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रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) वाटर प्यूरीफायर का विनियमन

Lokesh Pal February 07, 2024 06:28 113 0

संदर्भ

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) ने सरकार को ‘विपरीत परासरण या रिवर्स ऑस्मोसिस’ (Reverse osmosis-RO) आधारित जल शोधन प्रणालियों को विनियमित करने का निर्देश दिया है।

संबंधित तथ्य  

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को RO आधारित जल शोधन प्रणालियों के लिए नियम स्थापित करने का निर्देश दिया हैं,  जिसके परिणामस्वरूप ‘जल शोधन प्रणाली (उपयोग का विनियमन) नियम, 2023’ को बनाया गया।
  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने “आईएस (IS)16240:2023 पीने के प्रयोजनों के लिए रिवर्स ऑस्मोसिस आधारित उपयोग जल उपचार प्रणाली” को अधिसूचित किया है।

रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) क्या है?

  • रिवर्स ऑस्मोसिस (Reverse Osmosis), एक अर्धपारगम्य झिल्ली के विपरीत दबाव के माध्यम से एक बहु-स्तरीय जल की उपचार प्रक्रिया है, जो असंशोधित जल से अशुद्धियों को हटाता है।
    • अंतिम चरण में RO झिल्ली के माध्यम से जल का प्रवाह अधिक संक्रमित दिशा (अधिक अशुद्धियाँ) से कम संक्रमित दिशा (कम अशुद्धियाँ) की ओर होता है जिससे शुद्ध पीने का पानी प्राप्त होता है।
    • निर्मित जल  को पर्मिएट (Permeate) कहा जाता है।
    • बचे हुए सांद्र जल को अपशिष्ट या नमकीन जल कहा जाता है।

  • ऑस्मोसिस: यह एक भौतिक घटना है, जिसमें एक पारगम्य झिल्ली से होकर उच्च सांद्रता वाले विलियन से कम सांद्रता वाले विलियन की ओर जल के अणुओं का प्रवाह होता है।
  • विलायक सांद्र विलयन को पतला करने और झिल्ली (Membrane) के दोनों और सांद्रता को बराबर करने के लिए एक और से दूसरी ओर आगे बढ़ता है।
    • यह तरल अणुओं तक सीमित है।
    • यह तरल पदार्थ उच्च सांद्रता वाले क्षेत्रों से निम्न सांद्रता की ओर बढ़ते हैं।

ऑस्मोसिस (Osmosis) और रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) के बीच अंतर

  • ऑस्मोसिस (परासरण ) में उच्च जल क्षमता वाले क्षेत्र से निम्न जल क्षमता की ओर पानी की गति शामिल होती है जबकि रिवर्स ऑस्मोसिस में पानी कम सांद्रता वाले घोल से अधिक सांद्रता वाले घोल की ओर जाता है।
  • इसके अतिरिक्त ऑस्मोसिस (परासरण) प्राकृतिक रूप से होता है रिवर्स ऑस्मोसिस (Reverse osmosis)  एक मानव निर्मित प्रक्रिया है।
  • प्रसार (Diffusion): प्रसार उच्च सांद्रता वाले क्षेत्र से कम सांद्रता वाले क्षेत्र की ओर कणों की गति है, जिसका कार्य समग्र प्रभाव को पूरे माध्यम में एकाग्रता को बराबर करना है।
    • यह तरल, गैस और ठोस पदार्थ सहित किसी भी प्रकार के अणु में होता है।
    • अणु दोनों दिशाओं में गति करते हैं।

आरओ (RO) जल में क्या समस्या है?

  • जल की बर्बादी: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की रिपोर्ट है कि आरओ प्यूरिफायर (RO Purifiers) के परिणामस्वरूप शुद्धिकरण के दौरान लगभग 70-80 प्रतिशत पानी नुक्सान होता है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव
    • स्वस्थ के लिए उपयोगी खनिज पृथक कर दिए जाते हैं: आरओ (RO) निस्पंदन (Filtration)  के बाद पानी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, जस्ता, सोडियम, पोटेशियम और कार्बोनेट जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों की कमी हो जाती है।
    • इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी: शरीर के विभिन्न हिस्सों के बीच पानी का अपर्याप्त पुनर्वितरण महत्त्वपूर्ण अंगों के कार्य पर प्रभाव डाल सकता है।
    • भोजन में आवश्यक तत्त्वों की हानि हो सकती है। 
    • उच्च रक्तचाप, हृदय – धमनी रोग, अल्सर, गैस्ट्रिटिस आदि जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

आरओ वाटर प्यूरीफायर प्लांट (RO Water Purifiers Plants) की चुनौतियाँ

  • भूमि और जल निकायों पर प्रभाव: आरओ (RO) से निकलने वाले अपशिष्ट जल या ब्राइन के जमाव से भूमि, सतही जल या सीवरेज प्रणाली में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • वनस्पतियों और जीवों पर प्रभाव: लवणता खाद्य शृंखला और जैव-भू-रासायनिक चक्र को प्रभावित करेगी।
  • उच्च आर्थिक लागत।
  • उच्च ऊर्जा खपत।

आरओ (RO)  जल के विकल्प

  • यूवी (Ultraviolet) या यूएफ (Ultrafiltration) फिल्टर: ये फिल्टर जीवाणु और विषाणु को खत्म करने के लिए पराबैंगनी प्रकाश या एक झिल्ली का उपयोग करते हैं, जिससे अत्यधिक पानी की बर्बादी के बिना सुरक्षित पेयजल प्राप्त किया जाता है।
  • सक्रिय कार्बन फिल्टर (Activated Carbon Filters): ये फिल्टर पानी से अशुद्धियों और प्रदूषकों को प्रभावी ढंग से हटाते हैं, जिससे स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल प्राप्त होता है।
  • पानी उबालना: पानी को कम-से-कम 10 मिनट तक उबालने से जीवाणु और विषाणु प्रभावी ढंग से मर सकते हैं जिससे पानी पीने के लिए सुरक्षित हो जाता है।

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