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वर्ष 2029 तक धन प्रेषण 160 बिलियन डॉलर

Lokesh Pal August 01, 2024 03:28 82 0

संदर्भ

भारत अपनी बढ़ती हुई कार्यशील आयु वाली जनसंख्या के कारण शीर्ष वैश्विक श्रम आपूर्तिकर्ता बनने के लिए तैयार है, जो वर्ष 2048 तक निरंतर बढ़ती रहेगी। 

RBI की मुद्रा और वित्त पर नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, यह वर्ष 2029 तक लगभग 160 बिलियन डॉलर तक धन प्रेषण (Remittances) को बढ़ावा देगा, जो वर्ष 2023 में 115 बिलियन डॉलर था। 

वर्तमान स्थिति 

  • भारत विश्व स्तर पर धन प्रेषण का शीर्ष प्राप्तकर्ता देश है, जो विश्व के कुल धन का 13.5% है।
  • धन प्रेषण का बढ़ता महत्त्व
    • GDP अनुपात: भारत के GDP में प्रेषण का अनुपात वर्ष 2000 में 2.8% से बढ़कर वर्ष 2023 में 3.2% हो गया है।
    • तुलना: यह अनुपात सकल घरेलू उत्पाद में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (foreign direct investment-FDI) प्रवाह के अनुपात से अधिक है, जो वर्ष 2023 में 1.9% है। 
      • यह भारत के बाह्य क्षेत्र की मजबूती का संकेतक है।

धन प्रेषण (Remittance)

  • प्रेषण वह धन है, जो विदेश में कार्य करने वाले श्रमिकों, प्रवासी समुदायों के सदस्यों, या विदेश में पारिवारिक संबंध रखने वाले नागरिकों द्वारा घर भेजा जाता है।
    • इस धन का उपयोग प्रेषक के गृह देश में घरेलू आय को बढ़ाने के लिए किया जाता है तथा यह विकासशील देशों के लिए एक प्रमुख वित्तीय प्रवाह है।
  • महत्त्व: धनप्रेषण अंतरराष्ट्रीय पूँजी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जो श्रम निर्यातक देशों के लिए वित्तीय महत्त्व में अक्सर अंतरराष्ट्रीय सहायता से प्रतिस्पर्द्धा करता है।

  • भारत की स्थिति: भारत अपने विशाल प्रवासी समुदाय के कारण धन-प्रेषण प्राप्त करने वाले देशों की सूची में लगातार शीर्ष पर है।
    • वार्षिक प्रेषण: वित्त वर्ष 2021 में भारत का  कुल प्रेषण (Remittances ) 87 बिलियन डॉलर था, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 2.75% था। 
    • शीर्ष स्रोत: संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब भारत में धन प्रेषण के प्रमुख स्रोत देश हैं।
    • प्रमुख गंतव्य देश: बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका भारत से धन प्रेषण प्राप्त करने वाले प्रमुख देश हैं।

चुनौतियाँ और विचार

  • धन प्रेषण की लागत (Cost of Remittances:): अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन प्रेषण महंगा हो सकता है। दूरस्थ स्थानों के लिए यह और भी अधिक हो सकता है।
  • सुरक्षा एवं विनियमन (Security and Regulation): ऐसी चिंताएँ हैं कि धन प्रेषण का उपयोग आतंकवाद या धन शोधन जैसी अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। 
    • डिजिटल हस्तांतरण में प्रगति के बावजूद, कुछ धन अभी भी कम पारदर्शी चैनलों के माध्यम से स्थानांतरित होता है। 
  • तकनीकी प्रगति: पेओनियर (Payoneer) और वाइज (Wise) जैसी फिनटेक कंपनियाँ धन प्रेषण शुल्क कम कर रही हैं। 
    • बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण और विनियमों के कार्यान्वयन से वित्तीय समावेशन और सुरक्षा में सुधार हो सकता है। 

धन प्रेषण लागत को प्रभावित करने वाले कारक

  • डिजिटलीकरण: धन हस्तांतरण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने से प्रक्रिया अधिक तीव्र, पारदर्शी और सस्ती हो सकती है। 
  • स्थानांतरण विधि: धन कैसे भेजा जाता है (नकद, बैंक हस्तांतरण, आदि) और इसे कहाँ से भेजा जाता है (बैंक, ऑनलाइन, एजेंट) इससे लागत प्रभावित होती है।
  • प्रतिस्पर्द्धा: कई कंपनियों द्वारा धन हस्तांतरण सेवाएँ प्रदान करने से लागत कम रखने में मदद मिल सकती है। 
  • डिजिटल धन प्रेषण के लाभ

उदारीकृत धन प्रेषण योजना (Liberalized Remittance Scheme-LRS)

  • LRS एक विदेशी मुद्रा नीति है।
  • इसे RBI द्वारा वर्ष 2004 में प्रस्तुत किया गया था।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य भारत से अन्य देशों में धन हस्तांतरण की प्रक्रिया को सरल और आसान बनाना है।
    • इस योजना के अंतर्गत, व्यक्ति अनुमत संक्रमणों की एक शृंखला के लिए एक निश्चित निर्दिष्ट सीमा तक धनराशि प्रेषित कर सकते हैं।

    • तीव्र स्थानांतरण: ऑनलाइन प्रणालियाँ धन को शीघ्रता से भेजने की अनुमति देती हैं।
    • अधिक पारदर्शिता: डिजिटल लेनदेन को ट्रैक करना और समझना आसान है।
    • कम लागत: ऑनलाइन सेवाओं में अक्सर पारंपरिक तरीकों की तुलना में कम शुल्क लगता है।

भारतीय श्रमिकों की स्थिति और योगदान

  • विशाल प्रवासी कार्यबल: भारत में बड़ी संख्या में लोग अन्य देशों में रह रहे हैं और कार्य कर रहे हैं।
  • खाड़ी देशों का प्रभुत्व: भारत को प्रेषण के रूप में भेजा जाने वाला अधिकांश धन मध्य पूर्व के देशों से आता है।
  • उत्तरी अमेरिका: संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा भी भारत के धन प्रेषण में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • भारतीय प्रवासी श्रमिकों की माँग को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
    • उच्च वैश्विक माँग: विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय श्रमिकों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरंतर मजबूत माँग बनी हुई है।
    • कौशल उन्नयन: भारतीय श्रमिकों के कौशल में सुधार से विदेशी नियोक्ताओं के लिए उनका आकर्षण और बढ़ रहा है।

भारत में धन प्रेषण प्रवाह बढ़ाने के उपाय 

  • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना
    • बैंकिंग सेवाओं का विस्तार: ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं, ATM और डिजिटल प्लेटफॉर्मों की संख्या बढ़ाकर धन-हस्तांतरण को अधिक आसान बनाया जा सकता है। 
    • मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा: धन भेजने और प्राप्त करने को आसान बनाने के लिए मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल वॉलेट के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। 
  • लेनदेन की लागत
    • कम शुल्क: बैंकों और धन हस्तांतरण ऑपरेटरों द्वारा लगाए गए शुल्क को कम करके, औपचारिक धनप्रेषण चैनल को अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है।
    • प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि (Rise in competition): लागत कम करने और सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सेवा प्रदाताओं में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना। 
  • सुरक्षा उपाय में वृद्धि
    • धोखाधड़ी की रोकथाम: धोखाधड़ी को रोकने और धन प्रेषण लेनदेन की सुरक्षा के लिए विभिन्न उपायों को लागू करना। 
    • ग्राहक सहायता: समस्याओं और विभिन्न चिंताओं के समाधान के लिए विश्वसनीय ग्राहक सहायता सेवाएँ प्रदान करना। 
  • अपने देश में निवेश को प्रोत्साहित करना
    • निवेश के अवसर: प्रवासी भारतीयों को अपने देश में निवेश करने के लिए बॉण्ड, रियल एस्टेट और स्थानीय व्यवसाय सहित विभिन्न आकर्षक निवेश अवसर प्रदान करना। 
    • प्रोत्साहन कार्यक्रम: प्रवासी निवेशकों के लिए कर लाभ और विशेष निवेश योजनाओं जैसे प्रोत्साहन कार्यक्रम विकसित करना। 
  • वित्तीय संस्थाओं के साथ संबंधों को मजबूत करना
    • बैंकों के साथ साझेदारी: सुचारू धन प्रेषण प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय बैंकों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के बीच साझेदारी स्थापित करना। 
    • धनप्रेषण सेवा (Remittance service): धनप्रेषण प्रेषक और प्राप्तकर्ता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैंकों के भीतर धनप्रेषण सेवा स्थापित करना। 

कार्यशील आयु जनसंख्या 

  • कार्यशील आयु वर्ग की जनसंख्या में एक विशिष्ट आयु सीमा के वे सभी लोग शामिल हैं, जिन्हें काम करने में सक्षम माना जाता है।
  • इसमें आमतौर पर किशोरावस्था से लेकर सेवानिवृत्ति की आयु तक के लोग शामिल होते हैं, जिनकी उम्र प्रायः 15 से 64 वर्ष के बीच होती है।
  • संभावित श्रमिकों का अनुमान: यह उपाय किसी अर्थव्यवस्था में संभावित रूप से काम करने वाले लोगों की संख्या का अनुमान लगाने में मदद करता है तथा विभिन्न आर्थिक संकेतकों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • माप का उद्देश्य
    • संभावित कार्यबल का विश्लेषण (Analyzing Potential Workforce): यह विश्लेषण करने में सहायता करता है, कि कितने लोग उपलब्ध हैं और काम करने में सक्षम हैं, लेकिन इसमें वर्तमान में कार्यरत या रोजगार की तलाश कर रहे लोगों को शामिल नहीं किया जाता है। 
    • रोजगार गतिशीलता (Employment Dynamics): यह माप उन लोगों के बीच अंतर नहीं करता है, जो कार्य कर रहे हैं और जो कार्य करने की आयु सीमा के भीतर नहीं हैं, जिससे संभावित श्रम उपलब्धता का व्यापक दृष्टिकोण मिलता है। 

भारत की स्थिति

  • भारत की कार्यशील जनसंख्या बढ़ रही है इसके विपरीत, प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में कार्यशील आयु वाली जनसंख्या घट रही है।

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