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अनुसंधान सुरक्षा एक राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए

Lokesh Pal December 04, 2024 03:16 43 0

संदर्भ

अपने वर्ष 2047 विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, भारत वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता एवं उभरते खतरों को संबोधित करते हुए नवाचार का उपयोग करने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा अनुसंधान सुरक्षा पर जोर देता है।

वर्ष 2047 तक भारत के विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका

  • भारत का लक्ष्य रणनीतिक एवं उभरते क्षेत्रों में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी (Science and Technology- S&T) पर जोर देकर वर्ष 2047 तक महत्त्वपूर्ण विकास हासिल करना है।
  • आधुनिक प्रौद्योगिकियों में निवेश महत्त्वपूर्ण है:
    • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में अपना स्थान सुनिश्चित करना।
    • सामाजिक चुनौतियों का समाधान करना।
    • आर्थिक अवसरों को अनलॉक करना।

अनुसंधान सुरक्षा का महत्त्व

  • परिभाषा: वैज्ञानिक अनुसंधान को गोपनीयता, आर्थिक मूल्य एवं राष्ट्रीय हित के खतरों से बचाना।
  • अनुसंधान सुरक्षा इसकी सुरक्षा करती है:
    • अनुसंधान के साधन, जानकारी एवं उत्पाद।
    • वैज्ञानिक अनुसंधान इनपुट।
    • प्रक्रियाएँ।
    • परिणाम।
  • यह इसके लिए महत्त्वपूर्ण है: 
    • अनुसंधान में सार्वजनिक निवेश की रक्षा करना।
    • अनुसंधान डेटा एवं प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग को रोकना।
    • विदेश यात्रा करने वाले छात्रों एवं कर्मचारियों की सुरक्षा की रक्षा करना।
    • विदेशी सरकार के हस्तक्षेप से सुरक्षा सुनिश्चित करना।
    • जोखिमों को न्यूनतम करना एवं सहयोगात्मक विज्ञान के पुरस्कारों को अधिकतम करना।
  • भू-राजनीतिक संबंधी खतरे
    • विदेशी हस्तक्षेप: राष्ट्रीय अनुसंधान हितों से समझौता करने के लिए विदेशी संस्थाओं द्वारा हस्तक्षेप करना।
      • उदाहरण: अमेरिकी खुफिया जानकारी के अनुसार, वर्ष 2016 के संयुक्त राज्य अमेरिका के चुनावों में रूसी सरकार ने डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव अभियान को बढ़ावा देने के लिए हस्तक्षेप किया था।
    • बौद्धिक संपदा की चोरी: आर्थिक या रणनीतिक लाभ हासिल करने के लिए स्वामित्व अधिग्रहण या प्रौद्योगिकियों की चोरी करना।
      • उदाहरण: वर्ष 2020 के अंत में, उत्तर कोरियाई साइबर हमलावरों ने कथित तौर पर यूनाइटेड किंगडम में वैक्सीन निर्माता एस्ट्राजेनेका को निशाना बनाया था।
    • आतंरिक खतरे: संगठनों के भीतर के व्यक्ति जानबूझकर या अनजाने में अनुसंधान सुरक्षा से समझौता करते हैं।
      • उदाहरण: हार्वर्ड के एक प्रोफेसर को अमेरिकी रक्षा अनुदान प्राप्त करते समय चीनी फंडिंग से अघोषित संबंधों के लिए वर्ष 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
    • साइबर हमले: हैकिंग, संवेदनशील अनुसंधान डेटा को नष्ट करने या चुराने एवं महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को बाधित करने का प्रयास करती है।
      • उदाहरण: वर्ष 2021 में, औपनिवेशिक पाइपलाइन पर रैंसमवेयर हमले के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर व्यापक ईंधन की कमी हो गई।
    • संवेदनशील डेटा तक अनधिकृत पहुँच: गोपनीय अनुसंधान को उजागर करने वाले उल्लंघन, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता को नुकसान पहुँचाते हैं।
      • उदाहरण: वर्ष 2018 में, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में डेटा ब्रीच के मामले सामने आए, जिससे संकाय, कर्मचारियों एवं छात्रों सहित 3,00,000 से अधिक व्यक्तियों की व्यक्तिगत जानकारी प्रभावित हुई।

भारत के रणनीतिक प्रौद्योगिकी क्षेत्र

  • फोकस क्षेत्र
    • अंतरिक्ष, रक्षा, अर्द्धचालक, साइबर सुरक्षा।
    • परमाणु प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा।
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम तकनीक।
  • अनुसंधान सुरक्षा उल्लंघनों के जोखिम
    • राष्ट्रीय हितों से समझौता करना।
    • तकनीकी प्रगति में देरी करना।
    • विदेशी अभिकर्ताओं द्वारा शोषण।

अनुसंधान सुरक्षा पर वैश्विक उदाहरण

  • संयुक्त राज्य अमेरिका
    • अनुसंधान सुरक्षा प्रावधानों के साथ CHIPS एवं विज्ञान अधिनियम।
    • राष्ट्रीय मानक एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (NIST) द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा राष्ट्रपति ज्ञापन 33 (NSPM-33)।
      • जनवरी 2021 में प्रकाशित, NSPM-33 संघीय एजेंसियों को अमेरिकी सरकार समर्थित अनुसंधान एवं विकास में विदेशी सरकार के हस्तक्षेप के खिलाफ सुरक्षा मजबूत करने का निर्देश देता है।
  • कनाडा
    • अनुसंधान भागीदारी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा दिशा-निर्देश।
      • फरवरी 2023 में, कनाडा सरकार के तीन मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें संवेदनशील क्षेत्रों में कुछ शोधकर्ताओं के विदेशी संस्थाओं से जुड़े होने के कारण अनुसंधान के लिए सरकारी फंडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • यूरोपीय संघ
    • जोखिम मूल्यांकन
      • साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले, अनुसंधान एवं नवाचार संगठन अंतरराष्ट्रीय भागीदारों की प्रेरणाओं तथा एजेंडा पर विचार करने के लिए जोखिम मूल्यांकन कर सकते हैं।
    • क्षेत्र स्व-शासन एवं जोखिम-आधारित दृष्टिकोण पर जोर।
    • अनुसंधान सुरक्षा के लिए होराइजन यूरोप दिशा-निर्देश।

अनुसंधान सुरक्षा में चुनौतियाँ

  • विज्ञान की सहयोगात्मक प्रकृति के साथ संघर्ष: अनुसंधान की सुरक्षा पर प्रतिबंध वैज्ञानिक प्रगति के लिए महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सहयोग में बाधा बन सकते हैं।
    • ‘ह्यूमन जीनोम परियोजना’ को वैज्ञानिक प्रगति में तेजी लाने के लिए डेटा एवं संसाधनों के खुले आदान-प्रदान की आवश्यकता थी। सख्त सुरक्षा उपाय लागू करने से ऐसे सहयोगात्मक प्रयासों में बाधा आ सकती थी।
  • मुक्त विज्ञान एवं सुरक्षा को संतुलित करना: संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा करते हुए अनुसंधान में पारदर्शिता तथा पहुँच सुनिश्चित करना।
    • COVID 19 महामारी के दौरान, वैक्सीन विकास के लिए अनुसंधान डेटा का तेजी से साझाकरण महत्त्वपूर्ण था, बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में चिंताओं एवं संवेदनशील जानकारी के दुरुपयोग के कारण डेटा साझाकरण प्रतिबंधों के बारे में कई बार बहस हुई।
  • प्रशासनिक बोझ में वृद्धि: अनुसंधान सुरक्षा उपायों को लागू करने से विश्वविद्यालयों एवं शोधकर्ताओं के लिए अनुपालन की जटिलता बढ़ जाती है।
    • यूनाइटेड किंगडम के राष्ट्रीय सुरक्षा एवं निवेश अधिनियम तथा कनाडा के अनुसंधान साझेदारी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा दिशा-निर्देश जैसे नियामक दायित्वों के लिए विश्वविद्यालयों को अनुपालन के लिए महत्त्वपूर्ण संसाधन समर्पित करने की आवश्यकता होती है।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप का जोखिम: सुरक्षा उपाय शैक्षणिक स्वतंत्रता को कमजोर करते हुए राजनीतिक प्रभाव का एक उपकरण बन सकते हैं।
    • कुछ देशों में, अनुसंधान सुरक्षा उपायों का उपयोग असहमति को दबाने या महत्त्वपूर्ण अनुसंधान को दबाने के लिए किया गया है।
  • कार्यान्वयन की लागत: मजबूत अनुसंधान सुरक्षा बुनियादी ढाँचे की स्थापना करना संसाधन-गहन है।
    • आयाम अनुसंधान सुरक्षा जैसे उपकरण, जोखिमों को संबोधित करने में प्रभावी होते हुए भी, वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है, जिसे वहन करने के लिए कई संस्थानों को संघर्ष करना पड़ सकता है।
  • गतिशील एवं विकसित होते खतरे: AI एवं अन्य प्रौद्योगिकियों में तेजी से प्रगति खतरों को अधिक अप्रत्याशित एवं जटिल बनाती है।
    • रैंसमवेयर हमलों एवं डेटा ब्रीच जैसे साइबर खतरों के तेजी से विकास के लिए निरंतर सतर्कता तथा सुरक्षा उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।
  • अंतरराष्ट्रीय संघर्ष एवं प्रतिद्वंद्विता: भू-राजनीतिक तनाव सीमाओं के पार अनुसंधान सुरक्षा के प्रबंधन में जटिलता जोड़ते हैं।
    • उदाहरण के लिए, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक सहयोग को प्रभावित किया है, जिससे संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं में बाधा उत्पन्न हुई है।
  • संभावित अति-विनियमन: अत्यधिक कड़े सुरक्षा उपाय नवाचार को बाधित कर सकते हैं।
    • नियमित अनुसंधान एवं उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के बीच अंतर करने में विफल रहने वाले नियम शोधकर्ताओं को अत्याधुनिक विषयों की खोज करने से हतोत्साहित कर सकते हैं, जैसा कि AI शासन के आसपास की चर्चाओं में बताया गया है।
  • अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के साथ एकीकरण: सुरक्षा प्रोटोकॉल को मुख्य गतिविधियों को बाधित किए बिना अनुसंधान वर्कफ्लो के साथ संरेखित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, सख्त डेटा एक्सेस नियंत्रण से शोधकर्ताओं के लिए प्रभावी ढंग से सहयोग करना मुश्किल हो सकता है।
  • उभरते AI जोखिम: AI नैतिक दुविधाएँ प्रस्तुत करता है, जैसे एल्गोरिदम एवं डेटा का संभावित दुरुपयोग।
    • सामग्री तैयार करने की AI की क्षमता अनुसंधान आउटपुट में विश्वास को जटिल बनाती है। 
    • यह जोखिम भी उत्पन्न करता है, जैसे अनधिकृत एप्लिकेशन (जैसे- डीपफेक तकनीक) विकसित करने में मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग।

भारत में अनुसंधान सुरक्षा को बढ़ावा देने की पहल

  • यद्यपि भारत के पास व्यापक राष्ट्रीय अनुसंधान सुरक्षा ढाँचा नहीं है, फिर भी सरकार ने अनुसंधान सुरक्षा के विशिष्ट पहलुओं, विशेषकर साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में, के समाधान के लिए कई पहल की हैं:-
  • IT अधिनियम, 2000: यह अधिनियम डेटा सुरक्षा, गोपनीयता एवं साइबर अपराध सहित इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन तथा साइबर सुरक्षा के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है। 
  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023: यह अधिनियम डेटा सुरक्षा एवं नियामक आवश्यकताओं को जोड़कर राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति को मजबूत करता है। 
  • साइबर स्वच्छता केंद्र: यह पहल कंप्यूटर एवं उपकरणों से दुर्भावनापूर्ण बॉटनेट प्रोग्राम का पता लगाती है तथा उन्हें हटा देती है। यह मैलवेयर विश्लेषण के लिए निःशुल्क उपकरण भी प्रदान करता है। 
  • साइबर सुरक्षित भारत: यह कार्यक्रम मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (CISO) एवं IT समुदाय को साइबर सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए शिक्षित तथा सक्षम बनाता है।

भारत में अनुसंधान सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कदम

  • एक राष्ट्रीय अनुसंधान सुरक्षा नीति तैयार करना: संवेदनशील डेटा, बौद्धिक संपदा एवं AI, क्वांटम कंप्यूटिंग तथा जैव-प्रौद्योगिकी जैसी रणनीतिक प्रौद्योगिकियों की सुरक्षा के लिए एक व्यापक ढाँचा विकसित करना।
    • अनुसंधान साझेदारी के लिए कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा दिशा-निर्देश भारत के लिए मार्गदर्शक का कार्य कर सकते हैं।
  • साइबर सुरक्षा बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना: साइबर हमलों को रोकने एवं अनुसंधान बुनियादी ढाँचे को सुरक्षित करने के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा प्रणालियों में निवेश करना। वास्तविक समय में खतरे का पता लगाने तथा उसे कम करने के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग करना।
    • संवेदनशील परियोजनाओं पर लक्षित साइबर हमलों के बाद यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ावा दिया।
  • रणनीतिक अनुसंधान को वर्गीकृत एवं प्राथमिकता देना: अनुसंधान परियोजनाओं को उनके रणनीतिक महत्त्व के आधार पर वर्गीकृत करना एवं अति-विनियमन को कम करने के लिए आनुपातिक सुरक्षा उपाय लागू करना।
    • US नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) सुरक्षा संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करने के लिए अनुसंधान क्षेत्रों को वर्गीकृत करता है।
  • जागरूकता एवं प्रशिक्षण को बढ़ावा देना: सुरक्षित अनुसंधान प्रथाओं एवं जोखिम न्यूनीकरण पर शोधकर्ताओं के लिए कार्यशालाएँ, प्रशिक्षण तथा शैक्षिक मॉड्यूल आयोजित करना।
    • यूनाइटेड किंगडम में विश्वविद्यालय, जैसे कि ब्रिस्टल विश्वविद्यालय, अपने पाठ्यक्रम में सुरक्षित अनुसंधान प्रशिक्षण को शामिल करते हैं। 
  • विदेशी सहयोग में पारदर्शिता बढ़ाना: शोधकर्ताओं को संभावित जोखिमों की पहचान करने के लिए, विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी फंडिंग एवं सहयोग का खुलासा करने की आवश्यकता है।
    • US NSPM-33 कार्यान्वयन मार्गदर्शन अनुसंधान को सुरक्षित रखने के लिए विदेशी भागीदारी का पूर्ण खुलासा अनिवार्य करता है।
  • एक समर्पित अनुसंधान सुरक्षा कार्यालय स्थापित करना: संस्थानों में अनुसंधान सुरक्षा उपायों के समन्वय एवं निगरानी के लिए अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) के तहत एक विशेष कार्यालय बनाना।
    • US NSF का अनुसंधान सुरक्षा कार्यालय ऐसी पहल के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करता है।
  • AI अनुसंधान के लिए नैतिक मानकों को अपनाना: दुरुपयोग को रोकने एवं नियामक ढाँचे के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए AI अनुसंधान हेतु नैतिक मानदंड तथा जवाबदेही दिशा-निर्देश विकसित करना।
    • सिटी, लंदन विश्वविद्यालय में AI रिसर्च सेंटर शोधकर्ताओं की नैतिक जिम्मेदारी पर जोर देता है।
  • फंडिंग आवंटित करना एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: विशेषज्ञता एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करते हुए सुरक्षित अनुसंधान बुनियादी ढाँचे तथा प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
    • QUAD (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के भीतर भारत का सहयोग उभरती प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।

निष्कर्ष 

भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा करने, नवाचार को बढ़ावा देने एवं वर्ष 2047 तक इसके विकास उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मजबूत अनुसंधान सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। खुलेपन तथा सहयोग के साथ सुरक्षा को संतुलित करके, भारत एक लचीला एवं विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर सकता है।

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