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भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के आकलन तथा मापन पर रिपोर्ट

Lokesh Pal January 25, 2025 02:01 137 0

संदर्भ

इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ‘भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकलन तथा मापन’ शीर्षक से एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है।

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के आकलन तथा मापन पर रिपोर्ट के बारे में

  • यह रिपोर्ट भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद द्वारा तैयार की गई है तथा MeitY द्वारा जारी की गई है।

  • यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत ढांँचे के आधार पर भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के विश्वसनीय, समझने योग्य और वर्तमान अनुमानों के प्रथम सेट को संकलित करने का एक प्रयास है।
    • OECD  फ्रेमवर्क: भारत विकासशील देशों में पहला ऐसा देश है, जिसने अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था का अनुमान लगाने के लिए OECD  फ्रेमवर्क का उपयोग किया है।
    • ADB इनपुट-आउटपुट दृष्टिकोण: रिपोर्ट में एशियाई विकास बैंक के इनपुट-आउटपुट दृष्टिकोण का उपयोग करके वैकल्पिक अनुमान भी दिए गए हैं।
  • रिपोर्ट का उद्देश्य: इस रिपोर्ट से प्राप्त जानकारी नीति निर्माताओं, व्यवसायों और अन्य हितधारकों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
    • नीति निर्माता: सटीक डेटा अधिक सूचित निर्णय लेने और डिजिटल विकास को बढ़ावा देने के लिए लक्षित हस्तक्षेप में मदद करता है।
    • व्यवसाय: डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रभाव को समझने से व्यवसायों को रणनीतिक निर्णय लेने, नवाचार को बढ़ावा देने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिल सकती है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार: वर्ष 2022-23 में, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था राष्ट्रीय आय का 11.74% थी, जो सकल घरेलू उत्पाद में 31.64 लाख करोड़ रुपये (~ USD 402 बिलियन) के बराबर थी।
  • मुख्य योगदानकर्ता
    • डिजिटल-सक्षम उद्योगों, जैसे सूचना और संचार सेवाएँ, दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण ने सबसे अधिक योगदान दिया, जो सकल मूल्य वर्धित (GVA) का 7.83% था।
    • बिग टेक, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और डिजिटल मध्यस्थों सहित नए डिजिटल उद्योगों ने GVA में 2% का योगदान दिया।
    • BFSI (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएँ और बीमा), व्यापार और शिक्षा जैसे पारंपरिक क्षेत्रों ने भी अपने डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से GVA में लगभग 2% का योगदान दिया।
  • भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी (ICT) क्षेत्र से आगे बढ़ रही है, कई उद्योगों को प्रभावित कर रही है और पारंपरिक क्षेत्रों में डिजिटल प्लेटफॉर्म को बढ़ावा दे रही है।

भविष्य के विकास अनुमान

  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था राष्ट्रीय आय में लगभग पाँचवें भाग (20%) का योगदान देगी।
  • सर्वाधिक वृद्धि की उम्मीद है
    • डिजिटल मध्यस्थों तथा प्लेटफार्मों का उदय
    • संपूर्ण अर्थव्यवस्था में डिजिटल प्रसार और डिजिटलीकरण में वृद्धि
  • वर्ष 2022-23 में, डिजिटल अर्थव्यवस्था में 14.67 मिलियन श्रमिक या भारत के कुल कार्यबल का 2.55% हिस्सा शामिल था।

डिजिटल अर्थव्यवस्था के परिमाणीकरण की आवश्यकता

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था की भूमिका को समझना आवश्यक है-
    • आर्थिक विकास को गति देना।
    • रोजगार के अवसर पैदा करना।
    • सतत् विकास का समर्थन करना।

डिजिटल अर्थव्यवस्था को मापने में चुनौतियाँ

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था को परिभाषित करना: डिजिटल प्रौद्योगिकियों की क्रॉस-कटिंग और एकीकृत प्रकृति एक अलग डिजिटल अर्थव्यवस्था को परिभाषित करना कठिन बनाती है।
  • मौजूदा प्रणालियों की सीमाएँ: राष्ट्रीय खातों की पारंपरिक प्रणाली डिजिटल अर्थव्यवस्था को मापने के लिए डिज़ाइन नहीं की गई है।
  • वैश्विक संदर्भ: केवल कुछ देशों ने अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था को मापने का प्रयास किया है।

भारत की डिजिटल प्रगति के बारे में मुख्य आंँकड़े

  • मोबाइल सब्सक्रिप्शन: विश्व में अनुमानित 8.36 बिलियन मोबाइल सेलुलर सब्सक्रिप्शन में से 1.14 बिलियन भारत में हैं।
  • इंटरनेट ट्रैफिक: भारत में 16.9 जीबी के साथ तीसरा सबसे ज़्यादा औसत मासिक डेटा ट्रैफ़िक है।
  • 5G परिनियोजन: भारत वर्ष 2024 में 5G स्मार्टफ़ोन के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार बन गया।
  • डिजिटल पहचान: 8 जनवरी, 2024 तक, भारत ने 1.3 बिलियन से ज़्यादा बायोमेट्रिक ID जारी की हैं।
  • डिजिटल भुगतान: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत में 1644 बिलियन से अधिक डिजिटल लेन-देन हुए, जो किसी भी देश के लिए सर्वाधिक मात्रा है।
  • आईसीटी सेवा निर्यात: वर्ष 2023 में, भारत का ICT सेवा निर्यात, जो विश्व में दूसरा सबसे ज़्यादा है, 162 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा।
  • AI प्रोजेक्ट्स: AI प्रोजेक्ट्स के लिए GitHub में भारत का योगदान दुनिया में सबसे ज़्यादा है, जो 23% है, इसके बाद अमेरिका (14%) का स्थान है।
  • यूनिकॉर्न: देश के हिसाब से भारत में घरेलू यूनिकॉर्न की संख्या तीसरी सबसे अधिक  है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था से तात्पर्य ऐसी अर्थव्यवस्था से है जो मुख्य रूप से डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर आधारित है, जिसमें इंटरनेट, डिजिटल प्लेटफॉर्म और डिजिटल डिवाइस शामिल हैं।
  • इसमें वे सभी आर्थिक गतिविधियाँ शामिल हैं जो व्यवसाय संचालन, संचार, लेन-देन तथा सेवा वितरण के लिए डिजिटल संसाधनों का उपयोग करती हैं।

डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रमुख घटक

  • ई-कॉमर्स: वेबसाइट तथा मोबाइल ऐप (जैसे, अमेज़न, फ्लिपकार्ट) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के द्वारा  वस्तुओं और सेवाओं की खरीद और बिक्री।
  • डिजिटल सेवाएँ: क्लाउड कंप्यूटिंग, डिजिटल भुगतान, फिनटेक समाधान और सॉफ़्टवेयर-एज-ए-सर्विस (SaaS) प्लेटफ़ॉर्म जैसी ऑनलाइन सेवाएँ।
    • SaaS एक सॉफ्टवेयर लाइसेंसिंग मॉडल है। यह बाहरी सर्वर के माध्यम से सदस्यता के आधार पर एप्लिकेशन तक पहुंच प्रदान करता है। उदाहरण: Salesforce, Google Workspace ऐप, Microsoft 365
  • डेटा: निर्णय लेने, मार्केटिंग करने और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डेटा का संग्रह, विश्लेषण और उपयोग। बिग डेटा, एआई तथा मशीन लर्निंग इस पहलू के मुख्य भाग हैं।
  • डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: ब्रॉडबैंड इंटरनेट, 5G नेटवर्क और डेटा सेंटर जैसी तकनीकें जो उद्योगों में डिजिटल गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं।
  • डिजिटल इनोवेशन: नई तकनीकों (जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स) का विकास जो उद्योगों को बदल देती हैं और नए व्यावसायिक अवसर उत्पन्न करती हैं।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure- DPI)

  • DPI उन डिजिटल प्लेटफार्मों और प्रणालियों को संदर्भित करता है जो सार्वजनिक सेवाओं, जैसे पहचान, भुगतान, स्वास्थ्य, शिक्षा और शासन की डिलीवरी को सक्षम बनाते हैं।
    • इसे डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में एक मध्यवर्ती परत के रूप में समझा जा सकता है।
  • यह एक भौतिक परत (जिसमें कनेक्टिविटी, डिवाइस, सर्वर, डेटा सेंटर, राउटर आदि शामिल हैं) के ऊपर स्थित है, और एक ऐप परत (विभिन्न वर्टिकल के लिए सूचना समाधान, ई-कॉमर्स, नकद हस्तांतरण, दूरस्थ शिक्षा, टेलीहेल्थ आदि) का समर्थन करता है।
  • DPI सार्वजनिक सेवा वितरण की दक्षता, पारदर्शिता, समावेशन तथा नवाचार में सुधार करके गरीबी में कमी, जलवायु अनुकूलन और डिजिटल परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों को हल करने में मदद कर सकता है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था के लाभ

  • उत्पादकता में वृद्धि: व्यवसाय कार्यों को स्वचालित कर सकते हैं, दक्षता में सुधार कर सकते हैं और संचालन के लिए आवश्यक समय को कम कर सकते हैं।
    • मैककिंसे की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन संगठनों ने AI तथा डिजिटल तकनीकों को अपनाया है, वे 20-30% उत्पादकता लाभ की स्थिति में हैं।
  • कम लागत: क्लाउड सेवाएँ तथा डिजिटल उपकरण महंगे भौतिक बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता को कम करते हैं, जिससे व्यवसायों को अपने आकार को आसानी से समायोजित करने की अनुमति मिलती है।
    • ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ड अपने बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने के लिए Google क्लाउड का उपयोग करता है, जिससे यह डेली विजिट की अधिकतम संख्या का प्रबंधन करता है।
  • व्यापक पहुँच: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म व्यवसायों को वैश्विक ग्राहकों से जुड़ने और अपने बाजार  का विस्तार करने में मदद करते हैं।
    • Google प्रतिदिन 8.5 बिलियन से अधिक सर्च को संसाधित करता है, और यह डेटा कंपनी को अपनी सेवाओं और लक्षित विज्ञापनों को परिष्कृत करने में मदद करता है।
  • बेहतर डेटा एक्सेस: डिजिटल उपकरण मूल्यवान डेटा प्रदान करते हैं जिसका विश्लेषण व्यावसायिक रणनीतियों, ग्राहक की समझ और संचालन को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • उदाहरण: ग्राहक संबंध प्रबंधन (CRM) सॉफ्टवेयर (जैसे, Salesforce, HubSpot)
  • सुविधा: उपभोक्ता किसी भी समय और कहीं से भी ऑनलाइन खरीदारी या सेवाओं तक पहुँच सकते हैं, जिससे जीवन आसान हो जाता है।
    • भारत में ई-कॉमर्स उद्योग का बाजार मूल्य वर्ष 2024 में 123 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह संख्या वर्ष 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
  • बेहतर ग्राहक अनुभव: व्यवसाय चैटबॉट जैसे डिजिटल चैनलों के माध्यम से त्वरित ग्राहक सेवा प्रदान कर सकते हैं।
  • वैयक्तिकरण: डेटा और AI का उपयोग करके, व्यवसाय अपने उत्पादों और मार्केटिंग को अनुकूलित कर सकते हैं, जिससे ग्राहक संतुष्टि बढती है।

डिजिटल भुगतान पर समितियाँ

डिजिटल भुगतान पर रतन वाटल समिति (वर्ष 2016)

  • इसकी स्थापना भारत में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के उपायों की सिफारिश करने के लिए की गई थी।
  • इसने RBI के तहत एक स्वतंत्र भुगतान नियामक बनाने की सिफारिश की।
  • आधार को KYC के लिए प्राथमिक पहचान के रूप में प्रस्तावित किया और आधार-आधारित ई-KYC की अनुमति दी।
  • भुगतान तथा निपटान अधिनियम में परिवर्तन: उपभोक्ता संरक्षण, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता पर प्रावधानों को शामिल करने के लिए संशोधनों का सुझाव दिया।
  • अंतरसंचालनीयता: मोबाइल नंबर तथा आधार के माध्यम से बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं के बीच अंतरसंचालनीयता को सुविधाजनक बनाने का प्रस्ताव।
  • डिजिटल लेन-देन कोष: डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए एक कोष बनाने का सुझाव दिया।
  • सरकारी भुगतान: सभी सरकारी भुगतान डिजिटल रूप से किए जाने की सिफारिश की गई।

डिजिटल भुगतान पर नंदन नीलेकणी पैनल (वर्ष 2019)

  • इसे भारत की डिजिटल भुगतान प्रणालियों में सुधार का मूल्यांकन करने तथा सुझाव देने के लिए स्थापित किया गया।
  • भुगतान के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका पर जोर दिया गया।
  • यह सिफारिश की गई कि DBT हस्तांतरण सहित सभी सरकार-से-नागरिक भुगतान डिजिटल रूप से किए जाएं।
  • नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC): एक राष्ट्रीय कॉमन मोबिलिटी कार्ड बनाने का प्रस्ताव रखा गया, जो परिवहन के सभी साधनों में अंतर-संचालन योग्य हो और ATM डेबिट कार्ड के रूप में भी कार्य करना।

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ

  • डिजिटल डिवाइड: वर्ष 2024 तक, ग्रामीण भारत का एक बड़ा हिस्सा अलग-थलग रहा, जिसमें महिलाओं, बच्चों और हाशिए पर स्थित समूहों को विशेष बाधाओं का सामना करना पड़ा।
    • डिजिटलीकरण के मामले में भारत G20 देशों में 12वें स्थान पर है।
  • साइबर सुरक्षा खतरे: डिजिटल लेन-देन तथा क्लाउड-आधारित सेवाओं में वृद्धि के साथ, भारत को डेटा उल्लंघन, हैकिंग और साइबर हमलों के बढ़ते जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है।
    • वर्ष 2024 में, भारत की राष्ट्रीय पहचान प्रणाली, आधार डेटाबेस में  बड़े स्तर पर डेटा उल्लंघन हुआ।
  • नियामक और नीतिगत चुनौतियाँ: भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था विकासशील नीतियों तथा विनियमों के एक पैचवर्क (Patchwork) द्वारा शासित है, जिससे व्यवसायों के लिए नेविगेट करना कठिन हो जाता है।
    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, राष्ट्रीय डेटा शासन रूपरेखा नीति, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति तथा राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति के अलावा, DPDP नियम सभी वर्तमान में मसौदा रूप में हैं।
  • एकाधिकार और बाजार का प्रभुत्व: भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र पर अमेजन, फ्लिपकार्ट, गूगल तथा रिलायंस जियो का एकाधिकार है, जिससे प्रतिस्पर्धा में बाधा आ सकती है और अनुचित व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा मिल सकता है।
    • वर्ष 2024 तक, भारत के दूरसंचार उद्योग में जियो की लगभग 40% बाजार हिस्सेदारी रही, इसी तरह अमेजन के पास भारत में ईकॉमर्स बाजार में लगभग 30-35% हिस्सेदारी है ।
  • आईटी वस्तुओं पर आयात प्रतिबंध: लैपटॉप और टैबलेट जैसे कुछ आईटी उत्पादों के आयात पर भारत के प्रतिबंध विदेशी प्रौद्योगिकी फर्मों के प्रवेश में बाधा डाल सकते हैं।
    • भारत में किसी भी G20 देश की तुलना में सबसे अधिक औसत टैरिफ लागू है, और WTO सदस्यों के बीच सबसे अधिक बाध्य टैरिफ दरें हैं।
  • बुनियादी ढांँचे की बाधाएँ: जबकि 4G तथा 5G का विस्तार हुआ है, भारत का फिक्स्ड ब्रॉडबैंड इंफ्रास्ट्रक्चर गति तथा विश्वसनीयता के मामले में अन्य G- 20 देशों से पीछे है।
  • डिजिटल सेवा कराधान का अनिश्चित भविष्य: भारत द्वारा शुरू किए गए डिजिटल सेवा कर (DST) ने विदेशी ऑनलाइन विज्ञापन प्लेटफॉर्म और डिजिटल व्यवसायों पर कर का भार  डाला है, जिससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए जटिलता बढ़ गई है।
    • विदेशी विज्ञापन प्लेटफॉर्म पर 6% ‘समानीकरण शुल्क’, जिसे वर्ष 2017 में प्रस्तुत किया गया था, भारत में काम करने वाली विदेशी फर्मों के लिए अनुपालन भार  को बढ़ाता है।

आगे की राह 

  • डिजिटल विभाजन को समाप्त करना: भारतनेट, राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन 2.0 तथा अन्य ग्रामीण कनेक्टिविटी कार्यक्रमों को मजबूत करना।
  • साइबर सुरक्षा को बढ़ाना: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 तथा डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 जैसे मजबूत डेटा सुरक्षा कानूनों को लागू करना।
  • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: PMGDISHA (प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान) जैसे कार्यक्रमों का विस्तार करना।
  • नीति सुधार: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के लिए एक सुसंगत नियामक ढांचा स्थापित करना।
  • स्थानीयकरण को प्रोत्साहित करना: स्वदेशी डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देना।
  • IT वस्तुओं पर आयात प्रतिबंधों को कम करना: विदेशी प्रौद्योगिकी फर्मों को भारत में निवेश और विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आयात शुल्क का पुनर्मूल्यांकन करना।

डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहलें 

  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (वर्ष 2015): भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने के लिए शुरू किया गया।
    • घटक
      • सभी के लिए ब्रॉडबैंड: ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड नेटवर्क का विस्तार।
      • उपयोगिता के रूप में डिजिटल अवसंरचना: हाई-स्पीड इंटरनेट, डिजिटल स्टोरेज और ऑनलाइन सेवाओं की डिलीवरी प्रदान करना।
      • मांँग आधारित शासन और सेवाएँ: सरकारी सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध कराने का लक्ष्य।
      • डिजिटल साक्षरता: नागरिकों को, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता प्रदान करना।
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।
  • आधार: बायोमेट्रिक तथा जनसांख्यिकीय डेटा के माध्यम से भारत के प्रत्येक निवासी को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करना।
    • e-KYC, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) और सेवाओं के अधिक कुशल वितरण को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है।
  • भारतनेट: संपूर्ण देश में 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया।
  • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI): एक सहज, त्वरित और अंतर-संचालनीय भुगतान प्रणाली प्रदान करता है।
    • UPI ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया है, जिससे मोबाइल फोन के माध्यम से छोटे और बड़े पैमाने पर भुगतान संभव हो गया है।
  • डिजिलॉकर: व्यक्तियों को सरकार द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों को ऑनलाइन एक्सेस करने और साझा करने की सुविधा देता है, जिससे कागजी कार्रवाई कम होती है।
  • डिजिटल रुपया (केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा): भारतीय रिजर्व बैंक एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) जारी करने पर विचार कर रहा है।
  • भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI): भारत में डिजिटल भुगतान प्रणालियों के विकास और विनियमन का कार्य करने वाला वैधानिक निकाय।
    • प्रमुख उपलब्धियाँ: UPI, IMPS (तत्काल भुगतान सेवा), RuPay कार्ड और नेशनल फाइनेंशियल स्विच (National Financial Switch- NFS)।
  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम: नागरिकों के लिए मजबूत डेटा सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए अधिनियमित किया गया।

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