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राज्य बार काउंसिलों में महिलाओं के लिए आरक्षण

Lokesh Pal December 11, 2025 02:48 14 0

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया है कि राज्य द्वारा बार काउंसिल के चुनावों में महिलाओं के लिए 30% आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।

संबंधित तथ्य 

  • वर्ष 2025 के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि 20% सीटें महिला सदस्यों के चुनाव से सुनिश्चित की जाएँ और 10% सीटें सह-चयन (को-ऑप्शन) के माध्यम से।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश

  • महिलाओं के लिए आरक्षण: सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि राज्य बार काउंसिल में निर्वाचित पदों और पदाधिकारी भूमिकाओं दोनों में 30% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होनी चाहिए।
  • संवैधानिक भावना: सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि ऐसा प्रतिनिधित्व संवैधानिक भावना के अनुरूप है और लैंगिक समानता से जुड़े प्रावधानों तथा हालिया विधायी पहलों के अनुरूप है।
  • संचालनात्मक नियमों में संशोधन: संवैधानिक पीठ ने स्पष्ट किया कि मौजूदा नियमों को महिलाओं के लिए 30% आरक्षण शामिल मानते हुए संशोधित माना जाएगा, जिससे आगामी चुनावों में अनिवार्य अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
  • अनुपालन हेतु कदम: BCI को 8 दिसंबर, 2025 तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें न्यायालय के आदेश के अनुपालन हेतु उठाए गए कदमों का विवरण होगा।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ के बारे में

  • बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ एक वैधानिक निकाय है जिसे भारतीय विधिज्ञ के विनियमन और प्रतिनिधित्व हेतु संसद द्वारा स्थापित किया गया है।
  • इसे अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के अंतर्गत अखिल भारतीय विधिज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर गठित किया गया।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य संपूर्ण भारत के अधिवक्ताओं के अधिकारों, हितों और विशेषाधिकारों की रक्षा करना है।
  • कार्य
    • विनियामक कार्य: BCI व्यावसायिक आचरण और शिष्टाचार के मानक निर्धारित करता है तथा अधिवक्ताओं पर अनुशासनात्मक अधिकार रखता है।
    • विधिक शिक्षा मानक:  BCI कानून की शिक्षा के मानक तय करता है और उन विश्वविद्यालयों को मान्यता देता है जो ऐसे विधि डिग्री प्रदान करते हैं, जिनके आधार पर अधिवक्ता नामांकन संभव हो।
    • अखिल भारतीय विधिज्ञ परीक्षा: BCI अखिल भारतीय विधिज्ञ परीक्षा आयोजित करता है, जिसके बाद अधिवक्ताओं को प्रैक्टिस प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है।
  • संरचना
    • इसमें निर्वाचित तथा पदेन सदस्य दोनों शामिल होते हैं।
    • प्रत्येक ‘स्टेट बार काउंसिल’ अपने सदस्यों में से एक सदस्य का चुनाव BCI के लिए करती है।
    • संरचना में ‘स्टेट बार काउंसिल्स’ से निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं, साथ ही भारत के महाधिवक्ता एवं सॉलिसिटर जनरल पदेन सदस्य होते हैं।
    • स्टेट बार काउंसिल्स के सदस्य पाँच वर्ष के लिए चुने जाते हैं।
    • परिषद अपने सदस्यों में से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करती है, जिनका कार्यकाल दो वर्ष का होता है।

न्यायपालिका में महिलाओं की स्थिति

  • बार काउंसिलों में प्रतिनिधित्व: वर्तमान में, 20 सदस्यीय BCI में कोई महिला सदस्य नहीं है, और विभिन्न स्टेट बार काउंसिलों में 441 सदस्यों में से केवल 9 महिलाएँ प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • उच्च न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व
    • स्वतंत्रता के बाद से अब तक सर्वोच्च न्यायालय में केवल 11 महिला न्यायाधीश रही हैं, जो कुल न्यायाधीशों का मात्र 3.8% है।
    • स्टेट ऑफ द ज्यूडिशियरी रिपोर्ट, 2023’ के अनुसार, उच्च न्यायालयों में केवल 13.4% न्यायाधीश महिलाएँ हैं।
      • जिला न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 36.3% है।
    • इंडियन जस्टिस रिपोर्ट 2025 के अनुसार, तेलंगाना और सिक्किम को छोड़कर किसी भी राज्य के उच्च न्यायालय में 30% से अधिक महिला न्यायाधीश नहीं हैं।
    • मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, पटना और उत्तराखंड के उच्च न्यायालयों में कोई महिला न्यायाधीश नहीं है।
    • गुजरात उच्च न्यायालय एकमात्र उच्च न्यायालय है जहाँ एक महिला मुख्य न्यायाधीश हैं।
  • नियुक्तियों में आयु-अंतर: महिलाओं की नियुक्ति आमतौर पर पुरुषों की तुलना में अधिक आयु में होती है; महिलाओं की औसत नियुक्ति आयु 53 वर्ष जबकि पुरुषों की 51.8 वर्ष है।
    • नियुक्ति में विलंब के कारण महिलाएँ प्रायः कॉलेजियम में शामिल होने या भारत की मुख्य न्यायाधीश बनने के अवसर से वंचित रह जाती हैं।
    • न्यायपालिका की प्रमुख बनने वाली पहली महिला मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना, वर्ष 2027 में केवल 36 दिनों के लिए ही अपने पद पर रहेंगी, जो न्यायपालिका के शीर्ष पर किसी महिला के लिए सबसे कम कार्यकाल का प्रतीक है।
  • जातिगत विविधता का अभाव: सर्वोच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीशों के बीच जातिगत विविधता का पूर्ण अभाव है; अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से कोई भी महिला न्यायाधीश नियुक्त नहीं हुई है।

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