100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

बॉण्ड यील्ड और बाजार के बीच संबंध

Lokesh Pal February 14, 2025 03:29 97 0

संदर्भ

BSE सेंसेक्स में लगातार छठे दिन भी गिरावट देखी गई, जो विदेशी संस्थागत निवेशकों/विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FIIs/FPIs) के बीच बड़ी विक्रय प्रक्रिया को दर्शाता है।

  • उल्लेखनीय है कि बाजार पर मिश्रित कॉरपोरेट आय एवं आयात पर अमेरिकी टैरिफ व्यवस्था के सख्त नियमों का असर पड़ा है।

बॉण्ड यील्ड के बारे में

  • बॉण्ड यील्ड से तात्पर्य उस रिटर्न से है, जो निवेशक परिपक्वता तक बॉण्ड रखने से कमाता है।
  • यह ब्याज दरों, बाजार की माँग एवं आर्थिक स्थितियों से प्रभावित होता है।

यील्ड कर्व एवं विविधताएँ

  • यील्ड कर्व बॉण्ड यील्ड एवं उनकी परिपक्वता अवधि के बीच के संबंध को दर्शाता है।
  • यील्ड कर्व के प्रकार
    • सामान्य यील्ड कर्व: लंबी अवधि के बॉण्ड में अल्पकालिक बॉण्ड की तुलना में अधिक यील्ड होती है, जो आर्थिक विकास को दर्शाता है।

    • विपरीत यील्ड कर्व: लंबी अवधि के बॉण्ड में अल्पकालिक बॉण्ड की तुलना में कम यील्ड होती है, जो संभावित मंदी का संकेत देती है।
    • समान यील्ड कर्व: अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक यील्ड समान हैं, जो आर्थिक अनिश्चितता को दर्शाते हैं।
  • बॉण्ड मूल्य एवं यील्ड संबंध
    • जब बॉण्ड की कीमतें गिरती हैं, तो यील्ड बढ़ती है।
    • जब बॉण्ड की कीमतें बढ़ती हैं, तो यील्ड गिरती है।

बॉण्ड यील्ड एवं ब्याज दरों के बीच अंतर

पहलू

बॉण्ड यील्ड

ब्याज दर

परिभाषा निवेशक को बॉण्ड धारण करने से मिलने वाला प्रतिफल, वार्षिक रूप से व्यक्त किया जाता है। पैसा उधार लेने के लिए ऋणदाता द्वारा लिया जाने वाला प्रतिशत।
उपयोग बॉण्ड जैसी निश्चित आय वाली प्रतिभूतियों के लिए प्रासंगिक, जहाँ प्रतिफल में ब्याज (कूपन) भुगतान शामिल होता है। यह ऋण, बॉण्ड एवं अन्य ऋण साधनों पर लागू होता है तथा उधार लेने की लागत निर्धारित करता है।
बाजार से संबंध बॉण्ड की कीमतों से विपरीत रूप से संबंधित।

जब बॉण्ड की कीमतें बढ़ती हैं, तो यील्ड कम होता है, एवं इसके विपरीत।

ऋणदाताओं या केंद्रीय बैंकों (जैसे-RBI) द्वारा निर्धारित किया जाता है तथा समग्र उधार लागत को प्रभावित करता है।
प्रकार इसमें यील्ड-टू-मेच्योरिटी (Yield-To-Maturity-YTM) शामिल है, जो बॉण्ड पर कुल अपेक्षित रिटर्न की गणना करता है। इसमें मुद्रास्फीति एवं चक्रवृद्धि ब्याज को ध्यान में रखते हुए नाममात्र, वास्तविक तथा प्रभावी ब्याज दरें शामिल हैं।
उदाहरण 1,000 डॉलर के निवेश पर 10% प्रतिफल वाला बॉण्ड 100 डॉलर का वार्षिक रिटर्न प्रदान करता है। 1,000 डॉलर के ऋण पर 10% ब्याज दर के लिए उधारकर्ता को प्रति वर्ष 100 डॉलर ब्याज का भुगतान करना होगा।

बॉण्ड यील्ड के प्रबंधन में RBI की भूमिका

  • ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) का संचालन: RBI नीलामी के माध्यम से बैंकों एवं निवेशकों से सरकारी प्रतिभूतियाँ खरीदता है। इससे बॉण्ड की माँग बढ़ती है, जिससे बढ़ती हुई यील्ड को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। 
    • RBI यील्ड संबंधी आँकड़ों एवं तरलता स्थितियों के आधार पर प्रत्येक OMO की मात्रा तय करता है।
  • ऑपरेशन ट्विस्ट: RBI लंबी अवधि के बॉण्ड खरीदता है एवं साथ ही छोटी अवधि के बॉण्ड विक्रय करता है।
    • यह लंबी अवधि के यील्ड को स्थिर करते हुए अतिरिक्त लिक्विडिटी को रोकता है।
  • साप्ताहिक ऋण नीलामी में हस्तक्षेप: सरकार बॉण्ड नीलामी के माध्यम से साप्ताहिक उधार लेती है, जहाँ निवेशक बोलियाँ लगाते हैं। यदि यील्ड सामान्य स्तर से अधिक हो जाती है, तो RBI आंशिक रूप से अंडरराइटर्स को प्रतिभूतियाँ हस्तांतरित कर सकता है।
  • हेल्ड-टू-मैच्योरिटी (Held-to-Maturity- HTM) सीमाएँ बढ़ाना: RBI ने HTM सीमा को बैंकों की जमाराशियों के 23% तक बढ़ा दिया, जिससे उन्हें बाजार मूल्यह्रास घाटे से बचाया जा सके।
    • यदि यील्ड में और वृद्धि होती है, तो RBI बॉण्ड की माँग का समर्थन करने के लिए समयसीमा बढ़ा सकता है।
  • खुदरा ऋण बाजार को मजबूत करना: RBI की खुदरा प्रत्यक्ष योजना सरकारी प्रतिभूतियों में प्रत्यक्ष निवेश को प्रोत्साहित करती है। 
    • जागरूकता एवं सुलभता बढ़ाने से निवेशक आधार व्यापक हो सकता है तथा यील्ड स्थिर हो सकती है। 

शेयर बाजार के बारे में 

  • शेयर बाजार की परिभाषा: शेयर बाजार एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहाँ सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर खरीदे एवं बेचे जाते हैं। 
    • यह निवेशकों को कंपनी के शेयरों का व्यापार करने एवं व्यवसायों को पूँजी जुटाने में सक्षम बनाता है।
  • वैश्विक शेयर बाजार
    • न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE): विश्व का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज।
    • नेशनल एसोसिएशन ऑफ सिक्योरिटीज डीलर्स ऑटोमेटेड कोटेशन (NASDAQ): NASDAQ, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट एवं गूगल जैसे प्रौद्योगिकी स्टॉक के लिए जाना जाता है।
  • भारतीय शेयर बाजार
    • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ( BSE): एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज।
    • नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE): भारत का सबसे बड़ा एक्सचेंज, NIFTY 50 इंडेक्स का समूह।

अमेरिका में बॉण्ड यील्ड बढ़ने का भारतीय बाजार पर प्रभाव

  • कम जोखिम के साथ उच्च रिटर्न: जब अमेरिकी बॉण्ड यील्ड बढ़ती है, तो भारतीय इक्विटी का जोखिम-इनाम अनुपात घटता है। FII एवं FPI भारत जैसे उभरते बाजारों में अपने इक्विटी जोखिम को कम करते हैं तथा सुरक्षित अमेरिकी बॉण्ड में फंड स्थानांतरित करते हैं।
  • अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना: अमेरिकी बॉण्ड यील्ड के बढ़ने से अमेरिकी डॉलर की माँग बढ़ती है, जिससे यह अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत होता है।
    • कमजोर रुपया विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय परिसंपत्तियों को कम आकर्षक बनाता है।
    • FIIs भारतीय स्टॉक बेचते हैं एवं अपने फंड को वापस लाते हैं, जिससे रुपया तथा कमजोर होता है।
  • भारतीय कंपनियों के लिए उच्च उधार लागत: उच्च वैश्विक बॉण्ड प्रतिफल से घरेलू उधार दरों में वृद्धि होती है। विदेशी ऋण पर निर्भर भारतीय कंपनियों को उच्च ब्याज लागत का सामना करना पड़ता है।
    • कॉरपोरेट लाभप्रदता में गिरावट, शेयर बाजार की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

बॉण्ड यील्ड एवं स्टॉक मार्केट के बीच संबंध

  • स्टॉक मार्केट एवं बॉण्ड यील्ड में विपरीत सहसंबंध होता है।
  • बॉण्ड यील्ड के बढ़ने से स्टॉक मार्केट में मंदी आती है।
    • कंपनियों के लिए उधार लेने की लागत बढ़ जाती है: बॉण्ड यील्ड बढ़ने से लोन एवं कॉरपोरेट बॉण्ड पर ब्याज दरें बढ़ जाती हैं।
      • उधार लेने की उच्च लागत से कॉर्पोरेट लाभ कम हो जाता है, जिससे स्टॉक की कीमतों में गिरावट आती है।
    • आकर्षक फिक्स्ड-इनकम रिटर्न: बॉण्ड यील्ड बढ़ने से बॉण्ड स्टॉक की तुलना में अधिक आकर्षक हो जाते हैं।
      • निवेशक इक्विटी से बॉण्ड में पैसा लगाते हैं, जिससे स्टॉक मार्केट में विक्रय प्रक्रिया होती है।
    • मुद्रास्फीति का दबाव: बॉण्ड यील्ड में वृद्धि अक्सर उच्च मुद्रास्फीति अपेक्षाओं को दर्शाती है।
      • उच्च मुद्रास्फीति भविष्य की कॉरपोरेट आय को कम करती है, जिससे स्टॉक कम आकर्षक हो जाते हैं।
    • सख्त मौद्रिक नीति: बॉण्ड यील्ड में वृद्धि से पता चलता है कि केंद्रीय बैंक (RBI, अमेरिकी फेडरल बैंक) मौद्रिक नीति को सख्त कर रहे हैं।
      • उच्च ब्याज दरें आर्थिक विकास को धीमा कर देती हैं, जिससे स्टॉक मार्केट के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • बॉन्ड यील्ड में गिरावट से शेयर बाजार में तेजी आती है: 
    • उधार लेने की लागत कम होती है: बॉण्ड यील्ड में कमी से ब्याज दरें कम होती हैं, जिससे व्यवसायों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है।
      • इससे कॉरपोरेट लाभ में बढोतरी होती है, जिससे शेयर बाजार में लाभ होता है। 
    • कम आकर्षक बॉण्ड: जब बॉण्ड यील्ड में गिरावट आती है, तो बॉण्ड कम रिटर्न देते हैं। 
      • निवेशक स्टॉक जैसी जोखिम भरी संपत्तियों में पैसा लगाते हैं, जिससे इक्विटी की माँग बढ़ती है। 
    • आर्थिक विकास की उम्मीदें: बॉण्ड यील्ड में गिरावट से आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देने वाली लचीली मौद्रिक नीति का संकेत मिल सकता है। 
      • इससे शेयर बाजारों को उच्च आय एवं मूल्यांकन का समर्थन करके लाभ होता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.