//php print_r(get_the_ID()); ?>
                         Lokesh Pal
Lokesh Pal
                         July 04, 2025 02:11
July 04, 2025 02:11
                         125
  
                                125                       
                         0
0
                    
बढ़ती भू-राजनीतिक जटिलताओं के मध्य, वैश्विक विकास वित्त के पारंपरिक प्रवाह में उल्लेखनीय गिरावट आ रही है। विकास वित्त पर पुनर्विचार करने और इसे पुनः उपयोग में लाने के लिए सामूहिक, रणनीतिक प्रयास की तत्काल आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह प्रासंगिक, उत्तरदायी और प्रभावशाली बना रहे।
भारत, एक तेजी से बढ़ते वैश्विक अभिकर्ता के रूप में, विशेष रूप से ‘ग्लोबल साउथ’ में विकास वित्त परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। भारत जिन पाँच प्रमुख माध्यमों से वैश्विक वित्तपोषण में सम्मिलित हुआ है, वे इस प्रकार हैं:
वैश्विक विकास वित्त में भारत जैसे देशों द्वारा की गई महत्त्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
वैश्विक विकास वित्त की चुनौतियों से निपटने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं और भारत पहले से ही इन रणनीतियों को लागू करने में एक प्रमुख हितधारक रहा है:
भारत सहायता प्राप्तकर्ता से प्रमुख वैश्विक विकास भागीदार बन गया है, जो पारस्परिक लाभ, बिना शर्त और माँग संचालित सहायता का समर्थन करता है। त्रिकोणीय सहयोग, सुधारित ऋण लाइनों और क्षमता निर्माण के माध्यम से, भारत समावेशी, सतत् तथा सहकारी वैश्विक विकास वित्त को आगे बढ़ाता है।
<div class="new-fform">
</div>

Latest Comments