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बिग टेक फर्मों का विनियमन

Lokesh Pal March 14, 2024 05:41 100 0

संदर्भ

हाल ही में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs-MCA) द्वारा पिछले फरवरी में गठित डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून पर समिति (Committee on Digital Competition Law- CDCL) ने अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें गूगल (Google) और मेटा (Meta) जैसी बिग टेक फर्मों की बाजार शक्ति को विनियमित करने के लिए कानूनों की सिफारिश की गई।

संबंधित तथ्य 

  • यह वित्त पर संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee on Finance) की रिपोर्ट का अनुसरण करता है, जिसने एक अलग डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून (Digital Competition Law) का प्रस्ताव रखा था।
  • CDCL को यह जाँचने का काम सौंपा गया था कि क्या भारत को एक्स-एंटे फ्रेमवर्क (Ex-ante Framework) (जहाँ बिग टेक के आचरण को विनियमित करने की माँग की जाती है और निर्दिष्ट प्रथाओं को पहले से ही अवैध घोषित किया जाता है।) की आवश्यकता है या नहीं।
  • MCA ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और मसौदा विधेयक पर सार्वजनिक टिप्पणियाँ आमंत्रित की थी।

बिग टेक (Big Tech) के बारे में

  • बिग टेक, जिसे टेक जायंट्स (Tech Giants) के नाम से भी जाना जाता है, सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में सबसे प्रमुख कंपनियाँ हैं, जिनमें से अधिकांश संयुक्त राज्य अमेरिका में केंद्रित हैं।
    • उदाहरण के लिए Google, Meta, Amazon इत्यादि।

डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून पर समिति (Committee on Digital Competition Law- CDCL) की सिफारिशें

  • वर्गीकरण: समिति ने कोर डिजिटल सेवा (Core Digital Service) के लिए बाजार मेंमहत्त्वपूर्ण उपस्थितिवाली कंपनियों को लक्षित करने वाला एक मसौदा तैयार किया, जिसे इन ‘प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल उद्यम’ (Systemically Significant Digital Enterprises- SSDE) कहा है।
  • एक दोहरा परीक्षण (Twin Test): एक उद्यम को SSDE माना जाता है यदि वह दोहरा परीक्षण पास कर लेता है;
    • महत्त्वपूर्ण वित्तीय शक्ति परीक्षण (Financial Strength Test): यह भारत-विशिष्ट टर्नओवर (व्यवसाय), वैश्विक टर्नओवर, वैश्विक बाजार पूँजीकरण और सकल व्यापारिक मूल्य पर आधारित है।
    • महत्त्वपूर्ण प्रसार परीक्षण: यह अंतिम उपयोगकर्ताओं और व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं की संख्या के आधार पर भारत में एक कोर डिजिटल सेवा (Core Digital Service) में उपस्थिति पर आधारित है।
      • CCI  का अधिकार: भले ही मात्रात्मक सीमाएँ पूरी न हों, CCI  एक उद्यम को SSDE के रूप में नामित कर सकता है, यदि उसे लगता है कि कंपनी के पास कई कारकों के साथ कोर डिजिटल सेवा (CDS) के संबंध में ‘महत्त्वपूर्ण उपस्थिति’ है।
  • एसोसिएट डिजिटल एंटरप्राइजेज (Associate Digital Enterprises- ADE): ऐसे मामलों में जहाँ कोर डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने वाले उद्यम एक समूह का हिस्सा हैं, पदनाम समूह में सिर्फ एक उद्यम तक सीमित नहीं हो सकता है, बल्कि समूह फर्मों को  ADE के रूप में विनियमित किया जा सकता है।
  • विनियम: विभिन्न SSDEs और ADEs पर अलग-अलग दायित्व उनके व्यवसाय मॉडल और उनके उपयोगकर्ता आधार के आकार जैसे कारकों पर निर्भर करते हैं।
  • स्व-घोषणा: प्रस्तावित विधेयक में डिजिटल कंपनियों को CCI को सूचित करने की आवश्यकता है कि वह विधेयक में निर्धारित मानदंडों के आधार पर SSDE के रूप में अर्हता प्राप्त करने के मानदंडों को पूरा करती है।
  • SSDE की पहचान के लिए मुख्य मानदंड
    • भारत में टर्नओवर 4,000 करोड़ रुपये से कम नहीं।
    • वैश्विक कारोबार $30 बिलियन से कम नहीं।
    • भारत में सकल व्यापारिक मूल्य 16,000 करोड़ रुपये से कम नहीं।
    • वैश्विक बाजार पूँजीकरण $75 बिलियन से कम नहीं।
    • मुख्य डिजिटल सेवा के लिए कम-से-कम 10 मिलियन अंतिम उपयोगकर्ता।
    • मुख्य डिजिटल सेवा के लिए 10,000 व्यावसायिक उपयोगकर्ता।
  • दायित्व: SSDE प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने स्वयं के उत्पादों, सेवाओं, या व्यवसाय पक्षों  अथवा संबंधित पक्षों का पक्ष नहीं ले सकते हैं और अपनी मुख्य डिजिटल सेवा पर काम करने वाले व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं के गैर-सार्वजनिक डेटा का उपयोग या उस पर विश्वास नहीं कर सकते हैं।
    • नामित SSDE को पहचानी गई सेवा के लिए स्व-वरीयता, एंटी-स्टीयरिंग और तीसरे पक्ष के अनुप्रयोगों को प्रतिबंधित करने जैसी प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं (Anti-Competitive Practices- ACPs) में शामिल होने से भी प्रतिबंधित किया जाएगा।
    • CCI अलग-अलग CDSs के लिए भिन्न-भिन्न नियम और SSDEs के लिए दायित्व लागू कर सकता है।
    • SSDE और ADE को किसी भी ऐसे व्यवहार में शामिल नहीं होना चाहिए (जैसे कि उनके व्यवसाय को विभाजित करना, आदि) जो उन्हें नियमों से बचने की अनुमति देगा।
    • SSDE को अपने व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं के किसी भी गैर-सार्वजनिक डेटा का उपयोग करने या विभिन्न CDSs से एकत्र किए गए अंतिम उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा का क्रॉस-उपयोग करने से प्रतिबंधित किया गया है। उन्हें उपयोगकर्ताओं को तृतीय-पक्ष एप्लिकेशन तक पहुँचने और डिफाॅल्ट सेटिंग्स बदलने की भी अनुमति देनी होगी।
  • जुर्माना: यदि कोई फर्म स्व-नामित नहीं करती है, तो जुर्माना व्यक्तिगत कंपनी के घरेलू राजस्व से नहीं, बल्कि पूरे कॉरपोरेट समूह के वैश्विक कारोबार से लिया जाएगा।
    • जुर्माना वैश्विक कारोबार के अधिकतम 10% तक सीमित किया जा सकता है।
  • छूट: केंद्र को तीन कारणों से उद्यमों को किसी भी प्रावधान, नियम या विनियम से छूट देने का अधिकार देने का प्रस्ताव है:-
    • राज्य सुरक्षा (State Security) या सार्वजनिक हित (Public Interest)।
    • द्विपक्षीय या वैश्विक संधियों के तहत भारत के दायित्व।
    • यदि उद्यम केंद्र या राज्य सरकार की ओर से एक संप्रभु कार्य करता है।
  • महत्त्व: इसका बड़े तकनीकी उद्यमों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि वे भी अब एक अलग नियामक व्यवस्था के अधीन होंगे।

बिग टेक फर्मों का महत्त्व

  • अर्थव्यवस्था: बिग टेक का प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जाता है। वे लगभग सभी देशों की घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हुए लगातार अपनी पहुँच का विस्तार करना चाह रही हैं।
  • समाज: बिग टेक जनता के लिए सुलभ होकर सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करती हैं। इन कंपनियों के उत्पाद व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं और उपभोक्ता की पसंद को प्रभावित कर सकते हैं।
  • राजनीति: बिग टेक के पास राजनीतिक राय बनाने की पहुँच और क्षमता है। ये उनके मंच पर राजनीतिक विज्ञापनों के रूप में और सोशल मीडिया पर कुछ राजनीतिक नेताओं की राय को बढ़ावा देने के रूप में भी हो सकती हैं।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: चूँकि बिग टेक दुनिया भर में काम करती है, इसलिए देशों का दावा है कि ये कंपनियाँ प्रतिद्वंद्वी अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करती हैं, जो अंततः राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करती हैं। उदाहरण: हुआवेई पर अमेरिका द्वारा चीन की ओर से जासूसी करने का आरोप लगाया गया था।
  • प्रौद्योगिकी: बिग टेक अपने नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास के लिए प्रसिद्ध हैं। वे अभूतपूर्व प्रौद्योगिकियों को प्रस्तुत करने वाले पहले संस्थान हैं।

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) के बारे में

  • यह भारत में प्रतिस्पर्द्धा नियामक है।
  • यह एक वैधानिक निकाय है, जो प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 को लागू करने और पूरे भारत में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है।

बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के विनियमन की आवश्यकता

  • डिजिटलीकरण की बढ़ती गति: वर्ष 2002 का प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी आचरण की घटना के बाद हस्तक्षेप करता है और इसे ऐसे समय में डिजाइन किया गया था, जब आज देखी जाने वाली डिजिटलीकरण की सीमा और गति की कल्पना नहीं की जा सकती थी।
    • भारत वर्तमान में एक एक्स-पोस्ट फ्रेमवर्क को अपना रहा है, जहाँ एक नियामक यह निर्णय लेता है कि किसी हितधारक के कुछ कार्य किए जाने के बाद वे अवैध हैं या नहीं।
      • एक्स पोस्ट कार्रवाइयाँ हमेशा उपलब्ध जानकारी के आधार पर होती हैं, बाजार की विफलता के साथ नकारात्मक बाह्यताओं और लागतों को प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त सुबूत प्रस्तुत किए जाते हैं।
  • एकाधिकार का खतरा: बड़ी टेक कंपनियाँ तेजी से अपने उपयोगकर्ता आधार को बढ़ाने और बाजार में प्रमुख हितधारक बनने में सक्षम हैं।
    • इस प्रकार, डिजिटल बाजारों में सत्ताधारियों के पक्ष में अपरिवर्तनीय रूप से ध्रुवीकरण होने का जोखिम रहता है।

नेटवर्क प्रभाव (Network Effect) एक व्यावसायिक सिद्धांत है, जो इस विचार को दर्शाता है कि जब अधिक लोग किसी उत्पाद या सेवा का उपयोग करते हैं, तो उसका मूल्य बढ़ जाता है।

  • मूल्य निर्धारण और गहन छूट: इसमें कीमतों को कम करना शामिल है, जो अन्य कंपनियों को प्रतिस्पर्द्धा से बाहर होने के लिए मजबूर करता है।
    • अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भारी छूट देने और स्थानीय विक्रेताओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए इन-हाउस ब्रांड बनाने का आरोप लगाया गया था।
  • नए कानून की आवश्यकता: प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के पूरक के लिए विशेष रूप से बड़े डिजिटल उद्यमों पर लागू एक पूर्व कानून पेश करना।
    • यदि सिफारिशों को लागू किया जाता है, तो यह भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) को तकनीकी कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्द्धा के मामलों पर शासन करने के लिए बेहतर ढंग से सक्षम बनाएगी।
  • स्व-वरीयता: सर्च एल्गोरिदम से परे स्व-वरीयता का एक महत्त्वपूर्ण पहलू सेवाओं का एकत्रण है, विशेष रूप से पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप्स के साथ, जहाँ निर्माता उपभोक्ता की सहमति के बिना प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त कर देते हैं।
    • उदाहरण: Apple को पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप्स को लेकर अमेरिका और यूरोप में आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
  • गोपनीयता उल्लंघन: बड़ी तकनीकी कंपनियों को उपयोगकर्ता की गोपनीयता का उल्लंघन करने, व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत डेटा का लाभ उठाने और उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी पर चिंताओं के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
    • उदाहरण: कैंब्रिज एनालिटिका के साथ फेसबुक का अनधिकृत डेटा साझा करना, उपयोगकर्ता डेटा को राजनीतिक हेरफेर के लिए उजागर करना।
  • कर से बचाव: बिग टेक के खिलाफ कर चोरी के आरोप लगाए गए हैं क्योंकि वे अपने कर दायित्वों को कम करने के लिए कम कर वाले क्षेत्राधिकार में अपना व्यवसाय स्थापित करते हैं।
    • उदाहरण: Apple द्वारा ‘डच सैंडविच के साथ डबल आयरिश कर बचाव योजना का उपयोग।
  • नौकरी का विस्थापन: बिग टेक द्वारा समर्थित कई तकनीकी प्रगति, जैसे स्वचालन, के परिणामस्वरूप, विशेष रूप से विकासशील और अविकसित देशों में, रोजगार की हानि हुई है।
  • स्थानीय कानूनों की अवहेलना: बड़ी तकनीकी कंपनियों पर घरेलू कानूनों की अवहेलना करने और अपने अंतरराष्ट्रीय मूल के आधार पर छूट का दावा करने का आरोप लगाया गया है।
  • गलत सूचना का प्रसार: बिग टेक द्वारा संचालित प्लेटफॉर्मों पर कानून और सार्वजनिक व्यवस्था के नियम के लिए निहितार्थ के साथ गलत सूचना को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है।
    • उदाहरण: व्हाट्सऐप का उपयोग झूठी सूचना फैलाने के लिए किया जा रहा है, जिससे हिंसा और अशांति हो, जैसा कि भारत में देखा गया है।
  • राजनीतिक प्रभाव: बिग टेक के राजनीतिक पूर्वाग्रह तब स्पष्ट हो जाते हैं, जब वे विशिष्ट राजनीतिक विचारधाराओं और विचारों को चुनिंदा रूप से बढ़ावा देती हैं।
    • उदाहरण: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने मंच से प्रतिबंधित करने का ट्विटर का निर्णय।

एक्स-एंटे प्रोविजन (Ex-ante Provisions)

  • एक्स-एंटे फ्रेमवर्क के तहत, कानून बड़ी तकनीकी कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी व्यवहार को रोकने के उद्देश्य से प्रतिबंधों का एक सेट जारी करेगा।
  • यूरोपीय संघ एक्स-एंटे प्रोविजन्स को लागू करने वाला पहला प्रमुख क्षेत्राधिकार था, जिसके तहत यूरोपीय आयोग विशिष्ट सेवाओं की पेशकश करने वाले बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्मों को ‘गेटकीपर्स’ के रूप में नामित करता है, जिन्हें प्रतिबंधों के एक सेट का पालन करना होगा।

विनियमन के लिए मुद्दे और चुनौतियाँ 

  • इस तरह के पूर्व-नियमन संभावित रूप से तकनीकी कंपनियों पर बोझिल नियम लागू करके नवाचार को बाधित कर सकते हैं।
  • अनपेक्षित परिणाम: इससे अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं, जैसे उपभोक्ता की पसंद में कमी और ऊँची कीमतें।
  • अति-विनियमन: ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए पूर्व-नियमन असामयिक और अत्यधिक हो सकता है तथा इससे अति-नियमन हो सकता है।
    • अमेजन ने कहा कि वह पहले से ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी नीति द्वारा विनियमित है, जो अनिवार्य है कि यह केवल एक ऑनलाइन बाजार के रूप में कार्य कर सकता है, विक्रेता के रूप में नहीं।
  • अनुपयुक्त दृष्टिकोण: DMA मॉडल के समान एक आकार सभी के लिए फिट दृष्टिकोण डिजिटल बाजारों के प्रभावी विनियमन के लिए अनुपयुक्त होगा क्योंकि यह अप्रयुक्त है।

बिग टेक फर्मों पर भारत का विनियमन

  • सेफ हार्बर क्लॉज: वर्तमान में, भारत में बड़ी तकनीकी कंपनियाँ अपने भारतीय समकक्ष भारत के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT अधिनियम) की धारा 79 के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के संचार शालीनता अधिनियम (CDA) के सुरक्षित हार्बर द्वारा संरक्षित हैं।
    • सेफ हार्बर, जैसा कि IT अधिनियम, 2000 की धारा 79 के तहत निर्धारित है, वह कानूनी छूट है, जो ऑनलाइन मध्यस्थों को अपने प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं द्वारा पोस्ट की गई सामग्री के विरुद्ध मिलती है।
    • हालाँकि, अब भारत अपने स्वयं के डिजिटल इंडिया अधिनियम पर काम कर रहा है। जिससे टेलीकॉम बिल, डेटा स्थानीयकरण और अन्य जैसे कई अन्य अधिनियमों के साथ-साथ आईटी अधिनियम 2000 का प्रतिस्थापन हो सकेगा।
  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002: भारत में, अविश्वास के मुद्दे प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 द्वारा शासित होते हैं और भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग एकाधिकारवादी प्रथाओं की जाँच करता है।
    • इसने बाजार प्रतिस्पर्द्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली प्रथाओं को समाप्त करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) की स्थापना की।
  • प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) विधेयक, 2022
    • विलय और अधिग्रहण का विनियमन: 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन मूल्य वाले विलय और अधिग्रहण के लिए CCI की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
    • प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं पर प्रतिबंध: विधेयक प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं की परिभाषा का विस्तार करता है, जिसमें स्व-वरीयता और अन्य प्रथाओं को शामिल किया गया है, जो उपभोक्ताओं तथा व्यवसायों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
    • CCI के लिए नई शक्तियाँ: विधेयक CCI को प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं की जाँच और मुकदमा चलाने की नई शक्तियाँ देता है।
    • पारदर्शिता में वृद्धि: विधेयक में बड़ी तकनीकी कंपनियों को अपनी व्यावसायिक प्रथाओं के बारे में CCI को अधिक जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है।

बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के विनियमन पर वैश्विक परिप्रेक्ष्य

यूरोप

  • डिजिटल मार्केट एक्ट (Digital Markets Act- DMA): DMA सीधे तौर पर बहुत बड़े डिजिटल हितधारकों द्वारा हानिकारक व्यावसायिक प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाएगा, नए खिलाड़ियों और यूरोपीय व्यवसायों के लिए एक निष्पक्ष और अधिक प्रतिस्पर्द्धी आर्थिक स्थान बनाएगा।
  • डिजिटल सेवा अधिनियम (Digital Services Act- DSA): यह अधिनियम सरल वेबसाइटों से लेकर इंटरनेट अवसंरचना सेवाओं और ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों तक ऑनलाइन सेवाओं की श्रेणियों को लक्षित करता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका 

अमेरिका ने राज्यों को प्रतिस्पर्द्धा के मामलों में अधिक शक्ति देकर और संघीय नियामकों के लिए धन बढ़ाकर बिग टेक कंपनियों के प्रभुत्व को लक्षित करते हुए एंटी-ट्रस्ट कानून अपनाया।

ऑस्ट्रेलिया

  • ऑस्ट्रेलिया में प्रतिस्पर्द्धा निगरानी संस्था ने फेसबुक और गूगल के सख्त विनियमन और मीडिया प्रतिस्पर्द्धा में सुधार के लिए कदम उठाने की सिफारिश की।
  • ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम में सोशल मीडिया कंपनियों को उन पोस्टों को हटाने के लिए मजबूर करने की शक्ति होगी और कंपनियों एवं कथित दुरुपयोग की मेजबानी करने वालों का पता लगाने की शक्ति होगी।

निष्कर्ष

वैश्विक कूटनीति और तकनीकी प्रगति की दुनिया में देशों को राज्य और बड़ी तकनीकी कंपनियों के बीच सौदेबाजी की नई शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है तथा इन बड़ी तकनीकी कंपनियों को कुशल एवं प्रभावी अनुपालन प्रक्रियाओं का निर्माण करने, लागत को नियंत्रण में रखते हुए बड़े पैमाने पर विनियमन को संबोधित करने व गति से नवाचार करने की क्षमता बनाए रखने की आवश्यकता है।

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