जिससे दिव्यांगजन (PwDs) जैसे सुभेद्य समूहों को नुकसान पहुँचने का खतरा है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर व्यावसायिक अभिव्यक्ति को सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया जाना चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं, सम्मान और सुभेद्य समूहों की रक्षा की जा सके और साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी बरकरार रखा जा सके। ऐसे विनियमन में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के संवैधानिक मूल्यों को प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए, जिससे अधिकारों और जवाबदेही के मध्य संतुलन सुनिश्चित हो सके।
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